मंजेश कुमार
पटना: बिहार में चार विधानसभा सीट पर उपचुनाव (By Election) संपन्न हो गया है। बिहार में चारों विधानसभा सीट पर एनडीए के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है जबकि राजद को अपनी सीट गंवानी पड़ी। इन चारों सीट में से एक सीट पहले एनडीए के पास थी जबकि तीन राजद के। इमामगंज विधानसभा से एनडीए जीतनराम मांझी विधायक थे और अब इस सीट से उनकी बहू दीपा मांझी ने चुनाव जीता है। वहीं तीन अन्य सीट बेलागंज, रामगढ और तरारी सीट पर महागठबंधन का कब्ज़ा था।
बेलागंज विधानसभा सीट पर राजद के बाहुबली सुरेंद्र यादव का कब्ज़ा था तो रामगढ सीट पर भी राजद का कब्ज़ा रहा है। वहीं तरारी सीट पर भाकपा माले के सुदामा प्रसाद विधायक थे। लोकसभा चुनाव के दौरान चारों विधानसभा क्षेत्र के विधायक के सांसद चुने जाने के बाद सीटें खाली हुई थी जिस पर अब उपचुनाव कराया गया है। हालांकि बिहार के सभी चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को दोनों ही गठबंधन की पार्टियां 2025 विधानसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल के रूप में ले रही थी। सेमीफाइनल में चारों विधानसभा क्षेत्र की जनता ने तेजस्वी यादव के एजेंडों को नकार कर एनडीए पर भरोसा जताया है।
ढहा राजद का किला
गया के बेलागंज विधानसभा सीट पर वर्ष 1990 से राजद के सुरेंद्र यादव विधायक बन रहे थे। वे 1990 से 1998 तक जनता दल के टिकट पर विधायक रहे। 1998 में राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर महेश यादव को जीत मिली थी। लेकिन फिर 2000 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की और तब से लगातार वे राजद की टिकट पर विधायक बन रहे थे। सुरेंद्र यादव 2024 लोकसभा चुनाव में जहानाबाद से सांसद चुने जाने के बाद उपचुनाव में अब जदयू ने इस सीट पर बाजी मारी है। जदयू की उम्मीदवार मनोरमा देवी ने करीब 21 हजार वोटों से सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ सिंह को हराया है। बेलागंज सीट पर तीसरे स्थान पर जन सुराज रहा।
मांझी पर फिर से भरोसा
गया के इमामगंज विधानसभा सीट से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी विधायक थे। लोकसभा चुनाव में वे लोकसभा के सदस्य चुने गए जिसके बाद उपचुनाव में इस सीट से उनकी बहू दीपा मांझी को मौका दिया गया और दीपा मांझी ने इस सीट को एक बार फिर से एनडीए के खाता में डाल दिया है। हालांकि मतगणना के शुरुआत में दीपा मांझी पीछे चल रही थी जबकि राजद के रौशन कुमार आगे चल रहे थे लेकिन धीरे धीरे दीपा मांझी ने बढ़त बनाई और अंत में जीत दर्ज की।
1985 के बाद दूसरी बार खिला कमल
रामगढ विधानसभा सीट राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के लिए एक तरह से पारंपरिक सीट था। इस सीट पर 1985 से लेकर 2009 तक लगातार जगदानंद सिंह विधायक रहे। 2009 में जगदानंद सिंह ने इस सीट को छोड़ दिया लेकिन यह रही राजद के पास ही और 2009 से 2015 तक इस सीट पर राजद के अंबिका यादव का कब्ज़ा रहा। 2015 में राजद के गढ़ में सेंध लगाते हुए भाजपा के अशोक सिंह ने पहली कमल खिलाया था लेकिन 2020 में उन्हें फिर से हार का सामना करना पड़ा और यह सीट एक बार फिर राजद के पाले में चली गई।
सुधाकर सिंह यहां से विधायक चुने गए और वे बिहार में महागठबंधन की सरकार में मंत्री भी बने। 2024 के लोकसभा चुनाव में सुधाकर सिंह सांसद बन गए और एक बार उपचुनाव में इस सीट पर अशोक सिंह ने कमल खिलाया है।
9 वर्ष वापस आई सीट
तरारी विधानसभा का गठन 2010 में हुई और इस सीट पर पहली बार विधायक बने थे जदयू के बाहुबली उम्मीदवार नरेंद्र कुमार पांडेय उर्फ़ सुनील पांडेय। इसके बाद 2015 से 2024 तक इस सीट पर भाकपा माले का कब्ज़ा रहा और सुदामा प्रसाद विधायक रहे। 2024 लोकसभा चुनाव में सुदामा प्रसाद आरा लोकसभा सीट से सांसद बन गए और अब उपचुनाव में यह सीट अब भाजपा के कब्जे में चली गई। इस सीट पर हालांकि 2010 के विधायक सुनील पांडेय खुद चुनाव लड़ना चाह रहे थे लेकिन कुछ कारणों से उनके बेटे विशाल प्रशांत को मैदान में उतारा गया और उन्होंने इस सीट पर कमल का फूल खिला दिया।
हालांकि अगले वर्ष अक्टूबर नवंबर में बिहार में विधानसभा का चुनाव होना है और इस उपचुनाव को सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है। अब बिहार विधानसभा उपचुनाव परिणाम सामने आने के बाद एनडीए खेमे में आत्मविश्वास बढ़ा है और माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में एनडीए और भी अधिक मजबूती से उतरेगा।
वहीं दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन की बात करें तो राजद ने कहा है कि हम अपनी हार की समीक्षा करेंगे। राजद ने कहा है कि यह उपचुनाव था और इसका विधानसभा चुनाव से कोई लेना देना नहीं है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में हम आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और मुख्य चुनाव में हमारी सरकार बनेगी। अब अगले वर्ष के चुनाव में परिणाम चाहे जो भी हो देखा जायेगा।
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