रांची: इस वर्ष हनुमान जयंती का पर्व 12 अप्रैल को बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। विशेष बात यह है कि यह पर्व शनिवार के दिन पड़ रहा है, जो शनि ग्रह से संबंधित है और हनुमान जी को शनि पीड़ा से मुक्ति दिलाने वाले देवता माना जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार इस बार हनुमान जयंती पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं और ग्रहों की स्थितियाँ इसे विशेष रूप से फलदायी बना रही हैं।
ज्योतिषाचार्य राकेश चतुर्वेदी के अनुसार, इस बार चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि में कोई भ्रम नहीं है। 12 अप्रैल को ब्रह्म मुहूर्त से लेकर मध्यरात्रि तक पूर्णिमा तिथि रहेगी, जिसके कारण भक्त पूरे दिन पूजन और जप कर सकेंगे। चतुर्वेदी बताते हैं कि हनुमान जी को एकादश रुद्र के रूप में पूजा जाता है और वे भगवान शिव के अंश से प्रकट हुए हैं। उनका जन्म श्रीराम की सेवा और रक्षा के लिए हुआ था।
हनुमान जयंती के दिन विशेष रूप से राम दरबार की पूजा करने की परंपरा है।
हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए राम, सीता और लक्ष्मण के साथ उनकी आराधना करनी चाहिए। इस दिन बालकांड और अयोध्याकांड की 11-11 चौपाइयों का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है। हालांकि सुंदरकांड का पाठ भी लाभकारी होता है, लेकिन हनुमान जन्मोत्सव पर राम की बाल लीलाओं का पाठ अधिक प्रभावशाली होता है।
पूजा में केले, बूंदी के लड्डू, चना और गुड़ का विशेष महत्व होता है। खासकर शनि दोष या शनि की साढ़ेसाती से ग्रसित लोग हनुमान जी को चना और गुड़ अर्पित करें। इस दिन हनुमान जी को चोला चढ़ाने की परंपरा भी है। चमेली के तेल और पीले सिंदूर से चोला चढ़ाना शुभ माना जाता है। हालांकि यह ध्यान रखना चाहिए कि सिंदूर केवल चरणों में अर्पित करें, मस्तक पर नहीं लगाएं। पीला सिंदूर ही शास्त्रसम्मत होता है, लाल सिंदूर का प्रयोग वर्जित है।
इस बार हनुमान जयंती पर बन रही कुंडली के अनुसार मेष लग्न में पांच ग्रह – शनि, राहु, शुक्र, बुध और चंद्रमा – द्वादश भाव में स्थित होंगे, जो पाप स्थान माना जाता है। शनि और राहु की युति को चांडाल योग कहा जाता है, जो रोग, शत्रु बाधा और मानसिक कष्ट बढ़ा सकता है। ऐसे में हनुमान जयंती पर की गई पूजा इन कष्टों से राहत दिला सकती है।
रात्रि के समय विशेष रूप से चौमुखा दीपक जलाना फलदायी होता है। यह दीपक प्रदोष काल या रात्रि 11:40 बजे के बाद जलाना श्रेष्ठ माना गया है। मंत्रों में “ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्” और “ॐ हरि मरकट मरकटाय स्वाहा” का जप विशेष रूप से कारगर बताया गया है। वहीं जिनके पास समय की कमी है वे केवल “श्रीराम जय राम जय जय राम” या “राम रामाय नमः” का जाप करते रहें, यह मंत्र हनुमान जी को अत्यंत प्रिय हैं।
व्रत करने वाले भक्तों को इस दिन फलाहार करना चाहिए। केला, दूध, चना, लड्डू आदि को व्रत के भोजन में शामिल करें। पूजा के बाद ही व्रत का पारण करें और इस दिन मांसाहार, शराब, प्याज-लहसुन आदि का सेवन पूरी तरह से त्याग दें।
हनुमान जयंती के इस विशेष अवसर पर भक्तों से अपेक्षा की जा रही है कि वे संकटमोचन की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रद्धा और नियमपूर्वक पूजा करें। शनिवार के दिन आने वाली यह जयंती जीवन से रोग, भय और शनि बाधा को दूर करने में सहायक होगी।
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