Ranchi- धनबाद-बोकारो सहित झारखंड के दूसरे कई हिस्सों में भोजपुरी, मगही का जारी विरोध के
बीच इन भाषाओं को झारखंड में अधिकार दिलवाने के लिए अखिल भारतीय भोजपुरी मगही मैथिली
और अंगिका मंच का गठन किया गया है, जल्द ही प्रांतीय स्तर पर इसके विस्तार करने की योजना बनायी गयी है.
इस बीच अखिल भारतीय भोजपुरी मगही मैथिली और अंगिका मंच अध्यक्ष कैलाश यादव ने कहा है कि
आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो इन भाषा-भाषियों को घुसपैठी कह झारखंड में मौजूद आपसी भाईचारे
में खाई पैदा कर रहे हैं, यह बेहद शर्मनाक बयान है. भाषा के सवाल पर शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो
और विधायक मथुरा महतो का बयान भी राज्य की उन्नती में बाधा डालने वाला है. झारखंड के 18 जिलों
में ये भाषाएं बोली जाती है. भाषा के नाम पर विवाद पर राज्य को जलाने की कोशिश बंद होनी चाहिए.
भारतीय संविधान देश के किसी भी नागरिक किसी भी राज्य में बसने की इजाजत देती है.
कैलाश यादव ने कहा कि किसी भी हाल में स्थानीय नीति का आधार 1932 खतियान मंजूर नहीं होगा.
स्थानीय नीति का आधार
झारखंड में अन्य भाषाओं की तरह भोजपुरी, मगही, मैथिली और अंगिका का भी सम्मान हो.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तत्काल हस्तक्षेप कर इस तरह के बयानों पर रोक लगाए.
इस बैठक में जयहिंद सेना के बबन चौबे, घर बचाओ समिति के योगेंद्र शर्मा, पिछड़ा वर्ग मोर्चा के
उपेंद्र नारायण सिंह, सदान विकास मंच के सुनील पांडेय, सामाजिक विकास समिति के मुकेश कुमार,
अंबेडकर दलित सेना के बीएल पासवान, व्यवसायिक सहयोग समिति के रामानंद शर्मा, यादव महासभा
के शंकर यादव, इंदिरा क्लब के राजकिशोर सिंह, महिला विकास समिति के शांति देवी के साथ ही
अनिता देवी, पूर्णिमा देवी, कौशल्या देवी, अभिषेक सिंह,विष्णु, सुबोध ठाकुर, नागेंद्र रजक, उमेश राय,
अर्जुन राणा, रविंद्र ठाकुर,सुबोध राम, कमलेश साव, बद्रीनाथ सिंह, श्रीभगवान राम, सोनू कुमार सहित अन्य लोग भी मौजूद रहें.
रिपोर्ट-शाहनवाज