बेगूसरायः यह सही है कि आज भी समाज का एक तबका मध्यकालीन सोच धर्म और जाति की मानसिकता के साथ जी रहा है, उसके कपड़े तो आधुनिक हो गए, लेकिन वह आज भी कबिलाई सोच से बाहर निकल नहीं पा रहा है. लेकिन, आज की युवा पीढ़ी की सोच में बदलाव दिख रहा है, युवा पीढ़ी इस संकीर्ण मानसिकता के बाहर निकल प्रेम की उस दुनिया की ओर बढ़ रहा है, जहां बात सिर्फ दिल मिलने की होती है, एक दूसरे के प्रति प्यार और समर्पण की होती है, एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान और आदर की होती है.
कुछ ऐसी ही कहानी है तेघड़ा थाना क्षेत्र के चकदाद गांव की रहने वाली 31 वर्षीय बबीता और दनियालपुर गांव निवासी मोहम्मद कुर्बान की. बताया जा रहा है कि इन दोनों प्रेमी युगल जोड़ी के बीच काफी लम्बे अर्से से प्रेम संबंध था, दोनों ने एक दूसरे के साथ जीने और मरने की कसमें खाई थी. इसी बीच बबीता आठ माह की गर्भवती हो गई.
लेकिन, बबीता के परिजनों को यह रिश्ता कुबूल नहीं था, उनके द्वारा धर्म और जाति की दुहाई दी जाने लगी, झुठी सामाजिक मर्यादाओं की लकीर बताई जाने लगी. प्रेम की स्वच्छंद उड़ान पर रोक लगाई जाने लगी, एक बन्द सामाजिक खांचे से बाहर जाने पर आसन्न खतरे को बताया जाने लगा.
हद तो तब हो गई कि जब आठ माह की गर्भवती बबीता को गर्भपात करवाने की सलाह दी जाने लगी. लेकिन बबीता ने हिम्मत नहीं खोया, अरमानों के कातिलों के आगे झुकना मंजूर नहीं किया, अपनी जिन्दगी को अपने शर्त पर जीने का दम-खम दिखलाई और एक काली अंधेरी रात में तेघड़ा थानाध्यक्ष संजय कुमार को फोन कर अपने जद्दोजहद की जानकारी दी.
दूसरे ही दिन थानाध्यक्ष संजय कुमार ने मामले की पड़ताल की, इस पड़ताल में दोनों प्रेमी युगल को बालिग पाया गया. थानाध्यक्ष संजय कुमार ने इस मामले में पहल की और जाति-धर्म की दीवार को तोड़ते थाना में ही प्रेमी युगल की शादी करवा दी गई. प्रेमी युगल की इस शादी की चर्चा पूरे इलाके में है.
रिपोर्टः सुमित
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