Tuesday, October 28, 2025
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Breaking : महागठबंधन ने जारी किया अपना मेनिफेस्टो

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के बीच इंडिया महागठबंधन ने अपना मेनिफेस्टो जारी कर दिया है। पटना में अभी थोड़ी देर पहले साझा प्रेस कांफ्रेंस के दौरान घोषणापत्र जारी किया गया है। साझा प्रेस कांफ्रेंस में महागठबंधन की तरफ से सीएम फेस के उम्मीदवार तेजस्वी यादव, सीपीआई महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा, राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह के अलावा महागठबंधन में शामिल पार्टी के तमाम बड़े नेता मौजूद हैं। घोषणा पत्र के कवर पेज पर लिखा है कि 'बिहार का तेजस्वी प्रण' 20 महीने में हर घर में सरकार नौकरी देने का...

अमेरिका के न्यू जर्सी में बिहार और झारखंड के लोगों ने हर्षोल्लास से मनाया छठ महापर्व, सूर्य को दिया अर्घ्य

Desk. अमेरिका में भारतीय प्रवासी समुदाय ने अपने पारंपरिक पर्व छठ पूजा को बड़ी श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया। यह भव्य आयोजन बिहार-झारखंड एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (BJANA) द्वारा पपायानी पार्क, एडिसन (न्यू जर्सी) में किया गया, जिसमें अमेरिका के विभिन्न राज्यों से आए 500 से अधिक परिवारों ने भाग लिया। पूरे स्थल को पारंपरिक भारतीय शैली में सजाया गया। केले के पेड़ों, रंगीन रोशनियों और फूलों से सुसज्जित घाटों ने बिहार और झारखंड की झलक अमेरिका की धरती पर जीवित कर दी। श्रद्धालुओं ने अस्ताचल सूर्य को संध्या अर्घ्य अर्पित किया और छठी मइया के पारंपरिक भजनों...

आदिवासी प्रेमी जोड़े को लव मैरिज करने की मिली सजा, किया गया सामाजिक बहिष्कार, गांव में शुद्धिकरण का आदेश

West Singhbhum: जिले के जगन्नाथपुर प्रखंड स्थित गुमरिया पंचायत क्षेत्र के लखीपाई गांव में एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। यहां एक ही किली (गोत्र) के युवक और युवती ने लव मैरिज कर ली, जिसके खिलाफ पूरे गांव में आक्रोश का माहौल है। ग्रामीणों ने युवक और युवती का सामाजिक बहिष्कार करने और दोनों परिवार के लोगों को मुंडन कर सजा देने का निर्णय लिया है।जानकारी के अनुसार युवक और युवती ने प्रेम प्रसंग में पड़कर विवाह कर लिया। दोनों ही लागुरी गोत्र के बताए जा रहे हैं। युवक लखीपाई...

बरहेट सीट: भाजपा का ‘उम्मीदवार खोजो’ अभियान, लेकिन हेमंत के सामने ‘मजबूत खिलाड़ी’ नहीं मिल रहा!

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रांची: बरहेट सीट, झारखंड की राजनीति का वह मंच बन गया है जहां भाजपा का ‘उम्मीदवार खोजो’ अभियान लगातार जारी है। एसटी के लिए आरक्षित इस सीट पर झामुमो (जेएमएम) के हेमंत सोरेन लंबे समय से विजयी होते आ रहे हैं, और भाजपा के लिए यह एक ऐसा पेचीदा खेल बन गया है, जहां उनका विकेट गिरने का डर हर बार बढ़ता जा रहा है।

भाजपा का हाल ऐसा हो गया है, जैसे किसी शतरंज की बाजी में राजा तो है, पर प्यादे ही मैदान छोड़कर भाग रहे हों। पार्टी के पास कोई ऐसा दिग्गज नहीं दिख रहा जो हेमंत सोरेन को चुनौती दे सके। इस परिप्रेक्ष्य में, लुईस मरांडी को मैदान में उतारने का प्रस्ताव भी दिया गया, परंतु उन्होंने शतरंज की चाल समझते हुए “नमो नमः” करते हुए झामुमो का दामन थाम लिया। बाबूलाल मरांडी और लोबिन भी हेमंत के खिलाफ चुनाव लड़ने से परहेज करते हुए अपनी पुरानी सीटों पर ही दांव लगाने में जुट गए।

इधर, जेएमएम ने भी भाजपा की इस कठिनाई पर तंज कसते हुए कहा है कि हेमंत सोरेन के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए किसी को “कलेजा” चाहिए। और जो भी भाजपा से यह जोखिम उठाएगा, उसे ‘राजनीतिक शहादत’ के लिए तैयार होना पड़ेगा। झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडे के अनुसार, हेमंत सोरेन की लोकप्रियता इस कदर बढ़ चुकी है कि उनके खिलाफ लड़ने वाले नेता का राजनीतिक करियर खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगा।

भाजपा की रणनीति का हाल ऐसा हो गया है, जैसे “बिना प्लेयर वाली टीम” क्रिकेट खेलने उतरी हो। पहले तो ‘उम्मीदवार खोजो’ अभियान चला, लेकिन मैदान में उतरने की हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई। यह कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा के नेता, जो हेमंत के खिलाफ पहले बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे, अब बगले झांकते नजर आ रहे हैं। जैसे मैदान में खड़े हो लेकिन बैट पकड़ने का साहस ही न हो।

साल 2014 और 2019 के चुनावों में झामुमो की जीत का अंतर भी लगातार बढ़ता रहा है। हेमंत सोरेन की पकड़ इतनी मजबूत हो गई है कि भाजपा के लिए यहां से जीतने का मतलब है ‘सपनों की दुनिया’। हर चुनाव में भाजपा का ‘स्कोर’ कम होता जा रहा है और हेमंत की ‘रनों की बारिश’ जारी है। ऐसा लगता है कि भाजपा को यहां एक सही ‘बैट्समैन’ नहीं, बल्कि कोई सुपरहीरो चाहिए जो इस बॉलिंग के खिलाफ टिक सके।

अब जब हेमंत सोरेन ने 24 अक्टूबर को बरहेट से नामांकन दाखिल करने का ऐलान कर दिया है, भाजपा के लिए स्थिति और भी ‘विलक्षण’ हो गई है। बाबूलाल मरांडी ने इस देरी पर एक फिल्मी डायलॉग मारते हुए कहा, “दिल थाम के रहिए, वक्त आने पर सब पता चल जाएगा।” लेकिन ऐसा लगता है कि वक्त आने तक भाजपा के पास कोई “हीरो” मैदान में उतारने को बचेगा ही नहीं।

झारखंड के इस चुनावी ड्रामे का असली सीन 23 नवंबर को खुलेगा, जब बरहेट की जनता अपना फैसला सुनाएगी। कौन जानता है, शायद भाजपा को इस बार भी “नो बॉल” का सामना करना पड़े और हेमंत सोरेन एक और “फ्री हिट” का फायदा उठा लें!

 

 

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