लखनऊ : महाकुंभ को CM Yogi ने बताया देश और दुनिया का संतुष्टीकरण। महाकुंभ को लेकर अब तक विपक्षी दलों के यूपी सरकार और भाजपा पर बोले गए हमलों का बुधवार को यूपी विधानसभा में बजट सत्र के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के क्रम में CM Yogi आदित्यनाथ ने बिंदुवार करारा जवाब दिया।
Highlights
अपने संबोधन में CM Yogi ने कहा कि – ‘…महाकुम्भ में देश के सामान्य नागरिक, उद्योगपति, महामहिम राष्ट्रपति जी, उपराष्ट्रपति जी, प्रधानमंत्री जी, केंद्रीय मंत्रिगण स्नान के लिए आए। देश-दुनिया के सेलिब्रिटी भी प्रयागराज आ रहे हैं।
…उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश भी पुण्य की प्राप्ति कर रहे हैं। समाज का हर तबका प्रयागराज के लिए उमड़ रहा है। इसका प्रचार करना व प्रदेश की उपलब्धि को देश दुनिया के सामने रखना आवश्यक है।
देश-विदेश का जो श्रद्धालु व पर्यटक कुम्भ में डुबकी लगा रहा है, वह वहां की व्यवस्थाओं, जल, आयोजन तथा एकात्मकता की भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहा है।
…यह तुष्टीकरण नहीं, बल्कि 56 करोड़ लोगों को महाकुम्भ आने का संतुष्टीकरण है। …देश और दुनिया का संतुष्टीकरण है।’
‘यूपी की ताकत का अहसास कर रही दुनिया…’
CM Yogi आदित्यनाथ ने इसी क्रम में आगे कहा कि – ‘…यह दर्शाता है कि भारत की ताकत का एहसास दुनिया कर रही है और उत्तर प्रदेश की ताकत का एहसास पूरा भारत कर रहा है। यह इस बात का भी प्रतीक है कि उत्तर प्रदेश इतने बड़े आयोजन को कर सकता है।
…उत्तर प्रदेश में भी केवल प्रयागराज इस आयोजन को कर सकता है। प्रदेशवासियों को इस आयोजन से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। वाराणसी में भी देश भर से प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं। जो भी वाराणसी आ रहा है, वह उत्तर प्रदेश के बारे में एक नई धारणा लेकर जा रहा है।
…यही स्थिति अयोध्याधाम में भी है। बड़ी संख्या में लोग यहां आ रहे हैं और श्रद्धाभाव से अयोध्या से जुड़ रहे हैं। लोग आध्यात्मिक रूप से पुण्य के भागीदार भी बन रहे हैं और यहां की आर्थिक समृद्धि का द्वार भी खोल रहे हैं।
…महाकुम्भ मेले की व्यवस्था के लिए केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार ने सात से साढ़े सात हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसमें महाकुम्भ के आयोजन के लिए 1500 करोड़ रुपये तथा शेष प्रयागराज और उसके आसपास के इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए खर्च किए गए हैं।
…9 रेलवे स्टेशनों के सुदृढ़ीकरण और विस्तारीकरण के कार्य हुए हैं। उनमें होल्डिंग एरिया बनाए गए हैं। प्रयागराज एयरपोर्ट के सिविल टर्मिनल का विस्तारीकरण हुआ है। पहले वहां दो एयरोड्रम थे। इस बार वहां 6 एयरोड्रम बनाए गए हैं, जिसके माध्यम से वहां छह हवाई जहाज एक साथ खड़े हो सकते हैं। अब तक साढ़े 7 सौ से अधिक रेगुलर और चार्टर्ड फ्लाइट्स वहां उतर चुकी हैं।
…प्रयागराज के हिमालयन इन्स्टीट्यूट ने महाकुम्भ मेले की कुछ महत्वपूर्ण बातों की ओर ध्यान आकृष्ट किया है। उन्होंने कहा है कि आज प्रत्येक भारतीय के मानस पटल पर एक अनोखी जागृति आई है। वह परम उदात्त और आध्यात्मिक शक्ति के आवाहन से महाकुम्भ में आ रहे हैं। ऐसी विशालता और भव्यता उन्हें कभी नहीं दिखाई दी।
…अनन्त विविधताओं को अपने में समेटे हुए यह महाकुम्भ मेला अपने आप में अद्वितीय है। इस मेले में सभी रास्तों, धर्म और विचारधाराओं वाले लोग भाग ले रहे हैं तथा लाभान्वित हो रहे हैं। यह मेला प्रगति के पथ पर अग्रसर महान भारत देश की आध्यात्मिक संपत्ति, उसकी सर्वांगीण संस्कृति और सभ्यता की आराधना का स्वरूप है।
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…समूचे विश्व के आध्यात्मिक जिज्ञासु तथा सामान्य मानव समाज महाकुम्भ मेले के प्रति जागरूक हो गए है। यह महाकुम्भ मेला भारत की अगाध आध्यात्मिक परम्पराओं के मूल स्रोत दर्शित करता है। यह मेला विश्व के अनेक विचारधाराओं को नेतृत्व प्रदान कर रहा है।
…हिमालयन इन्स्टीट्यूट ने यह भी कहा है कि महाकुम्भ मेले को ऐसा स्वरूप देने में कितना प्रयत्न करना पड़ा होगा, कितने संसाधन जुटाने पड़े होंगे, किस प्रकार उच्च स्तरीय नेतृत्व शक्ति का संचय और सदुपयोग किया गया होगा, इसका अनुमान महाकुम्भ मेले में प्रवेश करते ही हो जाता है।
…महाकुम्भ मेले को सफलता की चोटी पर पहुंचाने के लिए सरकार के शीर्ष पद पर विराजमान समस्त अधिकारी प्रशंसा और धन्यवाद के पात्र हैं। इस महान स्वरूप को विश्व के मानचित्र पर सदा-सदा के लिए सर्वोच्च पद पर आसीन करने के लिए आप सबका हम शत-शत नमन और आभार व्यक्त करते हैं।’
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CM Yogi : महाकुम्भ में कोई भूखा नहीं रह सकता…
CM Yogi यहीं पर नहीं रुके। वह पूरी रिपोर्ट का लेखाजोखा लेकर सदन में बोलने पहुंचे थे। CM Yogi ने आगे कहा कि – ‘…यह आलोचना की गई कि महाकुम्भ में लोग भूखे रह गए, लेकिन सनातन धर्म के आयोजन में कोई भूखा नहीं रहता। हम मां अन्नपूर्णा की पूजा करते हैं कि वह हमें दूसरों को भी भोजन करा सकनें की सामर्थ्य दें।
…प्रयागराज महाकुम्भ में जो भी आया वह भूख नहीं गया। वाराणसी, अयोध्या, प्रयागराज में भी सेवा चल रही है। प्रयागराज, अयोध्या और काशी ने अतिथि देवो भवः का सबसे उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया है।
…महाकुम्भ में कोई भूखा नहीं रह सकता है। गुरुद्वारा, मठ, मंदिर में लंगर निःशुल्क चलते हैं। यह हमारी परम्परा है कि गुरुद्वारा, मठ, मंदिर में व्यक्ति की जाति, पंथ, क्षेत्र, भाषा पूछे बगैर किसी भी व्यक्ति को सम्मानजनक ढंग से अतिथि मानकर उसका सम्मान किया जाता है।
…हमारे यहां तीर्थयात्राएं होती हैं। लोग बड़ी श्रद्धा के साथ तीर्थयात्रा पर जाते हैं, यह हमारी आस्था है। लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। हर व्यक्ति प्रयागराज महाकुम्भ में आना चाहता है।
…महाकुम्भ के दौरान भारतीय रेलवे का कार्य भी बहुत अभिनन्दनीय रहा है। रेलवे द्वारा 3,000 से अधिक विशेष ट्रेनें चलाई गई है, जिनके 13,000 से अधिक फेरे प्रयागराज महाकुम्भ के लिए लगाए गए हैं। 10 स्थान पर होल्डिंग एरिया भी बनाने के कार्य किए गए हैं।
…केंद्रीय रेल मंत्री स्वयं इस कार्य का समन्वय कर रहे हैं। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, डीआरएम और अन्य सभी अधिकारी पूरी तत्परता से इस आयोजन के साथ जुड़े हुए हैं। प्रयागराज से लोगों को उनके गन्तव्य स्थल तक पहुंचाने के लिए आवश्यक ट्रेनों की व्यवस्था के लिए पूरा सहयोग मिला है।
…यही कारण है कि महाकुम्भ का आयोजन भव्यता और दिव्यता के साथ आगे बढ़ पाया है। स्थानीय प्रशासन के साथ पूरा समन्वय बनाया गया है। पहली बार महाकुम्भ के आयोजन में आर्टिफिशियल इन्टेलिजेंस का भी प्रयोग किया गया है। कुम्भ सहायक चैटबॉट के माध्यम से 11 भाषाओं में संवाद की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
…गूगल के साथ एक एमओयू किया गया है, जिसके माध्यम से सभी सेक्टर के रास्ते सहित अन्य जानकारियां उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। क्यूआर कोड के माध्यम से भी लोग अपने गन्तव्य की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। महाकुम्भ के आयोजन के विषय में जानकारी देने के लिए एक डिजिटल महाकुम्भ एक्सपीरियंस सेण्टर भी बनाया गया है।
…प्रयागराज के अस्पतालों में 6,000 बेड्स की व्यवस्था की गई है। महाकुम्भ में 360 बेड का अस्पताल, अरैल और झूंसी में 25-25 बेड के 01-01 अस्पताल सहित 20-20 बेड के दो व 10-10 बेड के अस्पतालों की व्यवस्था की गई है।’
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CM Yogi बोले – अव्यवस्था का पर्याय था वर्ष 2013 का कुंभ…
इसी क्रम में दस्तावेजों का हवाला देते हुए CM Yogi ने कहा कि –‘… वर्ष 2013 के 55 दिवसीय प्रयागराज कुम्भ में 12 करोड़ श्रद्धालु आए थे। उस आयोजन को हादसों, अव्यवस्था और भ्रष्टाचार के पर्याय के रूप में देखा गया था। उस समय एक बड़े अग्निकांड की घटना भी घटित हुई थी।
…वर्ष 2013 के कुम्भ के विषय में सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया था कि श्रद्धालु कुम्भ मेले में आस्था की डुबकी लगा रहे थे, तब कुम्भ मेला प्रशासन भ्रष्टाचार में डूबा हुआ था। तत्कालीन प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से दिए गए फंड से ही पूरा मेला संपन्न कर दिया, जबकि राज्य सरकार को भी अपने स्तर पर धनराशि खर्च करनी थी।
…वर्ष 2013 के कुम्भ में केन्द्र सरकार के 1,141 करोड़ 63 लाख रुपये खर्च हुए, वहीं राज्य सरकार ने मात्र 10 करोड़ 57 लाख रुपये खर्च किए। राज्य सरकार ने आयोजन के लिए पैसा ही नहीं दिया। मेला शुरू होने तक 59 प्रतिशत कार्य और 19 प्रतिशत आपूर्ति से जुड़ें कार्य पूरे ही नहीं हुए थे।
…मेला प्रशासन ने 8.72 करोड़ रुपये से 02 घाटों का निर्माण कराया, जो कुम्भ मेले के काम से सम्बन्धित ही नहीं थे। 111 निर्माण कार्यों में से 81 में तकनीकी स्वीकृति नहीं ली गई। बिना काम का परीक्षण किये ही सड़क चौड़ीकरण के कार्य हेतु 57 करोड़ 41 लाख रुपये और उनकी मरम्मत में 46 करोड़ 68 लाख रुपये दे दिए गए।
…सीएजी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 9 करोड़ 01 लाख रुपये की सामग्री बिना जरुरत के ही खरीदी गई। मोबिलाइजेशन और मशीनरी के एडवांस भुगतान के अलावा 23 ठेकेदारों को 4 करोड़ 65 लाख रुपये एडवांस देकर अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
…ट्रैक्टर की लॉग बुक की जांच में यह पाया गया कि एक ट्रैक्टर एक ही समय में दो जगह काम कर रहा था। 30 मजदूर एक ही समय में दो जगह पर कार्य करते हुए दिखाए गए। ट्रैक्टरों की आपूर्ति के अनुबन्ध में सभी टैक्स शामिल थे। इसके बावजूद दो ठेकेदारों को सेवा कर का अलग से भुगतान किया गया।
…शौचालय की कमी होने की वजह से एक दिन में औसतन 900 लोगों ने एक शौचालय का इस्तेमाल किया। कई स्थानों पर पुरुष और महिला शौचालयों के बीच विभाजन की दीवार भी नहीं थी।
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…सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया कि वर्ष 2013 के कुम्भ में 50 फ़ीसदी कल्पवासियों को बीपीएल कार्ड उपलब्ध कराए गए। उन्हें यह राशन कार्ड भी तब उपलब्ध कराए गए, जब मेले की चार पावन तिथियां बीत चुकी थी। उन्हें कम दरों पर खाद्य सामग्री उपलब्ध नहीं हो सकी।
…पेयजल के लिए लगाए गए नलों से हर हफ्ते पानी के नमूने लिए जाने थे। 201 में से महज 6 नलों में ही नमूने लिए गए। स्नान घाटों पर कपड़े बदलने के लिए कोई चेंजिंग रूम नहीं था। कई पाण्टून पुलों पर जल पुलिस और एम्बुलेंस की व्यवस्था नहीं थी। सीएजी ने मेले में सड़क चौड़ीकरण और सड़क की मरम्मत से लेकर घाटों के निर्माण तथा भीड़ का नियन्त्रण करने के लिए बैरिकेडिंग करने के काम में भी भ्रष्टाचार पाया था।
…वर्ष 1954 की कुम्भ में 800 से अधिक श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई थी। यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना तब घटित हुई थी, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री और तत्कालीन राष्ट्रपति एक दिन पूर्व इसमें भागीदार बने थे। वर्ष 1974 और वर्ष 1986 के कुम्भ के आयोजन में सैकड़ो लोगों की मृत्यु हुई थी।
…कुछ लोग आज महाकुम्भ के महा आयोजन पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहे हैं, उन्हें पूर्व के आयोजनों पर भी ध्यान देना चाहिए। …महाकुम्भ में कोई भी VIP कल्चर नहीं है। …यदि VIP कल्चर होता, तो 37 से 38 दिनों में 56 करोड़ लोग त्रिवेणी में आस्था की पावन डुबकी नहीं लगा सकते थे।’