डिजीटल डेस्क : संभल में बाहरी लोगों की एंट्री पर 10 तक रोक, सपा ने कहा- इमरजेंसी वाले हालात। उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के बाद अब भले ही भारी-भरकम पुलिस बलों की मौजूदगी में भले ही शांति का माहौल है लेकिन उस पर सियासत तेज हो गई है।
शनिवार को सपा के प्रतिनिधिमंडल ने यूपी के नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय की अगुवाई में मौके पर जाकर हालात का जायजा लेना तय किया लेकिन प्रशासन ने संभल में बाहरी लोगों की एंट्री पर रोक लगा दी है। इस बीच प्रशासन ने नेता प्रतिपक्ष को संभल न आने के लिए कहा है। साथ ही नेता प्रतिपक्ष के घर के बाहर लखनऊ में पुलिस की तैनाती कर दी गई।
उसके जवाब में नेता प्रतिपक्ष और विधानसभा में सपा विधायक दल नेता माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि – ‘ये तो इमरजेंसी वाले हालात हैं’।
माता प्रसाद पांडेय बोले – सच्चाई पर पर्दा डाल रही सरकार
संभल जाने से लखनऊ में अपने आवास पर रोक दिए जाने पर नेता प्रतिपक्ष और यूपी विधानसभा में सपा विधायक दल नेता माता प्रसाद पांडेय ने कहा – ‘यह इमरजेंसी है। हमारे यहां या तो इमरजेंसी में पुलिस लगी थी या फिर अभी लगी है। वही हालात हैं। …नियमानुसार हमें लिखित नोटिस मिलना चाहिए। हमें कोई लिखित नोटिस नहीं मिला।
…न्याय आयोग, प्रेस-मीडिया के लोग वहां जा रहे हैं। अगर हम चले जाएंगे तो क्या वहां अशांति पैदा हो जाएगी? …ये सरकार जानबूझकर अपने कार्यों पर पर्दा डालने के लिए हमें रोक रही है।… संभल का कमिश्नर ‘उधारू’ कमिश्नर हैं’।

नेता प्रतिपक्ष समाजवादी पार्टी कार्यालय जाने पर अड़े, बोले – मैं तो जाऊंगा
इसी क्रम में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने आगे कहा कि – ‘…संभल डीएम ने मुझे फोन कर वहां न आने को कहा है। मैं तो पार्टी कार्यालय जाऊंगा और तय करूंगा कि आगे क्या करना है। हम किसी को भड़काते नहीं हैं। उन्हें मुझे नोटिस देना चाहिए था, लेकिन बिना किसी नोटिस के उन्होंने मेरे आवास के बाहर पुलिस तैनात कर दी’।
बता दें कि इससे पहले डीजीपी के कार्रवाई के आश्वासन पर प्रतिनिधिमंडल ने संभल जाना रद्द कर किया था और 30 नवंबर शनिवार को सपा प्रतिनिधिमंडल ने मौके पर जाना तय किया था।
दो दिन पहले विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने प्रेस वार्ता कर संभल हिंसा को लेकर सरकार को घेरते हुए कहा था कि – ‘संभल हिंसा पर डीजीपी ने निष्पक्ष जांच होने का भरोसा दिया है। हम लोग आज मौके पर जाने वाले थे। लेकिन, हमें तीन दिन बाद जाने के लिए बोला गया है। प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का पालन नहीं हो रहा है।
…घटना के दिन सांसद जियाउर्हमान संभल में नहीं थे। भाजपा सरकार संविधान को नहीं मानती है। पुलिस अपने बचाव के लिए कुछ भी बयान दे रही है। इस सरकार को लोकतंत्र में भरोसा नहीं है’।
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