रांची: ठगी का नया हथियार – साइबर ठग अब नए और बेहद खतरनाक तरीकों से लोगों को अपने जाल में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। ताजा मामला झारखंड की राजधानी रांची स्थित रिम्स (राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान) से सामने आया है, जहां कुछ डॉक्टरों को कोड मैसेज के जरिए ठगने की कोशिश की गई।
जानकारी के अनुसार, सोमवार को रिम्स के सर्जन डॉ. निशित एक्का को एक अनजान नंबर से फोन कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को डिलीवरी एजेंट बताया और कहा कि उनका एक जरूरी पार्सल आने वाला है। इसके लिए उन्हें एक कोड नंबर भेजा गया है, जिसे कॉपी कर डिलीवरी बॉय को कॉल करना होगा।
डॉ. एक्का ने जब उस कोड को देखा, तो उन्हें शक हुआ क्योंकि वह एक सामान्य मोबाइल नंबर नहीं, बल्कि 21(मोबाइल नंबर)# जैसे प्रारूप में था। उन्होंने जब साइबर सिक्योरिटी से जुड़े जानकारों से संपर्क किया, तो पता चला कि यह एक कॉल फॉरवर्डिंग कोड है। यदि कोई व्यक्ति इसे अपने मोबाइल से डायल कर देता है, तो उसकी सारी कॉल और मैसेज किसी अन्य नंबर पर फॉरवर्ड हो जाते हैं। यही नहीं, इससे संबंधित डिवाइस के डेटा तक पहुंच बना लेना साइबर ठगों के लिए आसान हो जाता है।
डॉ. एक्का ने तत्काल सतर्कता बरतते हुए कोड को डायल नहीं किया और साइबर सेल के टोल फ्री नंबर पर संपर्क साधने की कोशिश की, हालांकि फोन नहीं उठ पाया। इसके बाद उन्होंने ठगी के प्रयास को लेकर लिखित शिकायत दर्ज कराने का निर्णय लिया।
बताया जा रहा है कि रिम्स के कई अन्य डॉक्टरों को भी इसी तरह के कॉल प्राप्त हुए हैं। हालांकि उनकी सतर्कता और जागरूकता के कारण वे ठगी का शिकार होने से बच गए हैं।
कैसे करते हैं साइबर ठग ठगी?
ठग पहले अनजान नंबर से कॉल कर खुद को डिलीवरी एजेंट बताते हैं।
वे कहते हैं कि एक जरूरी पार्सल है, जिसके लिए कोड भेजा गया है।
कोड आमतौर पर 21(फोन नंबर)# जैसे फॉरवर्डिंग कोड होते हैं।
यूजर अगर इसे डायल करता है, तो उसकी सभी कॉल और मैसेज उस नंबर पर फॉरवर्ड हो जाते हैं।
इसके बाद ठग उस डिवाइस से संबंधित कई जानकारियों को एक्सेस कर लेते हैं।
ठगी का नया हथियार – सावधानी जरूरी:
साइबर सेल के विशेषज्ञों का कहना है कि कोई भी कोड डायल करने से पहले उसकी जांच करें। किसी अनजान स्रोत से आया कोड बिना पुष्टि के डायल करना आपके मोबाइल की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।
Highlights