चीन का जासूसी जहाज पहुंचा श्रीलंका, भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ीं

नई दिल्ली : चीन का जासूसी जहाज श्रीलंका पहुंच गया है. इस पर भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई है.

भारत के लाख मना करने के बावजूद श्रीलंका में चीन ने अपने जासूसी जहाज को खड़ा कर दिया है.

चीन का ये जहाज हंबनटोटा पोर्ट पर पहुंच गया है

जहां चीनियों ने उसका गर्मजोशी से स्वागत किया है. वहीं इससे भारत की टेंशन बढ़ गई है.

भारत की चिंता पर चीन ने ये कहा

लेकिन चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर अपने जहाज युआन वांग 5 के ठहराव को लेकर

भारत की चिंता पर कहा है कि उच्च तकनीक वाले उसके अनुसंधान पोत की गतिविधियों से किसी देश की सुरक्षा प्रभावित नहीं होगी. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन का कहना है कि युआन वांग 5 की वैज्ञानिक अनुसंधान गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानकों के मुताबिक है.

मंगलवार की सुबह करीब साढ़े आठ बजे हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचा जहाज

इससे पहले मंगलवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे चीन का यह जहाज श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचा. 16 से 22 अगस्त तक इस जहाज का ठहराव यहां रहेगा. युआन वांग 5 सैटेलाइट और इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइलों को ट्रैक करने में सक्षम है, जो 750 किमी की दूरी तक निगरानी कर सकता है. खतरनाक बात यह है कि भारत के कन्याकुमारी से हंबनटोटा बंदरगाह की दूरी 451 किमी है. श्रीलंका के इस बंदरगाह को 2017 में चीन ने कर्ज के बदले 99 साल के पट्टे पर ले रखा है.

चीन का जासूसी जहाज : भारत ने श्रीलंका सरकार से किया था आग्रह

दरअसल, भारत की तरफ से श्रीलंका की सरकार के समक्ष चीन के इस जहाज को लेकर अपनी सुरक्षा चिंताओं से अवगत कराते हुए इसके ठहराव को रोकने का आग्रह किया गया था. शुरू में श्रीलंका की सरकार ने भारत की चिंताओं पर विचार करते हुए चीन की सरकार से युआन वांग 5 के श्रीलंका ठहराव को टालने का आग्रह किया गया जिसकी वजह से 11 अगस्त को इसके श्रीलंका पहुंचने का शिड्यूल बदल दिया गया. लेकिन बाद में चीन के दबाव के सामने श्रीलंका की सरकार को झुकते हुए इसकी अनुमति दे दी गई.

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