जनार्दन सिंह की रिपोर्ट
डिजीटल डेस्क : Breaking – ‘रात हमारी है’ आंदोलनकारियों की सुरक्षा में ममता सरकार की ओर से अतिरिक्त महिला पुलिस बल तैनात, आदेश जारी। कोलकाता में गत शुक्रवार के तड़के मेडिकल छात्रा के साथ रेप फिर उसके कत्ल की घटना के परिप्रेक्ष्य में महिलाओं की आजादी के लिए आहूत ‘रात हमारी है’आंदोलन के मद्देनजर पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार ने अहम फैसला लिया है।
बुधवार आधी रात को करीब 11.55 बजे से कोलकाता के अलावा पूरे राज्य भर में कई शहरों, कस्बों और इलाकों में यह आंदोलन आहूत है। इसमें बड़ी संख्या में इलाके की महिलाएं और बालिकाएं शामिल होंगी। अतिरिक्त महिला पुलिस बल के साथ ही सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती की गई है एवं सादे वेश खुफिया और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट वालों की भी विशेष तैनाती की गई है।
इसका मकसद आंदोलनकार को दबाना या कुचलना नहीं बल्कि आंदोलन में भाग लेने को आगे आ रही महिलाओं को सुरक्षा देना है। यह बात खुद राज्य और कोलकाता पुलिस मुख्यालय से उच्चाधिकारियों ने स्पष्ट कर दी है।
बताया गया है कि कहीं कोई भी अप्रिय वारदात ना हो और आंदोलन में शिरकत करने वाली महिलाओं के साथ कहीं कोई असमाजिक तत्व कुछ ना करे , इसलिए यह विशेष चौकसी वाली व्यवस्था ऐहतियाती तौर पर अपनाई गई है।
‘रात हमारी है’ आंदोलन को लेकर डीजीपी का निर्देश- आंदोलनकारी महिलाओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता, पैनी निगरानी रहे
‘रात हमारी है’ आंदोलन के तूल पकड़ने एवं इसे मिल रहे व्यापक जनसमर्थन को देखते हुए लगातार सामने आ रहे अपडेट ने राज्य की सत्तारूढ़ ममता बनर्जी को पहली बार तनिक अचंभे में डाला है लेकिन सियासी आंदोलनों से सत्ता में आईं ममता बनर्जी जनभावनाओं के उबाल को कुचलने के बाद इस भावनात्मक उफान की सुरक्षा में जुटने का फैसला लिया है।
यही कारण है कि मामले की गंभीरता को भांपते हुए राज्य पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कुमार ने मुख्यालय में आपात बैठक बुलाई। उसी में गहन विमर्श के बाद निर्देश दिया कि ‘रात हमारी है’ आंदोलन के लिए जहां भी महिलाओं और बालिकाओं का जुटान होना है, वहां पहले से ही पर्याप्त संख्या में अतिरिक्त पुलिस बल की तत्काल प्रभाव से तैनाती कर दी जाए एवं इस मामले में कहीं कोई रिस्क नहीं लेना है।
लगे हाथ उन्होंने यह भी सुनिश्चत करने को कहा है कि पहले ही निगरानी को पैनी रखें ताकि कहीं कोई अप्रिय घटना न हो एवं आंदोलनकारी महिलाओं की सुरक्षा प्रथम प्राथमिकता रहे। रात को आंदोलन में शामिल होने को जाने के दौरान या उससे अपने-अपने घरों को लौटने के दौरान कहीं भी किसी महिला या बालिका को रोका या टोका न जाए, इस बात विशेष ख्याल रखने को कहा गया है।
राजधानी कोलकाता में हर डिवीजन में डीसी रैंक के अधिकारी खुद निगरानी और सुरक्षा की कमान संभाल रहे हैं। उनके सहयोग को एक -एक एसीपी भी फील्ड में उतारे गए हैं एवं सभी थानेदारों को निरंतर मोबाइल गश्त पर उतार दिया गया है। साथ बिना थाने की तैनाती वाले इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टरों को भी मोबाइल गश्त की ड्यूटी में उतार दिया गया है।
‘रात हमारी है’ की गूंज से 4 दिनों में सुर्खियों में छा गईं हैं रिमझिम
इस आंदोलन की तासीर को इसी से समझा जा सकता है कि इसे समर्थन देने वाली महिलाओं, गृहणियों और छात्राओं ने अपने-अपने सियासी सोच को परे रखकर इसे समर्थन दिया है।
वे खुद ही इस आंदोलन के लिए जुटने को प्रेरित हुए और आपस में उनकी संख्या महज 4 दिनों में इतनी बढ़ गई है कि अब यह कोलकाता के यादवपुर के अलावा कॉलेज स्ट्रीट के अलावा एकेडमी ऑफ फाइन आर्टस पर भी होने जा रहा है। इसके अलावा दिल्ली और बंगलुरु में भी आयोजन की घोषणा हो चुकी है।
आंदोलन का रूप ले चुके ‘रात हमारी है’ की पहल करने वाली रिमझिम की व्यवस्तता यह बताने के लिए काफी है कि लोगों ने किस तरह परे अभियान को हाथों हाथ लिया है। उनका मोबाइल फोन भी रह-रहकर हैंग हो जा रहा है और उसे रि-स्टार्ट करके सुचारू करना पड़ रहा है।
‘रात हमारी है’ अभियान की प्रणेता एवं सूत्रधार रिमझिम ने बताया है कि लगातार अलग-अलग इलाकों से मोबाइल पर लोग कॉल करके या संदेश माध्यम से संपर्क करके बता रहे हैं कि उनके यहां कहां लोग जुटेंगे और होने वाले कार्यक्रम का किस तरह फोटो या वीडियो भी बाद में सोशल मीडिया पर साझा किया जाएगा।
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, करीब 300 से अधिक स्थानों पर आयोजन होने जा रहा और करीब 70 अलग-अलग शहरों या जिलों में इसका कार्यक्रम लोगों ने अपने स्तर पर ही तय कर लिया है। इनमें ज्यादातर वे हैं जो बंगाली पृष्ठभूमि वाले हैं भले ही हिंदी भाषी हों या फिर बांग्लाभाषी या किसी अन्य बोलचाल वाली भाषा के।
मेडिकल छात्रा की मौत की घटना बनी इस आंदोलन की वजह, प्रिंसिपल के बयान ने रिमझिम के अंतर्मन को किया छलनी
लोगों की जेहन में सहज ही कौंधने लग रहा कि अचानक से क्रांति सरीखे आंदोलन का रूप लिए ‘रात हमारी है’ की बिगुल फूंकने के मूल में क्या बात रही।
बुधवार को अपने आंदोलन को पूरे देश से मिल रहे व्यापक समर्थन से आह्वादित एवं व्यस्थ रिमझिम खुद ही इस बारे में पूरी संजीदगी से बताती हैं – ‘आरजी कर मेडिकल कॉलेज की छात्रा की मौत हुई। उसके साथ जिस भी तरह की अमानवीयता हुई, उस पर वहां के प्रिंसिपल की टिप्पणी ने अंतर्मन को छलनी कर दिया क्योंकि प्रिंसिपल ने तब कहा था कि वह छात्रा उतनी रात को अकेले उस सेमिनार रूम में गई ही क्यों थी?
क्या किसी छात्रा को रात में अकेले सेमिनार रूम आराम फरमाने के लिए सुरक्षित नहीं हो सकता? और वह भी अपने शिक्षण परिसर में? परिसर भी सरकारी हो तो उसमें तो और भी पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए छात्रा और महिलोओं के लिए। बजाय उस पर बोलने के उल्टे छात्रा पर ही उंगली उठाने की कुत्सित कोशिश होता देख मन उद्वेलित हो उठा था।
मैं खुद भी काम खत्म करके घर लौटने के क्रम में रात को लेट हो जाती हूं। वह बात और उसके सापेक्ष मेडिकल कॉलेज के प्रिंसपिल का वह ओछापन भरा बयान। मन काफी कचोटा। और फिर उसी के बाद तुरंत विचार कौंधा कि क्यों न इसका विरोध किया जाए और कुछ ऐसा किया जाए जो लोगों को झिंझोड़ दे और व्यवस्था में हलचल मचा दे’।
इसी क्रम में रिमझिम ने आगे कहती हैं कि ‘आखिर ऐसे मामलों में नारी या बालिका ही हीन या हेय क्यों बनाई जाए। फिर तय किया कि बालिका या महिला की आजादी के बारे में खुद को महिलाओं को आजादी से सोचना जरूरी है।
फिर क्या था गत 10 अगस्त को सहपाठियों से राय मशविरा कर पोस्टर का प्रारूप तैयार किया और उसे फेसबुक पर डाला तो लोगों में व्यवस्था को लेकर इतना गुस्सा भरा हुआ था कि यह इकलौता पोस्टर ही अचानक आंदोलन बना तो अब मन को सकून दे रहा है कि मैं और मेरी सोच पूरे परिप्रेक्ष्य में सही थे’।
फेसबुक पर ‘रात हमारी है’ की तिथि और समय के साथ गत 10 अगस्त को स्थान के तौर पर कोलकाता के यादवपुर के ईटीवी बस स्टैंड का जिक्र किया गया था। लेकिन अचानक से इस आंदोलन के लिए लोगों को बढ़े समर्थन ने पूरे माहौल सोशल मीडिया आधारित सामाजिक क्रांति सरीखा स्वरूप दे दिया तो अकेले कोलकाता में 3 अलग-अलग आयोजन स्थल तय करने पड़े हैं।
इनमें से एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स है और दूसरा कॉलेज स्ट्रीट। इसके अलावा राजधानी दिल्ली में बंगालीटोला चित्तरंजन पार्क और बंगलुरु के टाउन हाल समेत देश के कुल 300 से अधिक स्थानों पर बुधवार रात 11.55 बजे‘रात हमारी है’ आंदोलन के लिए महिलाएं और बालिकाएं जुटेंगी।