डिजीटल डेस्क : Hathras Stampede Update : 19 शवों की नहीं हो पाई शिनाख्त, सन 1954 के महाकुंभ के भगदड़ के बाद यह दूसरा बड़ा हादसा, फरार बाबा की तलाश तेज। उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में जान गंवाने वालों में से अब तक 19 शवों की पहचान नहीं हो सकी है। ताजा अपडेट जारी होने तक 102 शवों की पहचान कर ली गई है। इनमें से 38 शव अलीगढ़, 34 शव हाथरस, 21 आगरा और 28 एटा भेजे गए हैं।
पूरे देश को झकझोर देने वाली यह घटना तब हुई जब नारायण साकार विश्व हरि (भोले बाबा) के सत्संग के बाद उनका चरण रज लेने और दर्शन करने के लिए लोग आतुर हो गए। मरने वालों में अधिकतर महिलाएं शामिल हैं। यह सन 1954 में हुए प्रयागराज महाकुंभ में मची भगदड़ के बाद प्रदेश में अब तक का दूसरा सबसे बड़ा हादसा है।
आगरा, अलीगढ़ या राजस्थानङ्घ हाथरस में हादसे के बाद कहां फरार हो गया बाबा?
हाथरस में 2 जून को सत्संग में मची भगदड़ के बाद से ही भोले बाबा का कुछ अता पता नहीं है। हादसे के बाद वो मैनपुरी के बिछवां स्थित अपने राम कुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट आश्रम में पहुंचे। यूपी पुलिस भोले बाबा की तलाश में उनके मैनपुरी आश्रम पहुंची। राम कुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट में सर्च ऑपरेशन अभियान भी चलाया लेकिन बाबा वहां नहीं मिले। अब तीन ठिकानों पर पुलिस की नजर है। Hathras Stampede Update Hathras Stampede Update Hathras Stampede Update
अंदेशा है कि बाबा आगरा, अलीगढ़ या राजस्थान में हो सकते हैं क्योंकि वही तीन जगह बाबा के असली ठिकाने हैं। मैनपुरी के डीएसपी सुनील कुमार सिंह ने मंगलवार देर रात सर्च ऑपरेशन के बाद बताया था कि परिसर के अंदर बाबा नहीं मिले और वह मैनपुरी में नहीं हैं। पुलिस अब लगातार उन जगहों का पता लगा रही है जहां बाबा मिल सकते हैं।
साकार विश्व हरि भोले बाबा का आगरा से खास कनेक्शन, तफ्तीश जारी
साकार विश्व हरि भोले बाबा का आगरा से खास कनेक्शन है। उनका शहर के शाहगंज की केदार नगर कॉलोनी डी ब्लॉक में एक घर है जिसमें कभी सूरजपाल उर्फ भोले बाबा रहते थे। कुछ सालों पहले बाबा के दर्शन के लिए उनके भक्तों की भारी भीड़ जुटा करती थी, अब यहां सिर्फ ताला जड़ा हुआ है। बाबजूद इसके आज भी उनके शिष्य इस बंद मकान के सामने से गुजरते हुए नमन करते हैं। Hathras Stampede Update Hathras Stampede Update Hathras Stampede Update
दो दशक पहले बाबा इस मकान में अपने शिष्यों से मुलाकात करते थे, लेकिन पिछले कई वर्षों से वहां पर ताला पड़ा हुआ है। उनके शिष्यों में बाबा के प्रति गहरी आस्था है। आज भी रोज सुबह 4 बजे से शाम तक बाबा के शिष्य बंद मकान में नमन करने आते हैं। महिलाएं घर के सामने बने चबूतरे की सेवा, सफाई का कार्य भी करती हैं। कई श्रद्धालु महिलाएं तो अपनी साड़ी के पल्लू से श्रद्धा पूर्वक सफाई करती हैं और माथा टेकती हैं। बाबा इस मकान को कुटिया कहते थे। वह यहां पर अपने शिष्यों को बुलाते, उनके साथ होने वाले समागमों की चर्चा किए करते थे।
आगरा में भोले बाबा की कुटिया पर 20 साल से लगा है ताला, बाहर महिला भक्त लगाती हैं पोछा
बताया जा रहा है कि धीरे-धीरे जब बाबा की प्रसिद्धि बढ़ती गई तो वह यहां से अपने पुस्तैनी ग्राम एटा बहादुर नगर चले गए और वहां आश्रम बना लिया। समीप की रहने वाली एक महिला भक्त ने बताया कि बाबा की कुटिया में लगभग पिछले 20 वर्षों से ताला लगा है। केवल एक बार बाबा और उनकी पत्नी माताजी इस कुटिया में आए थे, तभी उन्होंने उनको देखा था।
यहां नमन करने वालों की बहुत भीड़ आती है। ताला बंद है, लेकिन लोग बाहर ही नमन करने आते है। स्थानीय निवासी निशा दुबे ने बताया कि यहां मंगलवार और गुरुवार को भीड़ बहुत रहती है। इस कुटिया में अंदर कुछ नहीं है। यह केवल घर है, जिसमें कभी बाबा रहा करते थे।
मरने वालों में यूपी के अलावा हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश के
अधिकृत तौर पर हादसे संबंधी मिले अपडेट के मुताबिक, मृतकों में एक फिरोजाबाद का है, जबकि आगरा के 16 शामिल हैं। अलीगढ़ के 12, हाथरस के 19, एटा के नौ और कासगंज के 9 लोगों की मौत हुई है। इसके अलावा गौतमबुद्ध नगर का एक, ललितपुर का एक, मथुरा के आठ, संभल का एक, अनूपशहर का एक, बदायूं के छह, पीलीभीत का एक, शाहजहांपुर के चार, औरैया के दो और बुलंदशहर के चार लोगों की जान गई है। अन्य प्रदेशों से भी लोग सत्संग में शामिल होने आए थे।
हरियाणा के फरीदाबाद के तीन व पलवल का एक, राजस्थान का एक एवं मध्य प्रदेश के ग्वालियर के भी एक व्यक्ति की इस घटना में मौत हुई है। श्रद्धालुओं ने सत्संग के आयोजकों और पुलिस पर भी सवाल उठाए हैं क्योंकि कार्यक्रम स्थल पर एग्जिट और एंट्री पॉइंट नहीं बनाए गए थे। इमरजेंसी रास्ता भी नहीं बना था. मौके पर मेडिकल टीम नहीं थी। गर्मी में पंडाल के अंदर श्रद्धालु पसीने से तर-बतर हो रहे थे, लेकिन उस हिसाब से पंखे और कूलर नहीं लगाए गए थे। पंडाल के आसपास श्रद्धालुओं के लिए खाने-पीने के भी पर्याप्त इंतजाम नहीं थे।
हादसे के बाद से भूमिगत हाथरस वाले भोले बाबा अमीर खुसरो की जन्मभूमि के निवासी हैं
भोले बाबा के यूं तो कई नाम हैं, जो उन्हें भक्तों ने दिए हैं। जैसे नारायण हरि या साकार विश्व हरि लेकिन उनका असली नाम सूरजपाल सिंह है। वह यूपी के कासगंज जिले के बहादुर नगर के मूल निवासी हैं। सूरजपाल ने 1990 के दशक के अंत में एक पुलिसकर्मी के रूप में अपनी नौकरी छोड़ दी और आध्यात्मिकता की ओर रुख किया। Hathras Stampede Update
उन्होंने सत्संग आयोजित करना शुरू कर दिया। उनकी कोई संतान नहीं है और वह अपनी पत्नी को भी अपने साथ सत्संग में ले जाते हैं। वह अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से आते हैं। परिवार में माता-पिता की मौत हो गई है। इसके अलावा बाबा के तीन भाई और हैं। बताया जाता है कि बाबा के लाखों अनुयायी पटियाली तहसील के बहादुर नगर में बाबा डेढ़ साल पहले आए थे। आश्रम स्थापित करने के बाद, भोले बाबा की प्रसिद्धि गरीबों और वंचित वर्गों के बीच तेजी से बढ़ी और लाखों लोग उनके अनुयायी बन गए। बहादुर नगर अमीर खुसरो की जन्मभूमि है इसलिए भी यह काफी मशहूर है।