Ranchi : झारखंड विधानसभा में आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का तेवर बेहद आक्रामक दिखा। उन्होंने केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि देश में लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश चल रही है। सीएम ने आरोप लगाया कि केंद्र में बैठे लोग अपने खिलाफ आवाज उठाने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को संवैधानिक संस्थाओं के जरिए जेल भेजने की योजना बना रहे हैं। इतना ही नहीं, इसके लिए नया कानून भी बनाया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर इस कानून की ज़रूरत क्या थी? इसका औचित्य कोई नहीं समझ पा रहा।
Breaking : नए कानून के पीछे एक छिपा हुआ एजेंडा है
सीएम सोरेन ने कहा कि इस नए कानून के पीछे एक छिपा हुआ एजेंडा है, जिसे लोग अभी भांप नहीं पा रहे हैं। लेकिन आने वाले दिनों में यह सबके सामने आ जाएगा। उन्होंने लोकतंत्र की ताकत को रेखांकित करते हुए कहा कि इस व्यवस्था में गरीब से गरीब आदमी भी उतना ही शक्तिशाली है जितना करोड़पति, क्योंकि सत्ता में कौन रहेगा और कौन बाहर जाएगा—यह फैसला एक वोट से होता है।
उन्होंने बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां चुनाव आयोग के जरिए लाखों वोट डिलीट कर दिए गए। “यहां तक कि अब ऐसा कानून बना दिया गया है कि चुनाव आयोग के कमिश्नर पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती। दुनिया के किसी लोकतंत्र में ऐसा नहीं होता। जज तक अगर गलती करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होती है, लेकिन चुनाव आयोग पर रोक क्यों? यह साफ बताता है कि केंद्र सरकार की सोच कितनी घृणित है।”
Breaking : केंद्र की नीतियां मतलब “इवेंट मैनेजमेंट”
सीएम ने केंद्र की नीतियों को “इवेंट मैनेजमेंट” करार देते हुए कहा कि असल मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए बड़े-बड़े कार्यक्रम किए जाते हैं। आदिवासी हितों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उनके साथ सिर्फ छल किया गया है। उन्होंने याद दिलाया कि पिछली बार भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर राष्ट्रपति को मुख्य अतिथि बनाया गया था और वे आने के लिए सहमत भी थीं, लेकिन आखिरी समय में कार्यक्रम रद्द हो गया। बाद में प्रधानमंत्री ने भव्य आयोजन कर यह दिखाने की कोशिश की कि आदिवासी समाज को सर्वोच्च स्थान मिल रहा है। असल में यह सिर्फ जुमला है। आदिवासी और दलितों को फिर से ठगने की तैयारी हो रही है।
Breaking : झारखंड की खनिज संपदा ने देशभर को रोशन किया है
हेमंत सोरेन ने झारखंड की स्थिति पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इस राज्य को लोग सोने की चिड़िया कहते हैं, क्योंकि यहां की खनिज संपदा ने देशभर को रोशन किया है। लेकिन बदले में राज्य को कुछ खास नहीं मिला। खनिज संपदा से कई लोग अरबपति बन गए, मुंबई में गगनचुंबी इमारतें खड़ी हो गईं, लेकिन वहीं पर एशिया का सबसे बड़ा स्लम भी है। यही हाल दिल्ली का है। कुछ इलाके चमक रहे हैं, बाकी की हालत खराब है।
उन्होंने कहा कि झारखंड के कई इलाकों में हालात भयावह हैं। रामगढ़ और धनबाद के लोग कोयले की आग से जूझ रहे हैं। यूरेनियम खनन वाले क्षेत्रों में हर तीसरा व्यक्ति गंभीर बीमारी से ग्रसित है। लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय से रोज़ मॉनिटरिंग सिर्फ इस बात की होती है कि कोयला, बॉक्साइट, आयरन की नीलामी समय पर हो रही है या नहीं। अगर नीलामी एक दिन भी लेट हो जाए तो अधिकारियों को फटकार लगती है। लेकिन यहां की जनता की तकलीफों की चिंता किसी को नहीं है।
अंत में सीएम ने कहा कि उनकी सरकार झारखंड की जनता की आवाज है। केंद्र सरकार चाहे जितनी साजिश रचे, लेकिन वे मजबूती से खड़े रहेंगे और राज्य के लोगों के हक के लिए लड़ते रहेंगे।
मदन सिंह की रिपोर्ट–
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