हजारीबागः 13 सालों के बाद देवता के दरबार में लगा ताला आज शुक्रवार को खुला गया . जिससे सनातनियों में खुशी की लहर है . एसडीओ कोर्ट के आदेश के बाद पंच मंदिर का विवाद समाप्त हो गया. एसडीओ कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए किसी एक व्यक्ति विशेष के अधिकार को समाप्त करते हुए सभी मंदिर के कपाट और ताले खोलने का आदेश दिया है. पुरानी कमेटी को भंग कर दिया गया है. अब पंच मंदिर न्यास समिति के पदेन अध्यक्ष एसडीओ के देखरेख में पांच मंदिर का व्यवस्था चलेगा. इस बात की जानकारी हजारीबाग पंच मंदिर परिसर में राधा कृष्ण पंच मंदिर विकास समिति के सदस्यों ने दी है. उनका कहना है कि 13 सालों से भगवान कैद में थे और अब कैद समाप्त हुआ है. हजारीबाग के सभी हिंदू धर्मावलंबियों के लिए आज का दिन बेहद खास है.
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दरअसल पिछले 10 से 12 साल प्रदीप कुमार समेत अन्य ने पंच मंदिर पर अपना एकाधिकार दिखाते हुए सभी देवता के कपाट पर ताला लगा दिया था. हिंदू राष्ट्र संघ इस बात को लेकर विरोध दर्ज किया और पूरा मामला एसडीओ कोर्ट में रखा गया. एसडीओ कोर्ट ने अपने 18 पेज का आदेश निर्गत किया है . जिसमें स्पष्ट किया है कि प्रदीप कुमार समेत अन्य जो पंच मंदिर पर अपना पारिवारिक अधिपति का दावा किए हैं वह गलत है.
पंच मंदिर का इतिहास
पंच मंदिर लगभग 150 साल पुराना है. प्राचीन मंदिर (राधा कृष्ण मंदिर) 1963 से बिहार राज्य धार्मिक न्याय परिषद्, ताला खुलवाने को लेकर पटना के अधिकृत न्यास बोर्ड के अधीन था. इसके पदेन अध्यक्ष सदर अनुमंडल पदाधिकारी होते हैं. बताया जाता है 150 वर्ष पूर्व मंगल बाजार निवासी स्व. हरि साहु की पत्नी स्व. मैदा कुवंरी ने पंचमंदिर का निर्माण कराया गया था. उनकी कोई संतान नहीं थी. अपने जीवित रहते उन्होंने हजारीबाग निबंधन कार्यालय में पांच दिसंबर 1901 को निबंधन सं. 1179, बुक नं. एक, वॉल्यूम नंबर 15, पेज नंबर 257 से 260 में महंत एवं पंच मंदिर के भक्तों की देखदेख में उक्त जमीन को श्री ठाकुर जी के नाम से केवाला कर दिया था. वहीं, 23 जून 2011 पत्रांक संख्या 546/2011 को राधा कृष्ण मंदिर न्यास समिति को पंजीकृत प्रमाण पत्र दिया गया.
राधा कृष्ण पंच मंदिर विकास समिति में 27 सितंबर को एसडीओ कोर्ट में आवेदन दिया था. इसके पहले 24 सितंबर को पांच मंदिर सुंदरीकरण के लिए बैठक रखी गई थी .इस दौरान इस यह बात प्रकाश में आई थी कि मंदिर में किसी भी तरह का निर्माण कार्य नहीं करना है क्योंकि यह संपत्ति किसी और की है. उसे घटना के बाद से यह मामला एसडीओ कोर्ट में विचार अधीन था.
रिपोर्टः शशांक शेखर