विलय के समय से ही निर्वाचन सेवा के पदाधिकारी माने जाएंगे प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका को किया खारिज
रांची : विलय के समय से ही निर्वाचन सेवा के पदाधिकारी माने जाएंगे प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका को किया खारिज-
Highlights
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस विक्रम नाथ की अदालत ने
राज्य सरकार के उस याचिका को खारिज कर दिया है
जिसमें विभाजन के समय निर्वाचन सेवा के जरिए
झारखंड में योगदान देने वाले को राज्य का प्रशासनिक अधिकारी नहीं माना था.
सुप्रीम कोर्ट गई थी झारखंड सरकार
झारखंड सरकार का शर्त था कि यह पद तभी प्रशासनिक सेवा का माना जाएगा
जब विभाजन के समय से कार्यरत अधिकारी सेवा निवृत्त हो जाएंगे.
राज्य सरकार की इस शर्त को झारखंड हाई कोर्ट के एकल पीठ ने भी मान लिया था
लेकिन चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने
झारखंड सरकार और एकल पीठ के आदेश को निरस्त कर दिया था.
इस आदेश के खिलाफ झारखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसी आदेश को बरकरार रखा.
प्रशासनिक सेवा के माना जाएगा अधिकारी
झारखंड हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जब राज्य सरकार राज्य प्रशासनिक सेवा के मूल कोठे को बढ़ाते हुए इसमें 40 निर्वाचन सेवा के पदों का विलय कर लिया है तो विभाजन के समय से काम करने वाले निर्वाचन पदाधिकारियों को प्रशासनिक सेवा के अधिकारी माना जाएगा. इस संबंध में गायत्री देवी सहित अन्य की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता राजेश कुमार ने कोर्ट को बताया था कि राज्य बनने के बाद निर्वाचन सेवा के 40 पद झारखंड के हिस्से में आए थे, जिसमें उस समय केवल 12 लोग कार्यरत थे. वर्ष 2008 में राज्य सरकार ने निर्वाचन सेवा को राज्य प्रशासनिक सेवा में विलय कर लिया और शर्त यह लगाई गई कि वर्तमान में कार्य कर रहे लोगों को प्रशासनिक सेवा का नहीं माना जाएगा.
रिपोर्ट: प्रोजेश दास