वाराणसी। बसपा ने यूपी के मिल्कीपुर उपचुनाव में नहीं लड़ने का किया ऐलान, भाजपा और सपा में सीधी लड़ाई। बसपा यानी बहुजन समाज पार्टी ने यूपी की सियासत में अहम ऐलान किया। बसपा ने ऐलान किया है कि यूपी में अयोध्या के मिल्कीपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव में वह भाग नहीं लेगी।
इस तरह अब अयोध्या में भाजपा और सपा के बीच होने वाले उपचुनाव में सीधा सियासी संग्राम दिखेगा। सीधी लड़ाई के रोचक होने के आसार बनते ही अब यूपी में सियासी दिग्गजों की निगाहें अयोध्या पर टिक गई हैं।
बाजीगर वाले अंदाज में आई बसपा…अयोध्या छोड़ दिल्ली पर फोकस
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव न लड़ने के ऐलान को उसका बाजीगर वाला अंदाज माना जा रहा है। भले ही वह यहां भाजपा और सपा को सीधे मुकाबले का मौका देगी लेकिन दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में बसपा ने इंडिया के घटक दलों के दोहरे सियासी चरित्र पर हमला बोलने की तैयारी में जुट गई है। इसका खुला संकेत भी बसपा की ओर से अब सामने आ गया है।
बसपा के यूपी अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने कहा कि – ‘…दिल्ली के दलित और ओबीसी मतदाताओं को बताया जाएगा कि किस तरह कांग्रेस, सपा और आम आदमी पार्टी उनके वोट हासिल करने के लिए छलावे की राजनीति कर रहे हैं।
…आम आदमी पार्टी के मंच पर दलितों और ओबीसी नेताओं को जगह नहीं मिलती है। सपा दिल्ली में आप का समर्थन कर रही है, जबकि मिल्कीपुर में कांग्रेस का समर्थन ले रही है। यह उनके भरोसे के साथ विश्वासघात है’।
यूपी के उपचुनाव की तुलना में बसपा दिल्ली विधानसभा चुनाव को मान रही अहम, उसी पर फोकस
बताया जा रहा है कि बसपा नेतृत्व पार्टी सुप्रीमो मायावती के मार्गदर्शन में लगातार अपनी सियासी रणनीति को धार में जुटे हैं। हाल के वर्षों में हुए चुनावों में लगातार गिरते ग्राफ का विश्लेषण करने के बाद पार्टी पूरे दमखम से अपनी पुरानी रणनीति और दायरे को आगे बढ़ाने पर केंद्रित कर रही है।
इसी क्रम में सियासी संग्राम में उतरने के लिए बड़े अखाड़ों में अपना दमखम दिखाने के साथ ही वोटरों के बीच विरोधी दलों के चाल-चरित्र को उजागर करने की रणनीति में जुटी है। इसी क्रम में फिलहाल बसपा केवल दिल्ली चुनाव पर फोकस कर रही है। बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद बीते 5 जनवरी को दिल्ली में बड़ी जनसभा को संबोधित कर चुके हैं।
वहीं आगामी 12 जनवरी को उनकी दूसरी जनसभा है। दिल्ली चुनाव में बसपा इंडिया गठबंधन के दलों के बीच उठापटक की पोल खोल रही है, ताकि बसपा प्रत्याशियों की जीत की राह को आसान बनाया जा सके।
बसपा के फैसले के बाद अयोध्या के मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला तय
यूपी में अयोध्या के मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए मैदान में न उतरने के बसपा के ऐलान के बाद तस्वीर बहुत कुछ साफ हो गई है। बसपा के मैदान से बाहर जाने से मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला होने के आसार बढ़ गए हैं।
सपा ने सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को टिकट दिया है तो भाजपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। वहीं आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने भी मिल्कीपुर में अपना प्रत्याशी उतारने का निर्णय लिया है, जिससे मुकाबला रोचक हो सकता है। बता दें कि कांग्रेस ने मिल्कीपुर उपचुनाव में सपा प्रत्याशी का समर्थन करने का एलान किया है।
बसपा नेतृत्व में उपचुनावों में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के लगाए थे गंभीर आरोप…
बता दें कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने 23 नवंबर को नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि जब तक चुनाव आयोग फर्जी मतदान रोकने के लिए कोई सख्त निर्णय नहीं लेता है, तब तक बसपा किसी भी उपचुनाव में भाग नहीं लेगी।
उसी क्रम में मिल्कीपुर के लिए भी बसपा की रणनीति स्पष्ट कर दी गई है कि बहुजन समाज पार्टी अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव नहीं लड़ेगी। पहले बसपा ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी रामगोपाल कोरी को उपचुनाव लड़वाने का फैसला लिया था, जिन्होंने जमकर प्रचार भी किया था।