सरदार भगत सिंह को राज्यपाल और सीएम नीतीश ने दी श्रद्धांजलि
पटना : सरदार भगत सिंह को राज्यपाल और सीएम नीतीश ने दी श्रद्धांजलि- शहीद-ए-आजम
सरदार भगत सिंह के शहादत दिवस पर उन्हें शत-शत नमन किया गया.
उनकी अमर कुर्बानियों को यादकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित की गयी.
भगत सिंह के शहादत दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए
मुख्य राजकीय समारोह का आयोजन कारगिल चौक के पूरब भगत सिंह के
प्रतिमा स्थल प्रांगण में आयोजित किया गया.
जहां राज्यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शहीद-ए-आजम की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर
उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की तथा उन्हें शत-शत नमन किया.
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद सहित अनेक सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ता तथा गणमान्य व्यक्तियों ने शहीद-ए-आजम की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया तथा अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की. इस अवसर पर सशस्त्र पुलिस बल द्वारा शोक सलामी अर्पित की गयी. वहीं उपस्थित लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर शहीद-ए आजम भगत सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की.
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु युवाओं के लिए प्रेरणा
बता दें कि 23 मार्च का दिन इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो चुका है. इस दिन को भारत शहीद दिवस के तौर पर मनाता है. आज ही के दिन भारत के वीर सपूतों ने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान किया था. शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का नाम हर देश प्रेमी, युवा जरूर जानता है. ये तीनों ही युवाओं के लिए आदर्श और प्रेरणा है.
इसी वजह इनका पूरा जीवन है, जिसे इन तीनों वीरों ने देश के नाम कर दिया. 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी दे दी थी. उन्हें लाहौर षड़यंत्र के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई थी. लेकिन क्या आपको पता है कि इन तीनों शहीदों की मौत भी अंग्रेजी हुकूमत का षड़यंत्र था?
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी 24 मार्च को देना तय था लेकिन अंग्रेजों ने एक दिन पहले ही यानी 23 मार्च को भारत के तीनों सपूतों को फांसी पर लटका दिया. आखिर इसकी वजह क्या थी? आखिर भगत सिंह और उनके साथियों ने ऐसा क्या जुर्म किया था कि उन्हें फांसी की सजा दी गई.
रिपोर्ट: शक्ति
Highlights