Ranchi-आय से अधिक संपति मामले में मांडर विधायक और कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की को सीबीआई कोर्ट द्वारा तीन साल की सजा सुनाए जाने को आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने आदिवासी-मूलवासियों के लिए काला दिन बताया है.
प्रेमशाही मुंडा ने कहा है कि जेल भेज कर किसी की ताकत को कम नहीं किया जा सकता.
वे एक जन नेता हैं और आगे भी रहेंगे.
मात्र 6 लाख रुपये के लिए एक आदिवासी-मूलवासी को सलाखों के पीछे करना एक राजनीतिक षडयंत्र है.
झारखंड की राजनीति में बंधु तिर्की ने पहली बार स्थानीयता का मामला उठाया था,
उसी का परिणाम है कि आज पूरे प्रदेश में स्थानीयता का मामला एक अहम मुद्दा बन कर उभरा है.
यदि मात्र 6 लाख रुपये के एक आदिवासी को सदस्यता जा सकती है तो फिर सभी विधायकों की संपति की जांच होनी चाहिए.
बंधु तिर्की वर्ष 2006 से 2008 तक झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के कैबिनेट में लगभग 23 महीने तक मंत्री रहे थे.
मंत्री रहते हुए उनपर अपनी आय से छह लाख 28 हजार रुपये की अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप था.
इस संबंध में झारखंड हाइकोर्ट में याचिका दायर होने के बाद 11 अगस्त 2010 को सीबीआई ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.
आज उसी का फैसला आया है