रांची: झारखंड सरकार ने शिक्षकों की दक्षता और शिक्षण गुणवत्ता में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत राज्य के लगभग 1.15 लाख शिक्षकों को अनिवार्य प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस संबंध में शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह ने सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) और जिला शिक्षा अधीक्षक (डीएसई) को पत्र जारी कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं।
प्रशिक्षण की रूपरेखा
शिक्षकों को एक वर्ष में कम से कम 50 घंटे का प्रशिक्षण लेना अनिवार्य किया गया है। यह प्रशिक्षण तीन चरणों में संपन्न होगा—
- ऑनलाइन प्रशिक्षण:
- कुल 24 घंटे का होगा।
- शिक्षकों को यह प्रशिक्षण एक माह के भीतर पूरा करना होगा।
- जिला स्तर पर ऑफलाइन प्रशिक्षण:
- यह 6 घंटे का होगा।
- यह प्रशिक्षण गैर-आवासीय होगा और डायट (DIET – जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) में आयोजित किया जाएगा।
- जेसीईआरटी में विशेष प्रशिक्षण:
- शिक्षकों के लिए 20 घंटे का दो दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा।
- यह प्रशिक्षण झारखंड काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (जेसीईआरटी) द्वारा दिया जाएगा।
शिक्षकों की सूची तैयार, प्रमाण पत्र भी मिलेगा
सरकार ने इस प्रशिक्षण के लिए शिक्षकों की सूची सभी डीईओ और डीएसई को उपलब्ध करा दी है। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद शिक्षकों को प्रमाण पत्र दिया जाएगा, जो उनके भविष्य में शिक्षण कार्य के लिए महत्वपूर्ण होगा।
प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षकों का अलग प्रशिक्षण
प्रशिक्षण कार्यक्रम को दो भागों में विभाजित किया गया है—
- प्राथमिक शिक्षक (कक्षा 1 से 8) के लिए अलग प्रशिक्षण
- माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षक (कक्षा 9 से 12) के लिए अलग प्रशिक्षण
शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में बड़ा कदम
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण पद्धतियों और नई तकनीकों से अवगत कराने पर जोर दिया जा रहा है। झारखंड सरकार के इस कदम से राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद है, जिससे छात्रों को भी बेहतर शिक्षा प्राप्त हो सकेगी।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम शिक्षकों की व्यावसायिक दक्षता बढ़ाने और उन्हें नई शिक्षण तकनीकों से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा।