गया के हर्बल गुलाल की अमेरिका में भी है डिमांड, फूल और पत्तों से बनाया जाता है है गया का हर्बल गुलाल

22Scope News

गया: होली का त्यौहार नजदीक है और अब होली को लेकर बाजार भी सजने लगा है। होली के दौरान बाजार में रंग और गुलाल की काफी मांग होती है और इन मांगों के बीच केमिकल युक्त जहरीले रंग गुलाल की बिक्री भी धरल्ले से होती है जो उपभोक्ता के शरीर और स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालता है। इससे बचने के लिए हर्बल गुलाल के निर्माण का सिलसिला चला और अब इसकी मांग देश विदेश में हर जगह होती है।

होली के मद्देनजर गया में भी हर्बल गुलाल का निर्माण किया जाता है जिसकी मांग अमेरिका तक में होती है। गया में निर्मित हर्बल गुलाल ऐंबेसी के माध्यम से विदेशों में भी भेजा जाता है। गया में हर्बल गुलाल के निर्माण में अधिकांश महिलाएं लगी हैं। गया में निर्मित हर्बल गुलाल में पालक, सीम, परास के पत्तों और गुलाब के फूल से बनाया जाता है। पिछले वर्ष भी गया निर्मित हर्बल गुलाल अमेरिका भेजा गया था जहां अप्रवासी भारतीयों ने इसे खूब पसंद किया।

22Scope Newsगया में महिलाएं बना रही हर्बल गुलाल
गया में महिलाएं हर्बल गुलाल बना रही है। हर्बल गुलाल शुद्ध रूप से प्राकृतिक है। इससे शरीर की किसी भी त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचता। इस बार फिर हर्बल गुलाल तैयार हो रहा है और यह बाजारों में बिकना शुरू हो गया है। इस बार भी प्रेरणा संस्था के माध्यम से विदेश तक इसे पहुंचाने की तैयारी है, क्योंकि विदेशों में भी इस हर्बल गुलाल की डिमांड होती है।

केमिकल युक्त गुलाल बाजारों में, इसके बीच हर्बल गुलाल बनी पहली पसंद
होली का समय नजदीक आ गया है. ऐसे में केमिकल गुलाल बाजारों में है किंतु इसके बीच हर्बल गुलाल की डिमांड काफी है। लोग इसे पसंद कर रहे हैं। यही वजह है, कि अभी से ही दुकानदारों के काफ़ी ऑर्डर गया के ढुंंगेश्वरी लारपुर में बनाने वाली महिलाओं को मिल रहे हैं। ऑर्डर इतने आ चुके हैं, कि दिन-रात एक कर महिलाएं इसे बना रही है।

प्रेरणा संस्था से मिली है ट्रेनिंग, क्लाइमेट चेंंज को लेकर भारत- अमेरिका सरकार का है जॉइंट एग्रीमेंट
गया के ढुंगेश्वरी लारपुर की महिलाओं को प्रेरणा संस्था से ट्रेनिंग मिली है। ट्रेनिंग पाकर महिलाएं आत्मनिर्भर हो गई है। महिलाएं इसे तैयार कर अच्छा मुनाफा कमा रही है। अब तक कई क्विंटल हर्बल गुलाल महिलाओं ने तैयार कर दिया है। 1 किलो हर्बल गुलाल बनाने पर 100 रूपए की सीधी बचत होती है। महिलाओं की मानें तो 100 ग्राम के पैकेट में खर्च 10 रूपए तक का आता है। इसकी बिक्री 20 रूपए में करती है। 20 रूपए में आसानी से हर कोई इसे खरीद लेता है। ऐसे में 1 क्विंटल में उन्हें सीधे 10 हजार की बचत हो जाती है। इस तरह ढुगेश्वरी लारपुर की महिलाएं मिलकर लाखों कमा रही है महिलाएं इससे आत्मनिर्भर बन गई है। होली का सीजन आते ही वह हर्बल गुलाल तैयार करने में लग जाती है।

22Scope Newsपालक का साग, सिम का पत्ता, परास का पत्ता के अलावे फूलों के रंग से किया जाता है तैयार
हर्बल गुलाल बनाने वाली मुन्नी देवी, मालो देवी बताती है, कि विशुद्ध रूप से प्राकृतिक गुलाल वे लोग बना रहे हैं। इस हर्बल गुलाल को बनाने में पालक के साग का पत्ता, सेम के साग का पत्ता, परास का पत्ता, गेंदा का फूल, गुलाब का फूल का उपयोग करते हैं। इस साग, सब्जी और फूलों के पत्तों को उबालकर रंग तैयार करते हैं। हरा रंग के लिए सेम, पालक का पत्ता उबालते हैं वही, पीला गुलाल के लिए गेंदे का फूल उबालते हैं। इसी प्रकार पिंक गुलाल के लिए गुलाब के फूल को उबालते हैं। इस तरह अलग-अलग रंग निकलते हैं और अखरोट के आटा में मिलाकर हर्बल गुलाल तैयार किया जाता है।

अखरोट के आटे में मिलाकर गूंंथते हैं
मुन्नी देवी बताती है, कि अखरोट का आटा और उबालकर जो रंग मिलता है, उसे मिलाकर गूंथते हैं. इसके बाद इस इसे सुखाया जाता है। जब यह सुख जाता है, तो पोलबलाइजर मशीन में डाल देते हैं। इसके बाद छोटे-छोटे टुकड़े में यह निकल आता है, जिसे हाथ से टुकड़ों को तोड़ने पर वह भरभरा कर अबीर के रूप में सामने आता है। इस तरह पूरी तरह से प्राकृतिक तरीके से हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है।

खुश्बू के लिए सत्यापित कंपनी का चेहरे में लगाने वाला पाउडर मिलाते हैं
महिलाएं बताती है, कि यदि कभी-कभार रंग कम आया तो खाने वाले रंग का थोड़ा बहुत उपयोग करते है। वहीं, गुलाल को सुगंधित बनाने के लिए उसमें थोड़ा चेहरे में लगाने वाला पाउडर मिलाती है। यह पाउडर सत्यापित ब्रांडेड कंपनी का होता है। महिलाएं बताती है, कि ढुंगेश्वरी की कई महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार करने में इन दिनों लगी हुई है। हर्बल गुलाल बनाकर अच्छी कमाई कर लेती है। फिलहाल गया के ढुंगेश्वरी लारपुर में बनने वाला हर्बल गुलाल की मांग देश ही नहीं, बल्कि विदेशों तक भी होती है।

गया से आशीष कुमार की रिपोर्ट

Share with family and friends: