Tuesday, July 29, 2025

Latest News

Related Posts

टूटते रिश्ते, बुझते जीवन : झारखंड में आत्महत्या और विवाहेतर संबंधों से जुड़ी हत्याओं की सामाजिक त्रासदी

रांची: झारखंड एक समय पर खनिज संपदा और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता था, लेकिन अब राज्य मानसिक अवसाद, आत्महत्या और विवाहेतर संबंधों से जुड़ी हत्याओं के बढ़ते मामलों के कारण भी सुर्खियों में है। एक ओर छात्र भारी शैक्षणिक दबाव से जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वैवाहिक विश्वास टूटने के कारण कई निर्दोष लोग जान गंवा रहे हैं। यह कहानी सिर्फ आंकड़ों की नहीं, बल्कि एक समाज के धीरे-धीरे टूटते ताने-बाने की है।

आत्महत्या की घटनाएं: एक भयावह आंकड़ा

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में आत्महत्या के कुल 2,181 मामले दर्ज किए गए। इनमें से कई मामलों में युवाओं ने मानसिक अवसाद, परीक्षा में असफलता, प्रेम संबंधों में विफलता और पारिवारिक विवादों के कारण यह चरम कदम उठाया।

विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की भारी कमी है। लोगों को ना तो अपनी मानसिक स्थिति के बारे में समझ है और ना ही समाज उन्हें मदद लेने की अनुमति देता है। नतीजा – वे चुपचाप घुटते रहते हैं और अंततः आत्महत्या जैसे कठोर कदम उठाते हैं।

Jharkhand-Government-Suicide-Helpline-Numbers
Jharkhand-Government-Suicide-Helpline-Numbers

पलामू से रांची तक: विवाहेतर संबंध और हत्या

हाल के महीनों में झारखंड में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जहां विवाहेतर संबंधों के चलते पति या पत्नी की बेरहमी से हत्या कर दी गई। एक ताजा मामला पलामू जिले का है जहां एक नवविवाहिता सिमरन देवी की उसके पति ने गोली मारकर हत्या कर दी, क्योंकि उसने उसके अवैध संबंधों पर सवाल उठाया था।

इसी तरह, रांची के कांके थाना क्षेत्र में रमेश उरांव की हत्या ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। उसकी पत्नी तन्नू लकड़ा ने अपने प्रेमी शाहिद अंसारी और उसके सहयोगी के साथ मिलकर उसकी हत्या कर दी। हत्या के बाद पुलिस को लाश सुनसान इलाके में मिली और जांच के बाद पूरा मामला सामने आया।

एक अन्य चौंकाने वाला मामला चतरा जिले का है, जहां एक शिक्षक शंकर राजक ने अपनी पत्नी की गला घोंटकर हत्या कर दी। उसे शक था कि उसकी पत्नी का किसी और से संबंध है।

समाज में गिरावट: क्या हो गया है हमें?

इन घटनाओं से यह साफ जाहिर होता है कि समाज में नैतिक मूल्यों की गिरावट आई है। पहले जहां विवाह एक पवित्र बंधन माना जाता था, अब वह संदेह, धोखा और हिंसा का केंद्र बनता जा रहा है। युवाओं में सहनशीलता की कमी, सोशल मीडिया पर नकली जीवनशैली की तुलना और संवादहीनता ने इस गिरावट को और गहरा कर दिया है।

समाधान की राह: क्या कर सकते हैं हम?

  1. मानसिक स्वास्थ्य पर जोर: राज्य सरकार को स्कूलों और कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य परामर्शदाताओं की नियुक्ति करनी चाहिए। किरण हेल्पलाइन (1800-599-0019) जैसी सेवाओं को और अधिक प्रचारित करने की जरूरत है।

  2. पारिवारिक परामर्श केंद्र: हर जिले में विवाहिक परामर्श केंद्र होने चाहिए जहां पति-पत्नी अपने मुद्दों को सुलझा सकें।

  3. स्कूल स्तर पर नैतिक शिक्षा: युवाओं को नैतिक मूल्यों और रिश्तों की अहमियत समझाने के लिए स्कूलों में नैतिक शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए।

  4. सोशल मीडिया की निगरानी: सोशल मीडिया के ज़रिये फैल रही गलत जानकारी और नकली जीवनशैली की तुलना से बचने के लिए डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना होगा।

झारखंड की यह सामाजिक सच्चाई सिर्फ एक राज्य की कहानी नहीं है, बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी है। आत्महत्या और वैवाहिक हत्याएं एक व्यक्ति की नहीं, पूरे समाज की हार है। अगर हम अब भी नहीं जागे, तो आने वाली पीढ़ियां एक ऐसे समाज में सांस लेंगी, जहां रिश्ते बोझ होंगे और जीवन बिना मूल्य का।

इसलिए वक्त है बदलाव का। शुरुआत खुद से कीजिए। बात कीजिए, सुनिए और समझिए – क्योंकि एक संवाद कई जिंदगियां बचा सकता है।

Loading Live TV...
127,000FansLike
22,000FollowersFollow
587FollowersFollow
562,000SubscribersSubscribe