मंजेश कुमारBihar
पटना: बिहार के सारण और सीवान जिला में पिछले चार दिनों में जहरीली शराब से 30 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है तो करीब 50 व्यक्ति अभी भी जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। इनमे से कुछ लोगों के आँखों की रौशनी भी चली गई है। पूर्ण शराबबंदी वाले बिहार में जहरीली शराब पी कर मौत होने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी बिहार में जहरीली शराब से मौत हो चुकी है। वैसे तो करीब सभी दल बिहार में शराबबंदी के पक्ष में हैं लेकिन दूसरी तरफ शराबबंदी का विरोध भी करते हुए दिखाई देते हैं।
अभी हाल ही में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने भी शराबबंदी को महात्मा गांधी से जोड़ा था और कहा था कि महात्मा गाँधी मद्य निषेध के पक्षधर थे। सारण और सीवान में जहरीली शराब से हो रही मौत मामले में बिहार पुलिस के मुखिया डीजीपी आलोक राज ने गुरुवार को जानकारी देते हुए बताया कि दोनों जिलों में अब तक 24 लोगों की मौत हुई जबकि कई अस्पताल में इलाजरत हैं।
साथ ही उन्होंने बताया बताया कि अब तक 12 लोगों को अवैध शराब कारोबार मामले में गिरफ्तार किया जा सका है जबकि सारण और सिवान के एक एक थानाध्यक्ष को निलंबत किया जा चुका है। दोनों थानाध्यक्ष के साथ ही अन्य पुलिस अधिकारी और चौकीदारों पर भी गाज गिराया गया है और उन्हें निलंबित किया गया।
सारण और सिवान में जहरीली शराब से हो रही मौत का मामला अब राजनीतिक रूप लेने लगा है। एक तरफ विपक्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी कर लोगों की हत्या का आरोप लगा रहे हैं तो दूसरी तरफ भाजपा जदयू ने विपक्ष पर ही जहरीली शराब मामले का ठीकरा फोड़ दिया। भाजपा जदयू ने विपक्ष पर अवैध तरीके से शराब कारोबार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।
हत्याओं का दोषी कौन?
बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जहरीली शराब से मौत मामले में बिहार सरकार पर निशाना साधा और कहा कि सत्ता संरक्षित जहरीली शराब ने लोगों की जान ली है। यह कोई हादसा नहीं बल्कि हत्या है। तेजस्वी यादव सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा है कि ‘सत्ता संरक्षण में जहरीली शराब के कारण 27 लोगों की हत्या कर दी गई है। दर्जनों की आंखों की रोशनी चली गई। बिहार में कथित शराबबंदी है लेकिन सत्ताधारी नेताओं-पुलिस और माफिया के गठजोड़ के कारण हर चौक-चौराहों पर शराब उपलब्ध है। इतने लोग मारे गए लेकिन मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने शोक-संवेदना तक व्यक्त नहीं की।
जहरीली शराब से, अपराध से प्रतिदिन सैकड़ों बिहारवासी मारे जाते हैं लेकिन अनैतिक और सिद्धान्तहीन राजनीति के पुरोधा मा. मुख्यमंत्री और उनकी किचन कैबिनेट के लिए यह सामान्य बात है। कितने भी लोग मारे जाएं लेकिन मजाल है किसी वरीय अधिकारी पर कोई कारवाई हो? इसके विपरीत उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा? अगर शराबबंदी के बावजूद हर चौक-चौराहे व नुक्कड़ पर शराब उपलब्ध है तो क्या यह गृह विभाग और मुख्यमंत्री की विफलता नहीं है? क्या मुख्यमंत्री जी होशमंद हैं? क्या CM ऐसी घटनाओं पर एक्शन लेने व सोचने में सक्षम और समर्थ हैं? इन हत्याओं का दोषी कौन?
शराबबंदी कानून फेल
राजद के ही प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने भी सारण और सीवान में जहरीली शराब से हुई मौत पर राज्य सरकार को घेरते हुए शराबबंदी कानून को ही फेल बता दिया। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि बिहार की एनडीए सरकार में शराबबंदी कानून पूरी तरह से फेल है। जहरीली शराब से कई जानें गई और अभी जा रही है। शराबबंदी कानून के नाम पर बिहार की जनता की गाढ़ी कमाई लूटी जा रही है। कितने रूपये खर्च कर दिए गए बावजूद इसके लोगों की जान जा रही है। इसके लिए सीधे तौर पर सरकार जिम्मेदार है।
विपक्षी पार्टी दे रही शराब तस्करों को संरक्षण
राजद के आरोपों पर जदयू ने भी पलटवार किया है कर जदयू ने सीधे तौर पर शराबबंदी कानून के बावजूद शराब के अवैध कारोबार को संरक्ष्णा देने का आरोप लगाया है। जदयू के प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा कि बिहार में शराबबंदी है। प्रशासन से लेकर सरकार तक लोगों को नशामुक्त समाज के निर्माण के लिए अपील करते रहते हैं बावजूद इसके विपक्षी पार्टियां अवैध शराब कारोबारियों को सह और संरक्षण दे रही है।
समय समय पर विपक्षी नेता जिस तरह से शराबबंदी के विरोध में बयानबाजी करते हैं इससे भी शराब कारोबारियों का मनोबल बढ़ता है लेकिन बिहार की सरकार कार्रवाई के लिए जानी जाती है और आगे भी कार्रवाई होते रहेगा। हम शराब माफियाओं की कमर तोड़ेंगे और जो भी लोग जहरीली शराब कांड में दोषी होंगे उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।
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