चतरा लोकसभा सीट पर इतिहास रचने की तैयारी में भाजपा, क्या महागठबंधन से भी होगा स्थानीय उम्मीदवार ?

चतरा लोकसभा सीट पर इतिहास रचने की तैयारी में भाजपा, क्या महागठबंधन से भी होगा स्थानीय उम्मीदवार ?

आज हम चर्चा करेंगे झारखंड की चतरा लोकसभा सीट की.

चतरा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत चतरा, लातेहार और पलामू जिले के क्षेत्र आते हैं. चतरा लोकसभा में 5 विधानसभा की सीटें है.

चतरा सीट देशभर में चर्चा का विषय बनता रहता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि अब तक चतरा देश का एकमात्र ऐसा सीट रहा है जहां से अब तक कोई भी स्थानीय नेता सांसद नहीं बन पाया है. इस बात से चतरा की जनता में भी खासी नाराजगी रहती है.

इसे देखते हुए भाजपा ने मौजूदा सांसद सुनील सिंह का टिकट काटकर स्थानीय नेता कालीचरण सिंह को टिकट थमाया है. अगर वो जीत का परचम वहराते हैं तो चतरा में एक नया इतिहास लिखा जाएगा.

हालांकि महागठबंधन की ओर से किस पार्टी से उम्मीदवार होगा इसकी घोषणा अब तक नहीं की गई है. लेकिन महागबंधन की ओर से चतरा सीट पर राजद प्रत्याशी उतार सकता है. लेकिन प्रत्याशी कौन होगा इस पर अब तक संशय की स्थिति है.

चतरा वैसे तो सामान्य सीट है लेकिन इस सीट की जातीय समीकरण पर एक नजर डालें तो यहां एससी वोटरों का अधिक प्रभाव है. चतरा में एससी यानी अनुसूचित जाति की आबादी 28.24 प्रतिशत है वहीं एसटी यानी अनुसूचित जनजाति की आबादी 19.39 प्रतिशत है.

चतरा लोकसभा के अंतर्गत 5 विधानसभा की सीटें आती है. जिसमें 2 पर बीजेपी के विधायक हैं तो 1 राजद 1 कांग्रेस और 1 झामुमो के पास है.

सिमरिया में भाजपा के किशुन कुमार दास विधायक हैं, वहीं पांकी में शशि भूषण मेहता भी बीजेपी से विधायक हैं. चतरा में राजद से सत्यानंद भोक्ता विधायक हैं. मनिका कांग्रेस के कब्जे में है और रामचंद्र सिंह यहां से विधायक हैं. बता दें रामचंद्र सिंह को 2023 में झारखंड के सर्वश्रेष्ठ विधायक के पुरस्कार से नवाजा गया था. और लातेहार की विधानसभा में झामुमो के बैद्यनाथ राम का दबदबा है.

चतरा की लोकसभा सीट के इतिहास पर एक नजर डालें तो

1957 में चतरा में छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी की जीत हुई और विजया राजे यहां से पहली सांसद बनी. विजया राजे झारखंड की पहली महिला सांसद बनी. विजया राजे मध्य प्रदेश की रहने वाली थी.

विजया राजे ने दूसरी बार भी चुनाव जीता और 1962 में वो एक बार और सांसद बनी लेकिन इस बार उन्होंने स्वतंत्र पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा और जीता.

1967 के लोकसभा चुनाव में विजया राजे ने जीत की हैट्रिक लगाई और स्वतंत्र पार्टी का परचम लहराया.

1971 में चतरा सीट पर कांग्रेस ने कब्जा किया और शंकर दयाल सिंह यहां से सांसद बने.

1977 के चुनाव में चतरा से जनता पार्टी से सुखदेव प्रसाद वर्मा जीते.

वहीं 1980 में कांग्रेस ने वापसी की और रणजीत सिंह जीत के दिल्ली पहुंचे.

1984 में योगेश्वर प्रसाद योगेश ने कांग्रेस को जीत दिलवाई.

जिसके बाद के लगातार दो चुनाव में जनता दल ने यहां से जीत हासिल की.1989 और 1991 में उपेंद्र नाथ वर्मा जीते.

चतरा लोकसभा में भाजपा ने 1996 में पहली जीत दर्ज की और यहां से धीरेंद्र अग्रवाल जीते.

अगली चुनाव में भी बीजेपी ने अपनी जीत दुहराई. और 1998 में धीरेंद्र अग्रवाल भाजपा की टिकट से जीते.

1999 में चतरा सीट राजद की झोली में गई. राजद से नागमणि जीतकर सांसद बने.

2004 में भी चतरा राजद के हाथों में रही और धीरेंद्र अग्रवाल इस बार राजद के टिकट से जीते.

2009 में चतरा में इंदर सिंह नामधारी निर्दलीय से जीते.

जिसके बाद चतरा में भाजपा का कमल खिला और सुनील सिंह 2014 और 2019 के चुनावों में लगातार दो बार जीते.

और अब भाजपा ने कालीचरण सिंह को टिकट दिया है.अब कालीचरण सिंह भाजपा की जीत की हैट्रिक लगा पाने में सफल होते हैं या नहीं ये तो चुनावी नतीजों के बाद ही पता चल पाएगा.

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