सबको रुलाकर सुपुर्दे ख़ाक हुए पूर्व विधायक कमल किशोर

Lohardaga: झारखंड आंदोलनकारी, आजसू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और लोहरदगा के पूर्व विधायक 55 वर्षीय कमल किशोर भगत का पार्थिव शरीर 18 दिसंबर को पंचतत्व में विलिन हो गया. कुडू प्रखंड के चंपा बांध स्थित मसना में पूरे राजकीय सम्मान के साथ उन्हें सुपुर्दे ख़ाक किया गया. अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शन के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा. जहाँ भी नज़र जाती लोगों का हुजुम दिखलाई पड़ता.

इस दौरान सबके जुबां पर बस एक ही सवाल था कि ऐसा कैसे हो गया?  क्या पक्ष और क्या विपक्ष सभी दलों के कार्यकर्ता और नेता  उनके अंतिम दर्शन में मौजूद रहें.  कार्यकर्ताओं का रो-रो कर बुरा हाल था.

जब तक सूरज चाँद रहेगा, कमल किशोर का नाम रहेगा

जब तक सूरज चाँद रहेगा, कमल किशोर का नाम रहेगा, कमल किशोर भगत अमर रहे का जयघोष माहौल को गमगीन बना रहा था.

आजसू सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो, प्रवक्ता देवशरण भगत, चन्दन कियारी के पूर्व विधायक उमाकांत रजक, जुगसलाई विधयक रामचंद्र सहिस, गीताश्री उरांव, वर्षा गाड़ी, पूर्व विधायक सुखदेव भगत, सांसद सुदर्शन भगत, हटिया विधायक नवीन जायसवाल, ओमप्रकाश सिंह, प्रवीण सिंह, चंद्रशेखर अग्रवाल, राजनीतिक कार्यकर्त्ता आलोक साहू ने घाट पर श्रद्धांजलि अर्पित कर हर दिल अजीज कमल किशोर भगत को अपनी अंतिम विदाई दी.

बता दें कि 17 दिसंबर की रात्रि को लोहरदगा में उनका निधन हो गया था. सुबह-सुबह आग की तरह यह खबर फैल गई. जिसने भी सुना अपने नेता और अपनी आवाज कमल किशोर भगत के हरमू स्थित आवास की ओर दौड़ पड़ा. महिलाएं, बच्चे सभी के चेहरे पर मायूसी छा गई. पोस्टमार्टम के बाद उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए ब्लॉक मोड़ स्थित आजसू कार्यालय लाया गया. जहां लोगों ने अपना श्रद्धासुमन अर्पित किया.

शुक्रवार की रात से ही जुटने लगे थें समर्थक, जिंगी गांव में नहीं थी पैर रखने की भी जगह 

शुक्रवार की रात से ही जिले और प्रखण्ड से हजारों की संख्या में लोग अंतिम दर्शन और यात्रा में शामिल होने जिंगी पहुँचने लगे थे. सुबह 10 बजे से उनका पार्थिव शरीर दर्शन के लिए रखा गया. पार्टी कार्यकर्ता और शोकाकुल लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए घंटों कतार में खड़े रहे. जिंगी गांव में पैर रखने जगह नहीं मिल रही थी. यह था कमल किशोर का व्यक्तिव और उनकी लोकप्रियता का आलम. एक राजनीतिज्ञ होने के साथ- साथ एक व्यवहार कुशल, मिलनसार, सौम्य और संघर्षशील व्यक्तित्व के धनी थे कमल किशोर. दलों की दिवार को तोड़ वह सबके चेहते थें.

कमल का निधन पार्टी के लिए बड़ा नुकसानसुदेश महतो

सुदेश महतो ने कहा कि कमल किशोर भगत के निधन से हुए नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती. कई मौकों पर उन्होंने पार्टी का संकटमोचक बन अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह किया. कमल की मौत से सिर्फ पार्टी को ही नहीं हमारी व्यक्तिगत नुकसान भी हुआ है.

कार्यकर्ताओं की मदद में हर वक्त आगे रहते थें कमल किशोर

सांसद सुदर्शन भगत ने कहा कि कमल किशोर अपने राजनीतिक जीवन में कई भूमिकाओं में रहे. संकट के समय अपने कार्यकर्ताओं और आम लोगों की व्यक्तिगत तौर पर भी मदद करने में आगे थे। उनकी कमी हमेशा खलेगी।

कौन थें कमल किशोर भगत, स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ा रहा था परिवार 

कुडू प्रखंड के जिंगी गांव निवासी लखन टाना भगत के पुत्र और स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नेता रहे स्वर्गीय लालू टाना भगत  के पोते कमल किशोर भगत जमीन से जुड़े नेता थे. झारखण्ड आंन्दोलन से भी इनका जुड़ाव रहा. लोहरदगा विधानसभा से वर्ष 2009 और  2014 में विजयी हुए. इसी बीच रांची के जाने माने चिकित्सक डॉ केके सिन्हा से जुड़े एक मामले में उन्हें अदालत से सजा सुनाई थी. जिसके बाद उनकी सदस्यता रद्द हो गई थी. कमल किशोर भगत ने 2015 में नीरू शांति भगत से शादी करने के बाद न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया था. जेल से रिहा होने के बाद फिर से सियासत में सक्रिय हुए. पिछले कुछ दिनों से बीमार भी चल रहे थे. फिलहाल आजसू के लिए कमल किशोर का विकल्प ढूंढना नामुमकिन तो नहीं मगर काफी मुश्किल जरुर लग रहा है.

 रिपोर्ट- दानिश राजा

 

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