रांची : पारस अस्पताल के डॉक्टर ने धनबाद निवासी 35 वर्षीय महिला को नयी जिंदगी दी.
अस्पताल के यूरोलॉजी के सीनियर कंसलटेंट डॉ शौमिक चटर्जी के नेतृत्व में
पेशाब की कृत्रिम थैली बनाकर महिला मरीज की जान बचायी.
बता दें कि धनबाद की रहने वाली महिला अपने दूसरे बच्चे के साथ गर्भवती थी,
अचानक ही तेज़ दर्द के कारण उन्हें धनबाद के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया.
जहां उनका इलाज डॉक्टरों की निगरानी में हो रही थी, लेकिन डॉक्टर के
अनुपस्थिति एवं महिला की नाजुक स्थिति को देखते हुए आनन-फानन में उनका
सिजेरियन किया गया एवं मां और बच्चे, दोनों की जान बचा ली गई.
बेहतर इलाज के लिए मरीज को पारस हॉस्पिटल किया रेफर
ऑपरेशन के बाद ये पाया गया कि महिला के पेशाब की थैली फट चुकी थी. वहां के डॉक्टर ने यूरोलोजिस्ट की सहायता ली, लेकिन थैली की अवस्था ठीक नहीं हो पायी एवं थैली से पेशाब का श्राव निरंतर होता रहा. इसके साथ-साथ महिला की शारीरिक अवस्था ख़राब होती चली गई. इसके बाद वहां के डॉक्टर एवं अस्पताल प्रबंधन ने बेहतर इलाज के लिए रांची स्थित पारस हॉस्पिटल में मरीज को रेफर कर दिया.
डॉ. सौमिक चटर्जी के नेतृत्व में हुआ सफल ऑपरेशन
जहां मरीज को तुरंत भर्ती कराया गया. सीनियर कंसलटेंट-यूरोलॉजी डॉक्टर सौमिक चटर्जी इसकी जांच में लग गए. उन्होंने पाया कि पेशाब की नली एवं थैली से निरंतर पेशाब का स्त्राव हो रहा है एवं दोनों किडनी धीरे-धीरे काम करना बंद कर रही थी. पेट में पानी जमने के साथ-साथ क्रिएटिन स्तर 2.4 हो चुका था, जो किडनी फेलियर को दर्शाता है. दूरबीन से जांच करने के बाद पता चला पेशाब के थैली के 90 प्रतिशत भाग खराब हो चुके हैं. जिसका परिणाम यह होता है कि मरीज के पेशाब के रास्ते को बाहर निकाल दिया जाता है तथा पूरी जिंदगी मरीज को उस थैले को धोना पड़ता है.
महिला मरीज के पेट में बनाई गई कृत्रिम पेशाब की थैली
डॉ शौमिक चक्रवर्ती के नेतृत्व में पारस अस्पताल के यूरोलॉजी, सर्जरी, एनेसथेसिया व क्रिटिकल केयर की टीम संगठित की गई और उन्होंने मिलकर एक निर्णय लिया जहां उस महिला मरीज के पेट में कृत्रिम पेशाब की थैली बनाई गई और उसे दोनों किडनियों के नलियों से जोड़ दिया गया. कुछ दिनों के उपरांत महिला पूरी तरह स्वस्थ है और कृत्रिम थैली में कोई रिसाव नहीं पायी गई. आज वो महिला थैली से मुक्त है और अपने परिवार व नवजात के साथ स्वस्थ है.
जब मरीज के मुंह से निकाल थैंक यू पारस, पारस हॉस्पिटल ने बदल दी जिंदगी