टीका पर टिप्पणी CM नीतीश को नहीं है बर्दाश्त, RJD को दे दिया साफ-साफ मैसेज!

एसके राजीव 

पटना : टीका पर टिप्पणी – बिहार की राजनीति इन दिनों टीका और चंदन पर उलझी हुई है। दरअसल, में बिहार के

मुखिया ने जब टीके और चंदन को लेकर बहस शुरू की और मीडिया को इसके मायने बताये तो फिर कयासों का एक

दौर शुरु हो गया की क्या माथे पर लगाने वाला ये टिका और चंदन कहीं अब प्रदेश की सियासत में सियासी तो नहीं हो

गया है।

बिहार देश का एक ऐसा प्रदेश जहां सात में से छह धर्मों को मानने वाले लोग स्वचछंद तरीके से न सिर्फ रहते हैं।

बल्कि अपने विचारों को भी टीका और चंदन तो कभी बेद पुराण और ग्रंथ के माध्यम से इसे अभिव्यक्त भी करते हैं।

लेकिन अब इस बिहार को उनके ही नुमाइंदों की नजर लगने लगी है तभी तो यहां कभी राम को लेकर सवाल खड़े किए

जाते हैं तो कभी रामचरितमानस लिखने वाले तुलसीदास के अस्तित्व और उनके राम की प्रासंगिकता पर सवाल खड़ा

किया जाता है। अभी हाल के दिनों में सरकार के एक मंत्री चंद्रशेखर ने रामायण पर जब सवाल खड़े किए तो उनके

संरक्षक लालू ने भी उनकी सुर में सुर मिला दिया। सरकार के मुखिया टकटकी निगाहों से

सिर्फ अपने मंत्री को निहारते रहे लेकिन कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा सके।

टीका पर टिप्पणी

जाहीर है जब आपको संरक्षण मिलेगा तो आप और फैलेंगे। लिहाजा राजद के चंद्रशेखर खुद को असली चंद्रशेखर जिसे

शिव भी कहा जाता है समझते हुए अपनी मुहीम को जारी रखा फिर भी नीतीश मौन होकर सिर्फ निहारते ही रहे।

बात यहीं तक रहती तो ठीक थी लेकिन चंद्रशेखर से भी एक कदम आगे निकलकर लालू के करीबी सखा और राजद के

प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद ने जब माथे पर लगाने वाले टीकापर सवाल किया तो नीतीश बिलबिला उठे। नीतीश पहले तो कुछ

मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना की और फिर टीका भी लगवाया। साथ ही टीका विवाद पर बयान देते हुए लालू प्रसाद को

स्पष्ट संदेश दे दिया कि चाहे वह मंत्री चंद्रशेखर के विवादित बोल हों या राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के टीका पर

टिप्पणी उससे वह सहमत नहीं हैं।

उन्होंने इंडिया महागठबंधन के नेताओं को भी बड़ा संदेश दिया कि वे धर्म को राजनीति में शामिल करने के खिलाफ है।

तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि और ए राजा के बयान पर उन्होंने अपरोक्ष रूप से प्रहार करते हुए कहा कि हमारी सरकार

और पार्टी किसी भी धर्म का विरोध नहीं करती। मीडिया के कैमरों के सामने अपने एक मंत्री अशोक चौधरी के तिलक लगे

माथे को एक माथे से टकरा कर इसपर अपनी मुहर भी लगा दी।

इन दिनों सनातन धर्म पर विवादित बयान दे कर राष्ट्रीय राजनीति में एक नई जमीन तलाश करने की कोशिश की जा रही

है जिसमें बिहार भी पीछे नहीं है। बहरहाल, नीतीश ने टीका लगाए अपने मंत्री और नेता का माथा लड़ाकर साफ संदेश दे

दिया है कि वे उनकी राजनीति से सहमत नहीं हैं जो धर्म पर अनर्गल प्रलाप करते हैं। नीतीश नहीं चाहते कि महागठबंधन

में रहने के बाद भी उनपर कोई धर्म से संबंधित लांछन लगे क्योंकि नीतीश की यूएसपी भी यही रही है जिसे नीतीश

चाहकर भी खोना नहीं चाहेंगे। यानी धर्म के आधार पर ही नीतीश ने नरेंद्र मोदी से भी बैर लिया और अब लालू से भी

लड़ने को तैयार हैं।

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