जमशेदपुरः पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने संताली भाषा को प्रथम राजभाषा का दर्जा दिये जाने की मांग की है। उन्होंने राजभाषा के उपनिदेशक योगेन्द्र कुमार को पत्र लिखकर यह मांग की है। गौरतलब है कि संताली भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। उन्होंने भाजपा और झामुमो पर हमला करते हुए जेएमएम को झूठ का प्रचार और बीजेपी पर गुमराह करने का आरोप लगाया है।
जेएमएम और भाजपा के पास आदिवासी एजेंडा और एक्शन प्लान नहीं है
भाजपा और झामुमो के पास आदिवासी एजेंडा और एक्शन प्लान नहीं है। केवल झूठ का प्रचार है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जहां खुद मरांग बुरु (पारसनाथ, गिरिडीह) की रक्षा के बदले उन्हें 5.1.23 को पत्र लिखकर जैनों को सौंपने का काम करते हैं। लुगू बुरु (लालपनिया, बोकारो) का भी हिंदुकरण, हैंडल पावर प्लांट और पर्यटन स्थल बनाकर संतालों के महान धर्म स्थल को खुद बर्बाद कर रहे हैं।
उसी प्रकार झामुमो के एमएलए / एमपी खुद संताली भाषा और उसकी ओल-चिकि लिपि का विरोध करते हैं। झारखंड की प्रथम राजभाषा नहीं बनाने का फैसला करते हैं। मगर आदिवासी जनता को गुमराह करने के लिए झामुमो की बी टीम उसकी मांग करने का ढ़ोंग भी करते हैं।
बाबूलाल मरांडी आदिवासी अधिकार यात्रा के नाम से जनता को गुमराह करते हैं
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी आदिवासी अधिकार यात्रा के नाम से जनता को गुमराह करते हैं। यात्रा में आदिवासी हासा, भाषा, जाति, धर्म (सरना), रोजगार, मरांग बुरु, लुगु बुरु आदि बचाने की बात और मुद्दे गायब हैं।
अंतत: दोनों पार्टियों ने झारखंड में शासन किया मगर ना स्थानीयता नीति बनाई, ना न्यायपूर्ण आरक्षण को स्थापित किया, ना नियोजन नीति ही बना सके। अतः आदिवासी समाज के लिए और “अबुआ दिशोम अबुआ राज” के लिए दोनों ही बेकार और दिशाहीन साबित हो रहे हैं।
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सेंगेल 10 दिसंबर को मरांग बुरु बचाओ सेंगेल यात्रा का आयोजन पारसनाथ, गिरिडीह में कर रहा है। 22 दिसंबर 2023 को दुमका में हासा-भाषा विजय दिवस का आयोजन एवं 30 दिसंबर 2023 को सरना धर्म कोड के लिए भारत बंद करने को बाध्य है।