सीएम को पहले ही मिल चुकी है क्लीनचिट: राज्य सरकार

सीएम को पहले ही मिल चुकी है क्लीनचिट – मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा खुद एवं अपने रिश्तेदारों को खान लीज आवंटन करने से संबंधित जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. यह याचिका आरटीआई कार्यकर्ता एवं हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुनील कुमार महतो की ओर दायर की गई है. मामले में राज्य सरकार की ओर से जवाब दाखिल किया गया.

सीएम को पहले ही मिल चुकी है क्लीनचिट

 सरकार की ओर से शपथ पत्र में बताया गया है माइनिंग लीज आवंटन मामले में एक जनहित याचिका में सीएम हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से पहले ही क्लीन चिट दी जा चुकी है. जवाब में सुप्रीम कोर्ट के इससे संबंधित आदेश का कुछ अंश भी डाला गया है. इसके अलावा यह भी बताया गया है जियाडा से जो जमीन सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी और उनके साली को आवंटित हुआ है वह सब कानून की प्रक्रिया के तहत हुआ है.

सीएम को भी जो खनन लीज दिया गया था उसमें भी सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया था. प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उनकी ओर से उठाए गए सवालों का बिंदुवार जवाब राज्य सरकार की ओर से नहीं दिया गया है. यह याचिका मेंटेनेबल (सुनवाई योग्य) है या नहीं इस पर भी कोई जवाब नहीं दिया गया है.

प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विशाल कुमार ने राज्य सरकार के जवाब पर अपना प्रत्युत्तर देने के लिए कोर्ट से समय की मांग की. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 16 जून निर्धारित की है.

सीएम को पहले ही मिल चुकी है क्लीनचिट

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल हाइब्रिड मोड में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की कोर्ट से जुड़े.

प्रार्थी की ओर से कोर्ट को पिछली सुनवाई में बताया गया था कि सीएम हेमंत सोरेन ने खान विभाग के  मंत्री पद पर रहते हुए संवैधानिक पद का दुरुपयोग किया है और स्वयं के लिए अनगड़ा में माइनिंग लीज आवंटित कर लिया है. इसके अलावा उन्होंने अपनी  पत्नी कल्पना सोरेन एवं साली सरला मुर्मू के फार्म को भी माइनिंग लीज आवंटित किया गया है. प्रार्थी ने यह भी कहा है कि इन सभी बिंदुओं को लेकर संबंधित प्राधिकार के पास सीएम, उनके रिश्तेदारों एवं सहयोगियों की जांच करके कार्रवाई करने का अनुरोध किया था. लेकिन किसी संबंधित प्राधिकार ने करवाई नहीं की.

अंततः उन्होंने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है ताकि संबंधित प्राधिकार को जांच कर कार्रवाई करने का आदेश पारित  किया जाय.

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