साहिबगंज : वीर शहीद सिदो-कान्हू के जन्मस्थली साहिबगंज के बरहेट स्थित भोगनाडीह में हूल दिवस मनाया जा रहा है.
इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शहीद स्थल पर पहुंचे जहां उन्होंने पूजा-अर्चना की.
उन्होंने इससे पहले ट्वीट कर अंग्रेज और महाजनों के शोषण के खिलाफ विद्रोह करने वाले
हूल क्रांति के महानायक अमर वीर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूल-झानो
समेत हज़ारों वीर शहीदों की शहादत को नमन किया.
झामुमो कार्यकर्ताओं ने निकाला मशाल जुलूस
वहीं मुख्यमंत्री के शहीद स्थल पर पहुंचने से पहले राजमहल सांसद विजय हांसदा के नेतृत्व में शहीद क्रांति स्थल पर हजारों की संख्या में झामुमो कार्यकर्ताओं ने मशाल जुलूस निकाला. यह मशाल जुलूस शहीद क्रांति स्थल पंचकठिया से निकलकर वीर शहीद सिदो-कान्हू के जन्मस्थली भोगनाडीह पहुंचा. सांसद विजय हांसदा ने पचकटिया स्थित क्रांति स्थल पर पूजा अर्चना किये. इस मशाल जुलूस में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए.
ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ शुरू की थी विद्रोह की आवाज
बता दें कि 30 जून 1855 को क्रांतिकारी नेता वीर शहीद सिदो-कान्हू मुर्मू के आह्वान पर भोगनाडीह में 20,000 से अधिक संथालों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह की आवाज शुरू की थी. जिसका नाम हूल दिया गया था. यह विद्रोह ब्रिटिश हुकूमत और महाजनी प्रथा के द्वारा लोगों के ऊपर हो रहे अत्याचार और शोषण के खिलाफ एक बहुत बड़ा आंदोलन का आगाज हूल का नाम देकर शुरू किया गया था.
अंग्रेजों के छुड़ा दिये थे छक्के
यह विद्रोह आदिवासियों की संघर्ष गाथा और उनके बलिदान को आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले नायकों को याद करने का खास दिन है. गुरुवार को समूचे झारखंड में रण बांकुरे सिदो-कान्हू और चांद-भैरव को याद करते हुए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह के प्रतीक के तौर पर हूल दिवस मनाया जा रहा है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने इस मौके पर शहीदों को नमन करते हुए राज्य वासियों से उनके आदर्शों को अपनाने का आह्वान किया है.
रिपोर्ट: अमन राय
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