रांचीः झारखंड में 5 फरवरी का दिन बेहद अहम है। चंपई सोरेन को फ्लोर टेस्ट में पास होना है। रणनीति जरूर चंपई सोरेन की सरकार ने बनाई है लेकिन ये पहली बार नहीं है जब 24 साल के झारखंड में फ्लोर टेस्ट की बात हो रही है। 24 साल में अबतक 11 बार झारखंड में तत्कालीन सरकार विश्वास प्रस्ताव लेकर आ चुकी है।
मुख्यमंत्री चंपई सोरेन पांच फरवरी को झारखंड विधानसभा में अपनी सरकार का बहुत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव लाएंगे। इसके लिए दो दिनों का विशेष सत्र बुलाया गया है…और विश्वास मत का सामना करने के लिए जेएमएम ने रणनीति भी खास बनाई है।
फ्लोर टेस्ट की बात करें तो 24 साल के झारखंड में अबतक 11 बार तत्कालीन सरकार ने बहुमत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव लाया है और 11 बार के इस विश्वास प्रस्ताव में आठ बार सरकारों ने अपना बहुमत साबित किया है। दो बार प्रस्ताव आने के बाद वोटिंग से पहले ही तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अपना इस्तीफा दे दिया था तो एक बार वोटिंग की परमिशन ही नहीं दी गई थी।
हेमंत सोरेन तीन बार सदन में ला चुके हैं विश्वास प्रस्ताव
चंपई सोरेन के नेतृत्व में भले ही फ्लोर टेसट होने वाला है लेकिन इससे पहले हेमंत सोरेन तीन बार सदन में विश्वास प्रस्ताव ला चुके हैं।सबसे पहले तत्कालीन उपमुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने विधानसभा में 14 सितंबर 2010 को सरकार का बहुमत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव लाया था।
उस समय सरकार ने बहुमत साबित कर लिया था। उपमुख्यमंत्री रहते ही हेमंत ने 18 जुलाई 2013 को विश्वास प्रस्ताव सदन में लाया जो स्वीकृत हुआ। अंतिम बार हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री के रूप में पांच सितंबर 2022 को सरकार का बहुमत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव लाया जो स्वीकृत हुआ। हेमंत सोरेन ने यहां 48 मतों के साथ बहुमत साबित किया था।
24 साल के झारखंड में 11 बार विश्वास प्रस्ताव, बाबूलाल मरांडी से लेकर शिबू सोरेन तक
झारखंड में 11 बार के विश्वास प्रस्ताव में सबसे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने अपनी सरकार के बहुमत साबित करने के लिए 24 साल पहले विश्वास प्रस्ताव लाया था और यहां बाबूलाल मरांडी ने बहुमत साबित भी किया। फिर 2005 में शिबू सोरेन बहुमत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव लेकर आये थे।
लेकिन प्रोटेम स्पीकर ने प्रस्ताव विधानसभा में रखने की परमिशन ही नहीं दी। चार दिन बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा बहुमत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव लेकर आये और बहुमत साबित किया। 2005 के ही दिसंबर में अर्जुन मुंडा फिर विश्वास प्रस्ताव लेकर आये। लेकिन यहां वे बहुमत साबित नहीं कर सके और उन्होंने सदन से इस्तीफा दे दिया था।
झारखंड विधानसभा का सत्र पांच और छह फरवरी को आहूत है। सीएम चंपाई सोरेन विधानसभा सत्र के पहले दिन पांच फरवरी को फ्लोर टेस्ट में अपनी सरकार का बहुमत साबित करेंगे। दो दिनों के सत्र के दूसरे दिन छह फरवरी को राज्यपाल के भाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव लाया जाएगा। बहुमत साबित करने को लेकर सत्ता पक्ष अभेद रणनीति तैयार करने में जुटा है।