रांची: बीआईटी मेसरा के रिमोट सेंसिंग डिर्पाटमेंट ने चंद्रयान-3 के लैंडिंग साइट के लिए डेटा एनालिसिस कार्य कर रही है।
इस कार्य के लिए, इसरो द्वारा चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के सेंसर डेटा सेट बीआईटी को भेजे गए हैं। इस डेटा पर काम करते हुए रिमोट सेंसिंग डिर्पाटमेंट की टीम विभिन्न पहलुओं पर विश्लेषण कर रही है, और इसकी रिपोर्ट को 31 जुलाई तक इसरो को भेजने का निर्धारण हुआ है।
यह टीम मार्च माह में इसरो द्वारा आयोजित चंद्रयान-3 के सेंसर डेटा एनालिसिस ट्रेनिंग में शामिल हुई थी। टीम में विभिन्न सेंसिंग टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञों और शोधार्थियों की उपस्थिति थी, जैसे कि डॉ. एपी कृष्णा, डॉ. मिली घोष लाला, डॉ. स्वागत पयरा, पीएचडी स्कॉलर राजा विस्वास, और एमएससी स्टूडेंट दामिनी शर्मा।
चंद्रयान-3 के लैंडिंग साइट के लिए डेटा एनालिसिस कार्य कर रहा है बीआईटी मेसरा
डॉ. मिली घोष लाला, रिमोट सेंसिंग डिर्पाटमेंट की प्रोफेसर, ने बताया कि चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के सेंसर डेटा के माध्यम से लैंडिंग साइट पर सरफेस का तापमान, दिन-रात के तापमान में परिवर्तन, लैंडिंग साइट की सतह का विश्लेषण, और विभिन्न पारमाणिक तत्वों की प्राकृतिक प्रचुरता, जैसे लौह और टाइटेनियम, पर अनुसंधान किया जाएगा। इस अनुसंधान का उपयोग चंद्रयान-3 मिशन के आधार पर की जाने वाली शोधार्थियों के लिए किया जाएगा।
डॉ. मिली घोष लाला ने मीडिया को बताया कि चंद्रयान-3 के लैंडर में तीन सेंसर और रोवर में दो सेंसर होंगे, जबकि ऑर्बिटर नहीं होगा। मिशन में चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का इस्तेमाल होगा। चैस्ट सेंसर लैंडर द्वारा चंद्रमा की सतह के थर्मोफिजिकल गुणों का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाएगा।
आईएलएसए सेंसर लैंडिंग स्थल के आस-पास हो रही भूकंपीय गतिविधियों का अध्ययन करेगा। तीसरा सेंसर एलपी प्लाज्मा की घनत्व की खोज करेगा। रोवर के सेंसर अल्फा पार्टिकल एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर (एडीएक्सएस) और लेजर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी (एलआईबीएस) लैंडिंग स्थल के आस-पास की सतह की रासायनिक संरचना का अध्ययन करने का प्रयास करेंगे।