नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने स्नातक छात्रों के लिए अप्रेंटिसशिप अनिवार्य कर दिया है। इसके तहत राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुसार, तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में एक से तीन सेमेस्टर और चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में दो से चार सेमेस्टर तक अप्रेंटिसशिप करना अनिवार्य होगा। इस पहल का उद्देश्य छात्रों का स्किल डेवलपमेंट करना और उन्हें उद्योगों में रोजगार के लिए तैयार करना है।
Highlights
अप्रेंटिसशिप को मिलेगा क्रेडिट स्कोर
यूजीसी गाइडलाइन के अनुसार, स्नातक छात्रों के अंकपत्र (मार्कशीट) पर अप्रेंटिसशिप और क्रेडिट स्कोर का उल्लेख किया जाएगा। तीन महीने की अप्रेंटिसशिप के दौरान विद्यार्थियों को 10 क्रेडिट स्कोर दिए जाएंगे।
संस्थान होंगे जिम्मेदार, मिलेगा स्टाइपेंड
स्नातक छात्रों को अप्रेंटिसशिप कराने की जिम्मेदारी संबंधित उच्च शिक्षण संस्थानों की होगी। संस्थान उद्योगों की उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर अप्रेंटिसशिप सीट तय करेंगे। अप्रेंटिसशिप के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना (NATS) के पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा। छात्रों को अप्रेंटिसशिप के दौरान उद्योग और केंद्र सरकार की ओर से स्टाइपेंड भी दिया जाएगा।