डिजीटल डेस्क : Big Breaking – अखिलेश-डिंपल के करीबी नेता किशोरी से दुष्कर्म की कोशिश में कन्नौज से गिरफ्तार। देश में इस समय जहां कोलकाता निर्भया कांड सुर्खियों में है, वहीं सियासी लिहाज से काफी अहम उत्तर प्रदेश ने सभी का ध्यान अचानक अपनी ओर खींचा है।
यूपी के कन्नौज में सपा मुखिया अखिलेश यादव और डिंपल यादव के काफी करीबी व विश्वासपात्र माने जाने वाले पूर्व ब्लॉक प्रमुख नवाब सिंह यादव ने नौकरी मांगने की पहुंची किशोरी के साथ दुष्कर्म की कोशिश की। सूचना मिलते ही पुलिस ने आरोपी नेता को धर दबोचा और कोर्ट में पेश कर सलाखों के पीछे भेज दिया है। दूसरी ओर कोर्ट में पेशी के दौरान नवाब सिंह यादव ने कहा कि सियासी साजिश के तहत उन्हें फंसाया गया है।
डिग्री कॉलेज में नौकरी मांगने पहुंची किशोरी के उतरवाए थे कपड़े, समर्थकों को पुलिस ने खदेड़ा
कन्नौज में एक किशोरी ने सपा नेता नवाब सिंह यादव पर दुष्कर्म की कोशिश का आरोप लगाया है। पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, सपा नेता नवाब सिंह यादव पूर्व ब्लाक प्रमुख हैं। पूर्व सांसद डिंपल यादव के प्रतिनिधि रहने के साथ वह अखिलेश यादव के भी बेहद करीबी बताए जाते हैं।
एसपी अमित कुमार आनंद ने बताया कि 15 वर्षीय किशोरी अपनी बुआ के साथ सपा नेता के कालेज में नौकरी मांगने पहुंची थी। यहां सपा नेता नाबालिग के पकड़े उतार दिए और दुष्कर्म की कोशिश की। शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने बीते रविवार की रात करीब दो बजे नवाब सिंह को उनके चौधरी चंदन महाविद्यालय से गिरफ्तार किया।
दूसरी ओर, कोर्ट में पेशी के दौरान सपा नेता नवाब सिंह ने मौका देखकर मीडिया को बताया कि उनके राजनीतिक बढ़ते कद को देखकर उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा गया है। पीड़िता की मां और बुआ पहले समाजवादी पार्टी में थी, वह अब भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। Big Breaking Big Breaking Big Breaking Big Breaking Big Breaking
इससे पहले सपा नेता की गिरफ्तारी की जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में सपा समर्थक सोमवार सुबह कोतवाली पहुंचे और अपने नेता के रिहाई की मांग की। इस दौरान सीओ सदर कमलेश कुमार ने पुलिस बल के साथ समर्थकों को कोतवाली से खदेड़ा। उसके बाद आरोपी सपा नेता को जेल भेजा गया।
Big Breaking : अयोध्या केस के बाद अब मिनी सीएम की गिरफ्तरी से बैकफुट पर सपा, सियासत शुरू
अयोध्या में 12 वर्षीया बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सपा नेता के जेल जाने के बाद अब कन्नौज में किशोरी से सपा मुखिया के करीबी द्वारा दुष्कर्म की कोशिश की घटना ने समाजवादी पार्टी को बैकफुट पर ला दिया है। सपा के लिए नवाब सिंह यादव की सोमवार को हुई गिरफ्तारी बड़ा झटका माना जा रहा है।
इसकी 2 बड़ी वजहे हैं। पहली वजह यह है कि नवाब सिंह उस कन्नौज से आते हैं, जहां से सपा मुखिया अखिलेश यादव खुद सांसद हैं। दूसरी वजह यह है कि अखिलेश यादव के परिवार से नवाब यादव की पुरानी नजदीकियां हैं। डिंपल यादव जब कन्नौज से सांसद हुआ करती थीं, तब नवाब सिंह यादव ही उनके सांसद प्रतिनिधि थे।
यही नहीं, नवाब सिंह यादव को वर्ष 2012 से 2017 तक यूपी में रही अखिलेश यादव की सरकार में मिनी मु्ख्यमंत्री के रूप में जाना जाता रहा है। यही कारण है कि नवाब सिंह यादव की गिरफ्तारी की सूचना पुलिस की ओर से सार्वजनिक होते ही इस पर सियासत भी तेज हो गई है।
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने इसी प्रकरण पर कहा है कि सपा मुंह दिखाने लायक नहीं बची है। अयोध्या में मोइद खान और अब कन्नौज में नवाब यादव घिनौने अपराध में पकड़े गए हैं।
Big Breaking : कम रोचक नहीं रहा है मिनी सीएम नवाब सिंह यादव का सियासी करियर
यूपी के कन्नौज जनपद के कटरी के अडंगापुर गांव में एक यादव परिवार में जन्मे नवाब सिंह यादव ने छात्र राजनीति से सियासी करियर की शुरुआत की। आरंभ में वह कन्नौज के कॉलेजों में चुनाव लड़ते और लड़ाते थे एवं उसी क्रम में वह वर्ष 1997 में सपा के छात्र संगठन लोहिया वाहिनी से जुड़ गए। उसी साल उन्हें जिलाध्यक्ष बनाया गया।
फिर वह वर्ष 2006 तक लोहिया वाहिनी के कन्नौज जिलाध्यक्ष रहे। उसी दौरान नवाब सिंह यादव अखिलेश यादव के संपर्क में आए। वह किस्सा भी दिलचस्प है। वर्ष 2000 में अखिलेश यादव को सपा के संस्थापक अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कन्नौज में चुनाव लड़ने के लिए भेज दिया।
तब अखिलेश यादव का वह पहला चुनाव था और तब जमीन पर लोगों के बीच घूमने के लिए उन्होंने अपनी एक टीम बनाई। लोहिया वाहिनी के जिलाध्यक्ष होने की वजह से नवाब सिंह यादव उस टीम के अहम सदस्य थे और उसके बाद जब अखिलेश जीते और सक्रिय राजनीति में सफलता से पदार्पित हुए तो नवाब सिंह यादव स्वाभाविक तौर पर उनके करीबी बन गए।
फिर वर्ष 2006 में नवाब सिंह यादव कन्नौज सदर से ब्लॉक प्रमुख चुने गए लेकिन उसके ठीक एक साल बाद मायावती की सरकार में उनके बुरे दिन आ गए क्योंकि उन पर धमकी, हत्या की कोशिश, वसूली जैसे कई आरोपों में आपराधिक केस दर्ज हुए। हालांकि, उस विपरीत हालात में अखिलेश यादव के समर्थन की वजह से नवाब हर बार बच कर निकलते रहे।
डिंपल को निर्विरोध जितवाकर बने सीएम के भरोसेमंद और फिर कहलाए मिनी सीएम
वर्ष 2012 में यूपी में सपा की सरकार आ गई तो मुलायम सिंह ने खुद की जगह अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनवा दिया। मुख्यमंत्री बनने के कारण अखिलेश को कन्नौज सीट से इस्तीफा देना पड़ा और अखिलेय यादव की पत्नी डिंपल यादव ने यहां से उप चुनाव लड़ा। वर्ष 2009 में डिंपल फिरोजाबाद सीट से चुनाव लड़ी थीं, लेकिन उन्हें कांग्रेस के राज बब्बर ने हरा दिया था।
वैसे में कन्नौज में सपा डिंपल को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी, इसलिए चुनाव की कमान नवाब सिंह यादव को सौंपी गई। चुनाव की कमान मिलते ही नवाब सिंह यादव डिंपल को निर्विरोध जितवाने में जुट गए और एक तरफ जहां सपा के बड़े नेता विरोधी दलों के हाईकमान को मनाने में जुटे थे, वहीं दूसरी ओर नवाब सिंह यादव सीधे दावेदारों से संपर्क साधकर उन्हें चुनाव न लड़ने के लिए मना रहे थे।
बड़ी पार्टियों ने जब नामांकन को लेकर अपने कदम पीछे खींचे तो अमेठी के प्रभात पांडेय ने इस सीट से नामांकन दाखिल करने की घोषणा की। पांडेय अपने दो समर्थकों के साथ कन्नौज नामांकन दाखिल करने पहुंचे, लेकिन वे नामांकन दाखिल नहीं कर पाए।
तब पांडेय ने मीडिया को बताया था कि कन्नौज कलेक्ट्रेट से ही उनका अपहरण हो गया था और बाद में मामले की जांच सीबीआई को दी गई जो अभी तक पूरी नहीं हुई है। कुल मिलाकर यह रहा कि प्रभात पांडेय के नामांकन न हो पाने की वजह से तब डिंपल यादव निर्विरोध चुनाव जीत गईं।
उसी के बाद अखिलेश यादव जब यूपी के मुख्यमंत्री थे, तो कन्नौज के प्रशासनिक और सियासी गलियारों में नवाब को मिनी सीएम कहा जाने लगा। वजहें भी थीं कि नवाब सिंह यादव के घर पर कन्नौज में दरबार लगते थे और हर तरह के मामलों को वहीं पर सुलझाया जाता था।
Big Breaking : इस बार भी कन्नौज में अखिलेश के इलेक्शन मैनेजर नवाब ही थे
वर्ष 2017 में अखिलेश यादव की जब सरकार गई तो नवाब के भी बुरे दिन आ गए। उन पर जमीन कब्जा, मारपीट और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में मुकदमे दर्ज हुए। वर्ष 2019 में डिंपल यादव भी चुनाव हार गईं तो नवाब के पास से सांसद प्रतिनिधि का भी पद चला गया।
वर्ष 2022 में नवाब विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन अखिलेश ने उन्हें टिकट नहीं दिया। नाराज होकर नवाब उस चुनाव में घर बैठ गए। वर्ष 2024 में अखिलेश यादव के फिर कन्नौज से लड़ने पर वे नए सिरे से सक्रिय हुए एवं चुनावी रणनीति से लेकर बूथ मैनेजमेंट तक की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर रही।
फिर अखिलेश यादव जीते तो उनके अच्छे दिन आने की भी बात कही जा रही थी लेकिन अब वह जिस मामले में गिरफ्तार हुए हैं, उससे अखिलेश भी बैकफुट पर आ गए हैं।