डॉ आंबेडकर कल्याण छात्रावास, कतीरा, आरा के संविदा कर्मियों ने उचित मानदेय और अमानवीय व्यवहार के खिलाफ उठाई आवाज़
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भोजपुर: भोजपुर के आरा शहर में कतीरा में स्थित डॉ आंबेडकर कल्याण छात्रावास में कार्यरत सुरक्षाकर्मी, सफाईकर्मी और रसोइयाकर्मी भीषण आर्थिक संकट और अमानवीय व्यवहार का सामना कर रहे हैं। इन संविदा कर्मियों ने आज कल्याण विभाग से तत्काल हस्तक्षेप की मार्मिक अपील की है। उन्होंने आरोप लगाया कि ठेकेदार, शिवा प्रोटेक्शन फ़ोर्स प्रा लिमिटेड उन्हें सरकार द्वारा निर्धारित मानदेय से लगातार कम भुगतान कर रहा है और विभिन्न प्रकार की अनियमितताओं तथा उत्पीड़न में लिप्त है।
किया जाता है तय राशि से कम भुगतान
कर्मियों ने कंपनी पर कई गंभीर आरोप लगाये और कहा कि कंपनी संविदा पर कार्यरत सुरक्षाकर्मियों को नियत 15800 रूपये की जगह मात्र 7500 रूपये, सफाईकर्मी को 14600 रूपये की जगह 6500 रूपये और रसोइया को 19 हजार रूपये की जगह 10 हजार रूपये का भुगतान कर रही है। कर्मियों के वेतन में भारी कटौती की वजह से एक तरफ जहां सभी कर्मियों के सामने आर्थिक परेशानी मुंह बाये खड़ी है तो दूसरी तरफ कंपनी गलत तरीके से बेहिसाब मुनाफा कमा रही है। कर्मियों ने कंपनी पर बिना किसी कारण के दो से तीन दिनों का वेतन काट लेने का भी आरोप लगाया है।
साप्ताहिक अवकाश का कंपनी काट लेती है पैसा
इसके साथ ही कहा कि कंपनी रविवार को साप्ताहिक अवकाश के दिन का वेतन भुगतान नहीं करती है, वर्दी भी निम्न गुणवत्ता वाली दी गई है। कर्मियों के पोशाक के लिए कंपनी को 5000 रूपये दिए गए लेकिन कंपनी ने घटिया क्वालिटी का पोशाक उपलब्ध करवाया है। ईपीएफ के नाम पर प्रत्येक कर्मचारी के वेतन से 2500 रूपये काटे जाते हैं, लेकिन उनके मोबाइल पर केवल 1800 रूपये जमा होने का संदेश आता है। 700 रूपये प्रति कर्मचारी प्रति माह की सीधी धोखाधड़ी का संकेत देता है, जो कर्मचारियों के भविष्य की बचत पर सीधा हमला है।
अमानवीय व्यवहार और विभागीय उदासीनता
कर्मचारियों का आरोप है कि जब वे अपने उचित मानदेय और अधिकारों की मांग करते हैं, तो शिवा प्रोटेक्शन फ़ोर्स प्रा लिमिटेड के क्षेत्रीय प्रबंधक अजीत कुमार उनके साथ अभद्र व्यवहार करते हैं। उन्हें अपना हिसाब ले लो और यहाँ से चले जाओ जैसी धमकियाँ देते हैं, जिससे उनमें डर और असुरक्षा का माहौल है। भुगतान में भी जानबूझकर देरी की जाती है, और ठेकेदार यह कहकर बहाना बनाता है कि भुगतान तभी किया जाएगा जब विभाग से पैसा मिलेगा।
कर्मचारियों ने इस संबंध में लिखित और मौखिक रूप से कल्याण विभाग के कल्याण पदाधिकारी को शिकायत की है, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी है। कल्याण पदाधिकारी का कहना है कि आप लोग एजेंसी से समझिए, हम इसमें कुछ नहीं कर सकते। जो भी करेगा वह एजेंसी ही करेगा। इस तरह अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते हैं, जिससे कर्मचारियों को लगता है कि उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं है। हम लोगों का दुख न एजेंसी सुनता है न पदाधिकारी, ऐसे में हम लोगों को आत्महत्या के सिवाय कुछ और रास्ता नहीं है।
व्यापक शोषण और उच्च स्तरीय जाँच की मांग
यह मामला केवल कतीरा स्थित छात्रावास तक सीमित नहीं है। कर्मचारियों का कहना है कि इसी शिवा प्रोटेक्शन फ़ोर्स प्रा लिमिटेड एजेंसी का अनुबंध मौलाबाग कल्याण छात्रावास, महिला स्कूल छात्रावास, और धरहरा छात्रावास में भी है, और हर जगह कर्मचारियों के साथ उनका यही रवैया है। यह स्थिति सरकारी छात्रावासों में संविदा कर्मियों के व्यापक शोषण की एक भयावह तस्वीर प्रस्तुत करती है और सरकारी दिशानिर्देशों के खुले उल्लंघन को उजागर करती है।
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