रांची: जगन्नाथपुर थाना में दर्ज दो नाबालिग लड़कियों से सामूहिक दुष्कर्म का मामला झूठा निकला। पुलिस जांच में सामने आया कि दोनों लड़कियां अपने प्रेमी के साथ गई थीं और घरवालों की डांट से बचने के लिए उन्होंने झूठी कहानी रच दी। पुलिस ने जांच के दौरान दोनों लड़कियों से पूछताछ की, जिसमें यह सच सामने आया। घटना वाले दिन उनके साथ मौजूद दोनों युवकों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।
पुलिस के अनुसार, दोनों लड़कियां अपने-अपने प्रेमी के साथ रात भर रुकी थीं। जब वे अगले दिन घर पहुंचीं, तो परिवारवालों की पूछताछ से बचने के लिए उन्होंने सामूहिक दुष्कर्म की झूठी कहानी बना दी। पुलिस ने इस केस की गहन जांच करते हुए घटनास्थल के आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले, जिसमें दोनों लड़कियां अपने प्रेमी के साथ जाती हुई दिखीं। इसके बाद पुलिस ने युवकों से पूछताछ शुरू की। पुलिस का कहना है कि इस झूठी रिपोर्टिंग से न केवल कानून व्यवस्था पर असर पड़ा, बल्कि रांची पुलिस की छवि भी धूमिल हुई।
जगन्नाथपुर थाने में दर्ज एफआईआर में दोनों लड़कियों ने दावा किया था कि 30 जनवरी की रात 10:30 बजे वे हवाई नगर से कैटरिंग का काम करके पैदल बिरसा चौक जा रही थीं। इसी दौरान चार-पांच युवक उन्हें जबरन उठाकर झाड़ियों में ले गए और सामूहिक दुष्कर्म किया। विरोध करने पर उनके साथ मारपीट भी की गई। लड़कियों का कहना था कि वे बेसुध हो गईं और जब होश आया, तो आरोपी भाग चुके थे। पुलिस ने तत्काल मेडिकल जांच के लिए दोनों को सदर अस्पताल भेजा था।
जांच के दौरान पुलिस को एफआईआर में दर्ज घटनास्थल से कोई साक्ष्य नहीं मिला। पुलिस ने घटनास्थल के आसपास की दुकानों में पूछताछ की और सीसीटीवी फुटेज खंगाले, लेकिन कहीं से भी सामूहिक दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई। पुलिस ने उस कैटरर से भी पूछताछ की, जिसके लिए लड़कियों के काम करने की बात कही गई थी, लेकिन कैटरर ने भी उन्हें किसी ऑर्डर पर बुलाने से इनकार कर दिया।
जगन्नाथपुर थाना प्रभारी दिग्विजय सिंह ने कहा, “दोनों लड़कियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म नहीं हुआ। वे अपने प्रेमी के साथ थीं और घर में डांट खाने के डर से उन्होंने यह कहानी गढ़ी। पुलिस को घटना से संबंधित कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला। लड़कियों ने भी पूछताछ के दौरान स्वीकार कर लिया कि उनके साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ।” पुलिस ने दोनों लड़कों को हिरासत में ले लिया है और आगे की कार्रवाई कर रही है।
इस झूठी शिकायत से पुलिस को न केवल समय की बर्बादी हुई बल्कि गंभीर मामलों की जांच में भी बाधा आई। पुलिस ने अपील की है कि कोई भी व्यक्ति बिना किसी ठोस आधार के इस तरह की झूठी शिकायत दर्ज न कराए, जिससे कानून व्यवस्था पर अनावश्यक दबाव न पड़े।