हजारीबाग. हजरत दाता मदरसा की मजार पर हर साल उर्स का आयोजन होता है। इस बार 366वां उर्स का मेला लगा है। उर्स मेला आपसी एकता का भी परिचायक है, जहां हिंदू-मुस्लिम आकर अपना शीश झुकाते हैं। दूसरी ओर तीन पीढ़ियों से हिंदू परिवार यहां फूल की दुकान लगाता है। इसी दुकान से लोग फूल की चादर खरीद कर बाबा की चादरपोशी करते हैं। इस बार मजार परिसर में रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया, ताकि समाज के हर एक तबके को रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया जा सके।
हजारीबाग में उर्स मेला का आयोजन
हजरत दाता मदरसा की मजार परिसर में तीन फूल वाले फूल का कारोबार करते हैं। पिछले 30 सालों से मजार में ही फूल बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं। उनका कहना है कि हम लोग उर्स मेले का बेसब्री से इंतजार करते हैं, ताकि हम फूल बेचकर अपना घर चला सके। उनका कहना है कि ऐसे तो सालों भर यहां फूल का कारोबार होता है, लेकिन उर्स के दौरान फूल की मांग बढ़ जाती है।
कमिटी के सदस्य ने बताया कि इस बार के उर्स में काफी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं तथा यह उर्स गंगा जमुनी तहजीब को बढ़ावा देता है। सभी लोग यहां चादर पेशी करते हैं और अपने लिए मन्नत मांगते हैं। सभी की मन्नत पूरी भी होती है।
हजरत दाता बाबा दरगाह को तकिया बाबा मजार के नाम से भी जाना जाता है। इस मजार के बारे में यही मान्यता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से इनसे दुआ मांगा है, उसकी मुराद भी पूरी होती है। यहां सभी धर्म के लोग आकर सिर झुकाते हैं। पिछले सैकड़ों साल से यहां उर्स का आयोजन होता आ रहा है, जहां से हजारीबाग की नहीं बल्कि देश के कोने-कोने से उनके चाहने वाले पहुंचते हैं।
हजारीबाग से शशांक शेखर की रिपोर्ट