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Saturday, October 4, 2025

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राजद के दरबार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, क्या है इस दावते इफ्तार के सियासी मायने

दावत- ए-इफ़्तार सामाजिक-धार्मिक सौहादर्य का संदेश या एक राजनीतिक विसात 

Patna– आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजद की ओर से आयोजित दावते इफ्तार में शामिल होने के लिए राबड़ी आवास पर पहुंचे, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ ही बिहार के उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने भी इसमें हिस्सा लिया.

यहां बता दें कि यह दावत- ए-इफ़्तार हाल के दिनों में कई कारणों से चर्चा में रहा है. सबसे बड़ा विवाद तो इसके आमंत्रण पत्र पर ही सामने आया, पहले आमंत्रण पत्र पर तेजस्वी यादव का टोपी पहना हुआ तस्वीर लगी हुई थी, जिसको लेकर भाजपा की ओर से प्रकारान्तर से तेजस्वी पर मुस्लिम परस्त होने का आरोप लगाया था. बाद में विवाद बढ़ता देख कर राजद ने इस आमंत्रण पत्र को बदल दिया था. जिसमें कोई तस्वीर लगी हुई नहीं थी.

नीतीश कुमार के दावत- ए-इफ़्तार में शामिल होने के सियासी मायने

राजनीतिक गलियारों में काफी दिनों से यह चर्चा गरम है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ कर दिल्ली जा सकते हैं, चर्चा यह भी तैर रही है कि वह राज्य सभा में जा सकते है. उनके राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति बनने की भी चर्चा गरम है. लेकिन इस सारी खबरों का खडंन जदयू की ओर से किया जा रहा है.

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खबर यह भी तैर रही है कि भाजपा नीतीश कुमार को राजनीतिक रुप से सलटाना चाहती है. लेकिन नीतीश कुमार एक साथ कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, अन्दरखाने तेजस्वी यादव से भी चर्चा चल रही है. नीतीश की शर्त यह है कि उन्हे 2022 तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहने दिया जाए, उसके बाद वह  तेजस्वी को कुर्सी सौंप कर केन्द्र की राजनीति में सक्रिय हो जाएंगे. लेकिन तेजस्वी यादव के बार फिर से नीतीश के साथ जाने को लेकर इच्छुक नहीं है. तेजस्वी का मानना है कि वह अपने दम पर अगले चुनाव में बिहार में अपनी सरकार बना लेगें.

क्या 2024 में विपक्ष का चेहरा बनना चाहते हैं नीतीश कुमार 

एक चर्चा यह भी है कि नीतीश कुमार की रणनीति 2024 के लोक सभा उपचुनाव में विपक्ष का चेहरा बनने की है. लेकिन इसमें बड़ा पेंच उनका अभी तक भाजपा के साथ जुड़ा रहना है. यद्धपि नीतीश कुमार का अपना चेहरा  साफ सुधरा है, लेकिन भाजपा के साथ रहने के कारण विपक्षी खेमे में उनकी विश्वसनीयता बन नहीं पा रही है.

अन्दर खाने चाहे जो चल रहा हो लेकिन इस दावते इफ्तार में शामिल होकर नीतीश कुमार ने यह संदेश तो दे ही दिया है कि उन्हे राजद से कोई परहेज नहीं है. यह छुपा संदेश भाजपा के लिए भी हो सकता है.

क्या चिराग की मौजूदगी का भी एक राजनीतिक संदेश है

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दावते इप्तार  में शामिल होने वाले चिराग ने इसे किसी सियासत से नहीं जोड़ने की अपील की है. चिराग ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दावते इफ्तार में पहुंचने का कोई राजनीतिक संदेश नहीं निकाला जाए, मैंने खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पैर छू कर आर्शिवाद ग्रहण किया हूं. लालू जी के परिवार में मेरे पिताजी का पुराना नाता रहा है. लम्बे समय के बाद एक बार फिर से यह पारिवारिक माहौल देखने को मिल रहा है.

इसे किसी राजनीतिक मंशा से नहीं जोड़ा जाय- मीसा भारती  

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मीसा भारती ने इस आयोजन से किसी राजनीतिक संदेश नहीं निकालने की अपील करते हुए कहा कि इसका कोई राजनीतिक अर्थ नहीं है, यह हर वर्ष आयोजित किया जाता रहा है. मुझे भी कही बुलाया जाएगा तो जरुर जाउंगा.

रिपोर्ट- शक्ति

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