रांचीः बाबूलाल का चैलेंज – पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर जोरदार हमला बोला.
उन्होंने हेमंत सरकार पर भाषा विवाद और स्थानीयता के मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भाषा विवाद पर राजनीति करते हुए उर्दू को पुरे प्रदेश में क्षेत्रीय भाषा के
रूप में लागू कर दिया. उन्होंने कहा कि उर्दू कब से क्षेत्रीय हो गई. उर्दू बोलने वाला हर व्यक्ति हिंदी जानते है.
उन्होंने कहा कि इसमे बदलाव का कोई तर्क नहीं दिखता. ये साफ़ तौर पर वोट की राजनीती है.
राज्य सरकार को लगता है कि विपक्ष को कुछ समझ में नहीं आ रहा है.
उर्दू कब से बनी क्षेत्रीय भाषा-मरांडी
पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने स्थानीय नीति पर भी सरकार को घेरते हुए कहा ‘विधान सभा में सीएम
कहते है की विपक्ष राजनीति कर रही है बल्कि राजनीति तो सीएम खुद कर रहें हैं’. उन्होंने कहा कि
जब झारखण्ड प्रदेश बना तब बिहार में जो स्थानीयता लागू थी उसको हमसब ने आत्मसात किया.
जहां तक बात है उस समय भी स्थानीयता अपनाने को लेकर हंगामा हुआ. लेकिन उसके बावजूद
भी हमलोगों ने वहीं अपनाया जो बिहार से चली आ रही थी.
राज्य सरकार दोनों मामले पर कंफ्यूज-मरांडी
मरांडी ने सरकार पर नियुक्ति के मामले को लटकाने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में 2015
तक ढेरों नियुक्तियां हुई, जिसमें क्लर्क, सिपाही, मास्टर्स, बीडीओ, प्रोफेसर, सब की हुई है,
पर इसके बाद भी लोग आन्दोलन करते रहे. उन्होंने कहा कि जब रघुवर दास 2014 में सीएम
बने तब उन्होंने बहाली को लेकर 85 कटऑफ बनाया. उसके बाद भी बहाली हुई, फिर जब
हेमंत जी आये तो उसको हटा दिया. लेकिन उसके हटाने के बाद कुछ और नया नहीं लाया.
जिससे नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावीत हुई. उन्होंने सीएम पर तंज कसते हुए कहा सीएम विधानसभा
में कहते हैं कि अध्ययन किया जा रहा है, वहीं उनके मंत्री सड़कों पर कह रहे की 1932 का
खतियान लागू होगा. उन्होंने कहा कि ‘सरकार को जो करना वो करे हम जब सत्ता में
आयेंगे तब हमे जो करना है वो करेंगे’.
राजनीति की वजह से रिक्तियां प्रभावीत-मरांडी
पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने कहा कि रोजगार को लेकर युवा आंदोलन कर रहा है.
वहीं भाषा विवाद और स्थानीयता के मुद्दे पर राजनीति की वजह से रिक्तियां प्रभावीत हो रही है.
उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि विपक्ष राजनीति कर रहा, जबकि राजनीति तो सरकार कर रही है.
राज्य सरकार दोनों मामले पर कंफ्यूज है, इसमे सरकार को तय करना है.
पहले 14 महीने अध्ययन किया अब फिर से 26 महीना अध्ययन ही कर रहें हैं.
रिपोर्ट- शाहनवाज