Desk. अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की 18 दिन की अंतरिक्ष यात्रा आज समाप्त हो गई है। वे कैलिफोर्निया तट के पास प्रशांत महासागर में स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल से उतरें। यह वापसी अंतरिक्ष उड़ान का सबसे महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण हिस्सा है।
शुभांशु शुक्ला की धरती पर वापसी
भारतीय वैज्ञानिक शुभांशु शुक्ला और उनकी Ax-4 टीम की धरती पर वापसी एक ऐतिहासिक क्षण बन गई है। ड्रैगन कैप्सूल ने निर्धारित समय पर डीऑर्बिट बर्न (Deorbit Burn) के जरिए खुद को कक्षा से बाहर निकालते हुए लैंडिंग की दिशा में कदम बढ़ाया। यह प्रक्रिया बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इसी से तय होता है कि यान कहां और कैसे लैंड करेगा।
इसके बाद यान लगभग 27,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल हुआ। यहां घर्षण और गर्मी के कारण तापमान 1,600 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। इस समय गर्म प्लाज्मा की परत बन जाने से संचार कुछ मिनटों के लिए बाधित रहा।
वायुमंडल से गुजरने के बाद यान ने छोटे और बड़े पैराशूट की मदद से खुद की गति को धीमा किया और अंततः समुद्र में सुरक्षित लैंडिंग की। मौके पर मौजूद रिकवरी टीम, जिनमें नौकाएं और हेलीकॉप्टर शामिल थे, ने तुरंत कैप्सूल को सुरक्षित निकाला और शुभांशु व उनकी टीम को मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया।
टीम को 10 दिनों के लिए आइसोलेशन में रखा जाएगा
अब मिशन की टीम को 10 दिनों के लिए आइसोलेशन में रखा जाएगा, ताकि उनका स्वास्थ्य परीक्षण हो सके और अंतरिक्ष यात्रा के प्रभावों से धीरे-धीरे पुनर्स्थापना हो सके। यह वापसी भारत के लिए एक गर्व का क्षण है, जो अंतरिक्ष विज्ञान में उसकी तेजी से बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।
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