रांची: झारखंड में सामने आए 450 करोड़ रुपए के शराब घोटाले की जांच अब सीबीआई करेगी। यह घोटाला रांची के कारोबारी विकास सिंह की शिकायत पर दर्ज हुआ था, जिसमें छत्तीसगढ़ और झारखंड के बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से झारखंड सरकार को भारी राजस्व नुकसान पहुंचाने का आरोप है। इस मामले की फाइल सीबीआई मुख्यालय दिल्ली भेज दी गई है और सूत्रों के अनुसार जल्द ही एजेंसी इसकी जांच शुरू करेगी।
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ईओडब्ल्यू को नहीं मिल रहा झारखंड सरकार का सहयोग
छत्तीसगढ़ की ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा) ने तीन बार झारखंड सरकार से अभियोजन स्वीकृति मांगी थी ताकि वह आईएएस विनय कुमार चौबे, संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेंद्र सिंह जैसे अफसरों से पूछताछ कर सके, लेकिन एक भी बार जवाब नहीं मिला। इस रवैये को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने अब CBI जांच की अनुशंसा कर दी है।
शिकायतकर्ता: कारोबारी विकास सिंह
विकास सिंह ने आरोप लगाया था कि छत्तीसगढ़ के अधिकारी और कारोबारी झारखंड में शराब नीति बदलवाकर वहां के राजस्व को नुकसान पहुंचा रहे हैं। दिसंबर 2022 में रायपुर में हुई बैठक में इस नीति को बदलने की योजना बनी, जिसमें छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा, आईटीएस अरुण पति त्रिपाठी, बीएसपी कर्मी अरविंद सिंह, और झारखंड के आबकारी विभाग के अधिकारी मौजूद थे।
दोनों राज्यों के घोटालों में जुड़ रहे तार
झारखंड का यह घोटाला छत्तीसगढ़ के 2161 करोड़ रुपए के चर्चित शराब घोटाले से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। दोनों घोटालों में एक ही सिंडिकेट की भूमिका सामने आ रही है, जो झारखंड में भी शराब कारोबार नियंत्रित कर रहा था।
जांच के घेरे में ये लोग:
विनय कुमार चौबे: झारखंड के आईएएस, तत्कालीन आबकारी सचिव
गजेंद्र सिंह: झारखंड के संयुक्त आबकारी आयुक्त
रोहित उरांव: पूर्व वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के पुत्र
अरुण पति त्रिपाठी: छत्तीसगढ़ के तत्कालीन आबकारी सचिव, झारखंड में सलाहकार नियुक्त
सूत्रों के मुताबिक, यदि सीबीआई जांच शुरू होती है, तो इसका असर छत्तीसगढ़ के आबकारी मंत्री कवासी लखमा तक पड़ सकता है। कई अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।