रामगढ़ः संतोष महतो, रामगढ़ विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि पूरे देश के लिए आर्चबिशप कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो का निधन निश्चित रूप से अपूरणीय क्षति है। आदिवासी समाज से देश के पहले आदिवासी आर्चबिशप कार्डिनल तक का सफ़र करने वाले पहले और इकलौते व्यक्ति थे आर्चबिशप कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो।
4 अक्तूबर को दोपहर उनकी मौत हो गई। वे परमवीर अल्बर्ट एक्का के जन्मस्थान गुमला जिले में जन्मे कार्डिनल का व्यक्तित्व काफी करिश्माई था और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक उनके मुरीद थे। कार्डिनल का जीवन सादगी और सरलता की मिसाल रही है।
आदिवासियों की कलीसिया को उन्होंने वैश्विक पहचान दिलायी है। उनका आध्यात्मिक जीवन असाधारण रूप से सरल और उल्लेखनीय था, वे प्रार्थना और गहरी आस्था वाले व्यक्ति थे। मसीह और सार्वभौमिक चर्च के साथ एकता में उनका विश्वास अटल था। उनकी ऊर्जा का स्रोत और रहस्य पूरी तरह से पवित्र संस्कारों और प्रार्थनाओं में निहित था।
संतोष महतो ने कहा कि कार्डिनल सरना धर्म कोड के समर्थक थे।उन्होंने स्पष्ट कहा था कि यदि आदिवासी सरना धर्म कोड कि माँग कर रहे हैं तो यह उन्हें मिलना ही चाहिए। उन्होंने कहा था कि आदिवासियत धर्म पर आधारित नहीं है।आदिवासी जन्म से होते हैं और उनको कोई नहीं बदल सकता है।
यदि किसी राज्य की सरकार उन्हें अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा नहीं देती है तो वह दूसरी बात है लेकिन आदिवासियों की पहचान और संस्कृति सुरक्षित होनी चाहिये। संतोष महतो ने उनको श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका जीवन समस्त ना सिर्फ़ ईसाई समाज बल्कि समस्त धर्मावलम्बियों के लिए अनुसरण करने योग्य है और अनवरत सर्वांगीण विकास करने की प्रेरणा देता है।