माइनिंग लीज मामले पर सीएम हेमंत ने हाईकोर्ट में दाखिल किया जवाब, जानिए क्या कहा

रांची : माइनिंग लीज आवंटन के मामले सीएम हेमंत ने हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है.

अपने जवाब में उन्होंने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को गलत बताते हुए कहा है कि

उनके खिलाफ राजनीति से प्रेरित होकर जनहित याचिका दायर की गयी है,

जिसे हर्जाने के साथ खारिज कर दिया जाना चाहिए.

बिना किसी तथ्यों के जाने बगैर ही याचिका दायर की गयी है.

उसने अपना पूरा ब्योरा भी नहीं दिया है और तथ्यों को छिपाया है.

बदले की भावना से दायर किया गया याचिका

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जवाब में कहा है कि प्रार्थी शिवशंकर शर्मा

और उनके परिजन दो दशक से उनके विरोधी रहे हैं.

प्रार्थी शिवशंकर शर्मा के पिता गौतम शर्मा उनके पिता शिबू सोरेन के खिलाफ वर्ष 2006 में एक मामले में गवाह रहे थे. इस मामले में उनके पिता को तीस हजारी कोर्ट से सजा मिली थी, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने सजा के आदेश को निरस्त कर दिया था. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की गयी थी, लेकिन यहां भी अपील खारिज कर दी गयी थी. लेकिन इस तथ्य को प्रार्थी ने अदालत से छिपाया है. राजनीतिक बदले की भावना से दायर इस याचिका को जनहित का मामला नहीं माना जा सकता, इसलिए हर्जाने के साथ इसे रद्द कर देना चाहिए.

सीएम ने बीजेपी पर लगाया आरोप

मुख्यमंत्री ने अपने जवाब में कहा कि उन्हें भारत चुनाव आयोग से दो मई को एक नोटिस मिला है. आयोग ने उनसे जवाब मांगा है. आयोग ने भारतीय जनता पार्टी की ओर से 14 फरवरी को लिखे एक पत्र के आधार पर नोटिस किया है. भाजपा ने पत्र में जो आरोप लगाया है वही आरोप प्रार्थी ने भी लगाया है और दोनों के आरोप एक ही है. इससे प्रतीत होता है कि प्रार्थी एक राजनीतिक दल से नियंत्रित हो रहा है और राजनीतिक उद्देश्यों से जनहित याचिका दायर की गयी है.

माइनिंग लीज पर सीएम ने ये कहा

मुख्यमंत्री ने अपने जवाब में कहा है कि रांची के अनगड़ा में 88 डिसमील जमीन का माइनिंग लीज 17 मई 2008 को दस साल के लिए मिला था. वर्ष 2018 में लीज नवीकरण के लिए उन्होंने आवेदन दिया था, लेकिन आवेदन स्वीकार नहीं किया गया. इसके बाद जिले के उपायुक्त ने वर्ष 2021 में नए सिरे से माइनिंग लीज के लिए आवेदन आमंत्रित किया. इसके बाद उन्होंने आवेदन दिया. इसके बाद उन्हें माइनिंग लीज आवंटित किया गया. इस दौरान उन्होंने नियमों के अनुसार सभी प्रक्रिया पूरी की. लेकिन 4 फरवरी तक उन्हें खनन करने का मंतव्य नहीं मिला. इसके बाद उन्होंने बिना किसी खुदाई और कार्य के इस लीज को सरेंडर कर दिया. इस कारण याचिका दायर होने की तिथि तक उनके पास माइनिंग लीज नहीं थी. प्रार्थी ने अदालत के समक्ष तथ्यों को छिपा कर पेश किया है.

माइनिंग लीज का आरोप तथ्यों से परे

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि उन पर जो माइनिंग लीज लेने का आरोप लगाया है वह तथ्यों से परे है. इस कारण विधानसभा से अयोग्य किए जाने का कोई आधार नहीं बनता है. इसलिए चुनाव आयोग का नोटिस और यह जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं मानी जा सकती. जब इस मामले की सुनवाई शुरू होगी तो जरूरत पड़ने पर वह इस पर कई कानूनी बिंदु को भी अदालत के समक्ष पेश करेंगे.

नहीं हो सकी सुनवाई, अगले सप्ताह होने की संभावना

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर माइनिंग लीज लेने के आरोप में दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई नहीं हो सकी. यह मामला चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था. लेकिन अदालत नहीं बैठी. इस कारण सुनवाई टल गयी. अब इस मामले की सुनवाई अगले सप्ताह होने की संभावना है.

रिपोर्ट: प्रोजेश दास

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