पटना: तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यक्रम उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि तंबाकू का सबसे अधिक दुष्प्रभाव स्कूली बच्चों एवं युवाओं पर पड़ रहा है। बच्चों और अवयस्कों को तंबाकू सेवन की लत से बचाने के लिए समाज के सभी वर्गों को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है, ताकि हम अपने आने वाले युवा पीढ़ी को इसकी भयावहता से बचा सकें।
मंगल पांडेय ने इसी के साथ राज्य में “तंबाकू मुक्त युवा अभियान” के दूसरे चरण की शुरुआत की। यह अभियान अगले दो महीने तक चलेगा। इस 60-दिवसीय अभियान में पांच प्रमुख क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है, जिसमें तंबाकू के खतरों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना, स्कूलों और कॉलेजों को तंबाकू से मुक्त रखने के लिए दिशा निर्देशों के अनुपालन में सुधार करना, तंबाकू तक युवाओं की पहुंच को सीमित करना, कोटपा 2003 और इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम (पेका) 2019 के प्रवर्तन को मजबूत करना, तंबाकू-मुक्त गांवों को बढ़ावा देना शामिल है।
जिससे आने वाली पीढ़ी को तंबाकू के दुष्परिणामों से बचा सकें और हमारा “तंबाकू मुक्त बिहार“ का सपना साकार हो सके। मंगल पांडेय ने कहा कि हमारे राज्य में तम्बाकू सेवन करने वालों का प्रतिशत 53 .5 प्रतिशत से घट कर 25.9 प्रतिशत पर आ गया है। साथ ही ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे 2021 के आकड़ों के मुताबिक हमारे राज्य में 13-15 वर्ष के बच्चों में तम्बाकू सेवन का प्रतिशत 7.3 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय औसत (8.5 प्रतिशत) से कम है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीड्स के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा ने तंबाकू जनित रोगों की जानकारी दी। कार्यशाला में प्रसाशी पदाधिकारी राजेश कुमार, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ अमिताभ कुमार सिन्हा, वाइटल स्ट्रेटेजी के वरीय तकनीकी सलाहकार डॉ अमित यादव, सीड्स के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा तथा राज्य के विभिन्न जिलों से आये गैर संचारी रोग पदाधिकारी सह जिला नोडल पदाधिकारी उपस्थित थे। कार्यशाला का आयोजन राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार एवं तकनीकी सहयोगी संस्था सोसिओ इकोनॉमिक एंड एजुकेशनल डेवलपमेंट सोसाइटी (सीड्स) के संयुक्त तत्वाधान में किया गया था।
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पटना से विवेक रंजन की रिपोर्ट
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