Breaking: यूपी के नाबालिग से दुष्कर्म की कोशिश में गिरफ्तार सपा नेता को अखिलेश के करीबी ने फंसाया, पीड़िता की बुआ के बयान से मचा हड़कंप

पुलिस की गिरफ्त में सपा नेता नवाब सिंह यादव

डिजीटल डेस्क : Breakingयूपी के नाबालिग से दुष्कर्म की कोशिश में गिरफ्तार सपा नेता को अखिलेश के करीबी ने फंसाया, पीड़िता की बुआ के बयान से मचा हड़कंप। यूपी के कन्नौज में मिनी सीएम के नाम से मशहूर रहे सपा नेता नवाब सिंह यादव की नाबालिग किशोरी से दुष्कर्म की कोशिश में हुई गिरफ्तारी के मामले में मंगलवार को नया मोड़ सामने आया।

इस मामले में पीड़िता की बुआ ने रोचक बयान दिया है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के सबसे करीबी नेता जय कुमार तिवारी उर्फ बऊवन तिवारी इस पूरे षड्यंत्र में शामिल रहे हैं। उनके साथ कई और नाम भी शामिल होने का पीड़िता के बुआ ने दावा किया है और कहा कि जल्द ही वह सब कुछ उजागर कर देंगी। पीड़िता की बुआ के इस बयान से सियासी हड़कंप मच गया है।

कभी बसपा में रहे ठेकेदार बऊवन तिवारी के बारे में भी जान लीजिए…

पीड़िता की बुआ ने इस पूरे मामले में जिस जय कुमार तिवारी उर्फ बऊवन तिवारी का नाम लिया है वह जय कुमार तिवारी उर्फ बऊवन पहले बसपा में थे और  बड़े ठेकेदार हैं। अब सपा में रहते हुए भी लगातार भाजपा की सरकार में भी ठीक-ठाक ठेकेदारी कर रहे हैं।

बताया जा रहा है कि बऊवन तिवारी लोकसभा चुनाव में अखिलेश के करीब आए थे। इससे पहले उन्होंने साल 2007 में बसपा से तिर्वा विधानसभा से चुनाव लड़ा था और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। फिर वर्ष 2017 में सपा के सिंबल पर नगर पालिका का चुनाव लड़ा था लेकिन  उस चुनाव में भी वह हारे थे और उसी चुनाव के बाद से ही वह सपा मुखिया अखिलेश यादव के करीबी बन गए।

पीड़िता के साथ ये हुआ था वाकया और उस पर पीड़िता की बुआ के बयान….

पीड़िता की तहरीर के मुताबिक सपा नेता नवाब सिंह यादव ने उसे तिर्वा के मेडिकल कॉलेज में नौकरी दिलाने के बहाने चौधरी चंदन सिंह महाविद्यालय बुलाया था। वह रात 11 बजे अपनी बुआ के साथ कॉलेज पहुंची और बातचीत हो रही थी कि तभी उसकी बुआ बाहर गईं।

उनके जाते ही नवाब सिंह ने अश्लील हरकत की और जैसे ही बुआ आईं तो नवाब सिंह रुक गया। उसके बाद उसने बुआ के फोन से पुलिस को सूचना दी और कुछ ही देर में पुलिस मौके पर आ गई। पुलिस की ओर से रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो में नवाब सिंह बेड पर आपत्तिजनक स्थिति में लेटा हुआ नजर आया है और वह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ है।

अब पीड़िता की बुआ ने मंगलवार को बयान दिया है कि अखिलेश यादव के सबसे करीबी नेता जय कुमार तिवारी उर्फ बऊवन तिवारी षड्यंत्र में शामिल हैं। बऊवन तिवारी की वजह से नवाब सिंह यादव यहां तक पहुंचे हैं और करीब 4 महीने से नवाब सिंह को फंसाने की योजना चल रही थी। पीड़िता की बुआ का कहना है कि कई और लोग हैं, जो इस साजिश में शामिल हैं और जल्द ही सभी के नाम वह खोलेंगी।

नायब सिंह की फाइल फोटो
नायब सिंह की फाइल फोटो

डिग्री कॉलेज नौकरी मांगने पहुंची किशोरी के नवाब ने उतरवाए थे कपड़े

कन्नौज में नाबालिग किशोरी से दुष्कर्म की कोशिश के मामले में एसपी अमित कुमार आनंद ने बताया था कि 15 वर्षीय किशोरी अपनी बुआ के साथ सपा नेता के कालेज में नौकरी मांगने पहुंची थी। यहां सपा नेता नाबालिग के पकड़े उतार दिए और दुष्कर्म की कोशिश की।

शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने बीते रविवार की रात करीब दो बजे नवाब सिंह को उनके चौधरी चंदन महाविद्यालय से गिरफ्तार किया। दूसरी ओर, कोर्ट में पेशी के दौरान सपा नेता नवाब सिंह ने मौका देखकर मीडिया को बताया कि उनके राजनीतिक बढ़ते कद को देखकर उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा गया है। पीड़िता की मां और बुआ पहले समाजवादी पार्टी में थी, वह अब भाजपा में शामिल हो चुकी हैं।

इससे पहले सपा नेता की गिरफ्तारी की जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में सपा समर्थक बीते सोमवार सुबह कोतवाली पहुंचे और अपने नेता के रिहाई की मांग की। इस दौरान सीओ सदर कमलेश कुमार ने पुलिस बल के साथ समर्थकों को कोतवाली से खदेड़ा। उसके बाद आरोपी सपा नेता को जेल भेजा गया।

बेहद रोचक रहा है मिनी सीएम नवाब सिंह यादव का सियासी करियर

यूपी के कन्नौज जनपद के कटरी के अडंगापुर गांव में एक यादव परिवार में जन्मे नवाब सिंह यादव ने छात्र राजनीति से सियासी करियर की शुरुआत की। आरंभ में वह कन्नौज के कॉलेजों में चुनाव लड़ते और लड़ाते थे एवं उसी क्रम में वह वर्ष 1997 में सपा के छात्र संगठन लोहिया वाहिनी से जुड़ गए।

उसी साल उन्हें जिलाध्यक्ष बनाया गया। फिर वह वर्ष 2006 तक लोहिया वाहिनी के कन्नौज जिलाध्यक्ष रहे। उसी दौरान नवाब सिंह यादव अखिलेश यादव के संपर्क में आए। वह किस्सा भी दिलचस्प है। वर्ष 2000 में अखिलेश यादव को सपा के संस्थापक अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कन्नौज में चुनाव लड़ने के लिए भेज दिया। तब अखिलेश यादव का वह पहला चुनाव था और तब जमीन पर लोगों के बीच घूमने के लिए उन्होंने अपनी एक टीम बनाई।

लोहिया वाहिनी के जिलाध्यक्ष होने की वजह से नवाब सिंह यादव उस टीम के अहम सदस्य थे और उसके बाद जब अखिलेश जीते और सक्रिय राजनीति में सफलता से पदार्पित हुए तो नवाब सिंह यादव स्वाभाविक तौर पर उनके करीबी बन गए। फिर वर्ष 2006 में नवाब सिंह यादव कन्नौज सदर से ब्लॉक प्रमुख चुने गए लेकिन  उसके ठीक एक साल बाद मायावती की सरकार में उनके बुरे दिन आ गए क्योंकि उन पर धमकी, हत्या की कोशिश, वसूली जैसे कई आरोपों में आपराधिक केस दर्ज हुए।

हालांकि, उस विपरीत हालात में अखिलेश यादव के समर्थन की वजह से नवाब हर बार बच कर निकलते रहे।

पुलिस की गिरफ्त में नवाब सिंह यादव
पुलिस की गिरफ्त में नवाब सिंह यादव

डिंपल को निर्विरोध जितवाकर बने सीएम के भरोसेमंद और फिर कहलाए मिनी सीएम

वर्ष 2012 में यूपी में सपा की सरकार आ गई तो मुलायम सिंह ने खुद की जगह अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनवा दिया। मुख्यमंत्री बनने के कारण अखिलेश को कन्नौज सीट से इस्तीफा देना पड़ा और अखिलेय यादव की पत्नी डिंपल यादव ने यहां से उप चुनाव लड़ा। वर्ष 2009 में डिंपल फिरोजाबाद सीट से चुनाव लड़ी थीं, लेकिन उन्हें कांग्रेस के राज बब्बर ने हरा दिया था।

वैसे में कन्नौज में सपा डिंपल को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी, इसलिए चुनाव की कमान नवाब सिंह यादव को सौंपी गई। चुनाव की कमान मिलते ही नवाब सिंह यादव डिंपल को निर्विरोध जितवाने में जुट गए और एक तरफ जहां सपा के बड़े नेता विरोधी दलों के हाईकमान को मनाने में जुटे थे, वहीं दूसरी ओर नवाब सिंह यादव सीधे दावेदारों से संपर्क साधकर उन्हें चुनाव न लड़ने के लिए मना रहे थे।

बड़ी पार्टियों ने जब नामांकन को लेकर अपने कदम पीछे खींचे तो अमेठी के प्रभात पांडेय ने इस सीट से नामांकन दाखिल करने की घोषणा की। पांडेय अपने दो समर्थकों के साथ कन्नौज नामांकन दाखिल करने पहुंचे, लेकिन वे नामांकन दाखिल नहीं कर पाए।

तब पांडेय ने मीडिया को बताया था कि कन्नौज कलेक्ट्रेट से ही उनका अपहरण हो गया था और बाद में मामले की जांच सीबीआई को दी गई जो अभी तक पूरी नहीं हुई है। कुल मिलाकर यह रहा कि प्रभात पांडेय के नामांकन न हो पाने की वजह से तब डिंपल यादव निर्विरोध चुनाव जीत गईं।

उसी के बाद अखिलेश यादव जब यूपी के मुख्यमंत्री थे, तो कन्नौज के प्रशासनिक और सियासी गलियारों में नवाब को मिनी सीएम कहा जाने लगा। वजहें भी थीं कि नवाब सिंह यादव के घर पर कन्नौज में दरबार लगते थे और हर तरह के मामलों को वहीं पर सुलझाया जाता था।

इस बार भी कन्नौज में अखिलेश के इलेक्शन मैनेजर नवाब ही थे

वर्ष 2017 में अखिलेश यादव की जब सरकार गई तो नवाब के भी बुरे दिन आ गए। उन पर जमीन कब्जा, मारपीट और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में मुकदमे दर्ज हुए। वर्ष 2019 में डिंपल यादव भी चुनाव हार गईं तो नवाब के पास से सांसद प्रतिनिधि का भी पद चला गया।

वर्ष 2022 में नवाब विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन अखिलेश ने उन्हें टिकट नहीं दिया। नाराज होकर नवाब उस चुनाव में घर बैठ गए। वर्ष 2024 में अखिलेश यादव के फिर कन्नौज से लड़ने पर वे नए सिरे से सक्रिय हुए एवं चुनावी रणनीति से लेकर बूथ मैनेजमेंट तक की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर रही।

फिर अखिलेश यादव जीते तो उनके अच्छे दिन आने की भी बात कही जा रही थी लेकिन अब वह जिस मामले में गिरफ्तार हुए हैं, उससे अखिलेश भी बैकफुट पर आ गए हैं।

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