पटनाः जनता जब चुनकर भेजती है तो उनकी बहुत अपेक्षाएं होती हैं, इसलिए चुने हुए प्रतिनिधि सदन में अपनी बात रखें और काम जरूर करें. सदस्य बिना चिंता किए हाउस में पूरी बुलंदी के साथ अपनी बात रखे. सदन के भीतर अगर विवाद हो तो उसे बाहर नहीं लाएं. अपनी बात भी कहनी है और मिलजुलकर काम भी करना है. सदन के भीतर विवाद हो तो सदन के बाहर भाईचारा प्रभावित नहीं होना चाहिए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन अल्फाजों के जरिए जनप्रतिनिधियों को उनका दायित्व और आचरण बताने का प्रयत्न किया. मौका था बिहार विधामंडल के प्रबोधन कार्यक्रम का, जिसमें लोकसभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के साथ-साथ मंत्री और दोनों सदनों के सदस्य मौजूद थे. नीतीश कुमार ने कहा कि इस तरह कार्यक्रमों से नए सदस्यों को संविधान और सदन की प्रक्रियाओं को समझने में मदद मिलती है. .
नीतीश ने साझा किए रोचक अनुभव
अपने संबोधन के दौरान नीतीश कुमार ने लोकसभा के दिनों के अपने रोचक अनुभव भी सुनाए इसके माध्यम से उन्होंने बताया कि सदन के भीतर और बाहर कैसा माहौल होना चाहिए. नीतीश कुमार जब लोकसभा सदस्य थे तब के दिनों को याद करते हुए उन्होंने बताया कि सदन के भीतर और बाहर सदस्यों के आपसी रिश्ते कैसे होते थे. नीतीश कुमार ने कहा कि सदन के भीतर तीखी नोंकझोंक होती थी और बाहर सेंट्रल हॉल में सभी पार्टियों के नेता आपस में एक-दूसरे के साथ दोस्ताना माहौल में बात करते थे. इस संस्मरण के जरिये उन्होंने विधानमंडल के सदस्यों को ये बताने का प्रयत्न किया कि वैचारिक विरोध का असर भाईचारे पर नहीं पड़ना चाहिए.