आरा : भाकपा-माले जिला कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए दीपंकर भट्टाचार्य महासचिव ने भारत निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची का ‘विशेष सघन पुनरीक्षण’ शुरू किए जाने पर कहा कि यह बिहार में एनआरसी की प्रक्रिया है। इससे वंचित समुदाय के लाखों लोगों के नाम मतदाता सूची से बाहर हो जाएगा।
चुनाव आयोग ने एक ऐसी घोषणा की है जिससे आपातकाल की याद फिर ताजा हो गया
उन्होंने कहा कि आज 25 जून है आपातकाल के 50 वर्ष पूरा हो रहा है। आज चुनाव आयोग ने एक ऐसी घोषणा की है जिससे आपातकाल की याद फिर ताजा हो गया। बिहार में चुनाव होना है और यहां आठ करोड़ मतदाता है। चुनाव आयोग इसे मान्यता नहीं दे रहा है। इसलिए उसने 25 जून से 25 जुलाई तक एक माह में घर घर जाकर मतदाताओं से वोटर होने का सबूत मांगेंगे। जिस तरह असम में एनआरसी के समय हुआ। असम में तो वर्ष भर लगा, दो राउंड हुआ तब जाकर पूरा हुआ। क्या बिहार में आठ करोड़ वोटर का मतदाता विशेष सघन पुनरीक्षण एक माह में पूरा हो सकता है। यह पुनरीक्षण नही वोटर बंदी है। बिहार के मतदाताओं का वोटिंग राइट छीनने की तैयारी है। इस पर तत्काल रोक लगे।
2 जुलाई 2004 के बाद जन्मे लोगों को माता-पिता दोनों के नागरिक होने के प्रमाण देने की जो शर्तें लगाई जा रही है
विदित हो कि चुनाव आयोग के नए गाइडलाइन के तहत एक जुलाई 1987 से दो दिसंबर 2004 के बीच जन्मे किसी व्यक्ति को अपने माता या पिता में से किसी एक के भारतीय नागरिक होने और दो जुलाई 2004 के बाद जन्मे लोगों को माता-पिता दोनों के नागरिक होने के प्रमाण देने की जो शर्तें लगाई जा रही है। इस पूरी प्रक्रिया को एक महीने के ही भीतर पूरी भी कर लेना है। उन्होंने कहा कि अब जब चुनाव की घोषणा में महज दो महीने का समय रह गया है। इस तरह की कवायद क्यों की जा रही है।
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नेहा गुप्ता की रिपोर्ट