नवगछिया रेलवे स्टेशन पर पेड़ की कटाई से पक्षी हुए बेघर, कई पक्षियों की हुई मौत
भागलपुर : भागलपुर जिले में पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण के तमाम दावों के बीच नवगछिया रेलवे परिसर में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। प्लेटफॉर्म संख्या-1 पर स्थित पाकड़ का पेड़ रेलवे द्वारा काट दिया गया। इस पेड़ पर वर्षों से लिटिल कॉर्मोरेंट और लिटिल एग्रेट प्रजाति के पक्षियों का विशाल कॉलोनीनुमा घोंसला था। पेड़ गिराए जाने के बाद सैकड़ों नन्हें चूजे नीचे जमीन पर गिर पड़े अधिकांश चूज़ों की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि कई घायल अवस्था में तड़पते रहे यह मंजर इतना भयावह था कि स्टेशन पर मौजूद लोग स्तब्ध रह गए। सबसे शर्मनाक बात यह रही कि घटनास्थल पर मौजूद रेलवे कर्मियों और वन विभाग की टीम ने न केवल लापरवाही दिखाई बल्कि स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों और पत्रकारों को धमकी भी दी।

रेलवे की असंवेदनशीलता से जैव विविधता के संरक्षण पर उठा सवाल
इस संबंध में जब भागलपुर के डीएफओ को जानकारी दी गई। इसके बाद वन विभाग के रेंज ऑफिसर पहुंचे और सभी बचे हुए चूजों को रेश्कयू कर सुंदरवन लाया गया। पक्षियों का यह सामूहिक नरसंहार न केवल एक पर्यावरणीय त्रासदी है, बल्कि यह रेलवे की असंवेदनशीलता और गैर-जिम्मेदारी को उजागर करता है। जहां एक ओर सरकार पक्षियों और जैव विविधता की संरक्षण के लिए करोड़ों खर्च करती है। वहीं दूसरी ओर रेलवे जैसी बड़ी संस्था की लापरवाही से पक्षियों का पूरा आवास खत्म कर दिया। क्या रेलवे विभाग पर्यावरणीय नियमों से ऊपर है। इस तरह की घटना रोकने के लिए कौन जिम्मेदार होगा।
केवल पक्षियों के घोंसले का विनाश नहीं बल्कि प्रकृति की हत्या है – स्थानीय लोग
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह केवल पक्षियों के घोंसले का विनाश नहीं बल्कि प्रकृति की हत्या है। यदि समय रहते वन विभाग हस्तक्षेप नहीं करता तो शायद एक भी चूज़ा जीवित नहीं बच पाता। यह घटना हमें याद दिलाती है कि विकास कार्यों की आड़ में प्रकृति की अनदेखी कितनी भयावह कीमत वसूल सकती है। सैकड़ों मासूम चूजों की असमय मौत ने लोगों को झकझोर दिया है। पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि इस घटना की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई अनिवार्य है।
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राजीव रंजन की रिपोर्ट
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