डिजिटल डेस्क : कई मायनों में Budget 2025 होगा ऐतिहासिक। संसद में आज दिन के 11 बजे पेश होने वाला Budget 2025 कई मायनों में ऐतिहासिक होगा। पहला अहम कारण है कि देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार 8 बजट पेश की करने वाली पहली वित्त मंत्री बन जाएंगी। साथ ही देश के मिडिल क्लास को बड़ी राहत देने का काम भी इस Budget 2025 में हो सकता है।
इसके अलावा देश की सुस्त पड़ी इकोनॉमिक ग्रोथ को गति देने के लिए भी देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कई अहम ऐलान कर सकती है। इसी क्रम में जिस तरह की खबरें आ रही है, उसमें सबसे Budget 2025 में अहम देश के करदाताओं को राहत देने की हैं। माना जा रहा है कि देश के मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स में बड़ी छूट मिल सकती है।
पूंजीगत व्यय में 20 प्रतिशत बढ़ोतरी का है अनुमान…
अर्नेस्ट एंड यंग (ईवाई) को उम्मीद है कि आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए Budget 2025 में पूंजीगत व्यय में कम-से-कम 20 प्रतिशत बढ़ोतरी होगी। ईवाई इंडिया में मुख्य नीतिगत सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने कहा कि चुनौतीपूर्ण आर्थिक परिदृश्य के बीच आगामी बजट में राजकोषीय संयम को वृद्धि उपायों के साथ संतुलित करना चाहिए।
2024-25 में वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 11 प्रतिशत बढ़कर 10.62 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2026 के जीएसटी राजस्व अनुमानों पर नजर रखी जाएगी क्योंकि चालू वित्त वर्ष में पिछले तीन महीनों में राजस्व वृद्धि धीमी रही है।
सरकार ने वित्त वर्ष 2025 में आरबीआई और वित्तीय संस्थानों से 2.33 लाख करोड़ रुपये और सीपीएसई से 56,260 करोड़ रुपये लाभांश के रूप में मिलने का अनुमान लगाया है। वित्त वर्ष 2026 के बजट अनुमानों में इन दो प्रमुख गैर-कर राजस्व संख्याओं पर ध्यान दिया जाएगा।
वाराणसी निवासी वरिष्ठ अर्थशास्त्री प्रो. साकेत कुशवाहा ने कहा कि केंद्र सरकार राजकोषीय समेकन के रास्ते पर टिके रहकर और लोकलुभावन उपायों से दूर रहकर व्यापक स्थिरता को प्राथमिकता दे सकती है।
दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला होगा भारत का Budget 2025
दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल भारत का Budget 2025 आ रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना लगातार आठवां बजट पेश कर रही हैं। इस बजट में सभी की निगाहें मध्यम वर्ग के लिए बहुप्रतीक्षित कर राहत पर होंगी। सीतारमण ने 2019 में अपने पहले बजट में चमड़े के ब्रीफकेस को बही-खाते से बदल दिया था। उसके बाद इसे टैबलेट का इस्तेमाल कर पेपरलेस कर दिया गया।
इस साल का बजट भी पिछले तीन सालों की तरह कागज रहित होगा। इस वित्त वर्ष के लिए सरकार का नियोजित पूंजीगत व्यय 11.1 लाख करोड़ रुपये है। हालांकि, लोकसभा चुनावों के कारण पहले चार महीनों में धीमी सरकारी खर्च की वजह से पूंजीगत व्यय में देरी हुई।
हालांकि, चालू वित्त वर्ष के बचे महीनों में इसमें तेजी आने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2026 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट में पूंजीगत व्यय की गति जारी रहने की उम्मीद है। वित्त मंत्री ने अपने 2024-25 के बजट भाषण में कहा था कि 2026-27 से राजकोषीय नीति का प्रयास राजकोषीय घाटे प्रबंधित करने पर रहेगा, जिससे जीडीपी में सरकार के ऋण का प्रतिशत कम हो।
बाजार बजट में ऋणों के रोडमैप पर बारीकी से नजर रखेगा, ताकि यह देखा जा सके कि वित्त मंत्री कब सामान्य सरकारी ऋण-जीडीपी को 60 प्रतिशत के लक्ष्य तक ला पाती हैं। 2024 में सामान्य सरकारी ऋण-जीडीपी अनुपात 85 प्रतिशत था, जिसमें केंद्र सरकार का 57 प्रतिशत ऋण शामिल था।
Budget 2025 में आयक स्लैब में अहम राहत मिलने का है संकेत…
वर्ष 2024-25 के बजट में सकल कर राजस्व 38.40 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था, जो वित्त वर्ष 2024 की तुलना में 11.72 प्रतिशत अधिक है। इसमें प्रत्यक्ष करों (व्यक्तिगत आयकर + कॉर्पोरेट कर) से 22.07 लाख करोड़ रुपये और अप्रत्यक्ष करों (सीमा शुल्क + उत्पाद शुल्क + जीएसटी) से 16.33 लाख करोड़ रुपये आने का अनुमान है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से संसद में शनिवार को पेश हो रहे Budget 2025 में महंगाई और स्थिर वेतन वृद्धि से जूझ रहे मिडिल क्लास को राहत देने के लिए इनकम टैक्स रेट/स्लैब में कटौती या बदलाव की उम्मीद की जा रही है।
वित्त मंत्री राजकोषीय घाटे को कम करने के मसौदे पर टिके रहते हुए वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में कमजोर पड़ती आर्थिक वृद्धि को सहारा देने के उपाय भी कर सकती हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गरीब और मध्यम वर्ग के उत्थान के लिए धन की देवी का आह्वान करने के बाद आयकर में राहत मिलने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। खासकर निम्न मध्यम वर्ग को बजट में कुछ राहत मिल सकती है।
बीएचयू के कृषि अर्थशास्त्री प्रो.वीरेंद्र कमलवंशी के मुताबिक – पहली तिमाही के आंकड़े निजी खपत में उल्लेखनीय वृद्धि और निवेश गतिविधि में मामूली सुधार की ओर इशारा करते हैं। भारत में चुनाव संपन्न होने के साथ अनुमान है कि सरकारी खर्च बढ़ेगा, जिससे आगामी तिमाहियों में वृद्धि को समर्थन मिलेगा। सरकार कौशल विकास और रोजगार सृजन की दिशा में प्रयासों को प्राथमिकता देना जारी रखेगी।