Hazaribagh : एनटीपीसी माइनिंग लिमिटेड की पकरी बरवाडीह कोयला खनन परियोजना ने आज अपने सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत शिक्षा के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। परियोजना प्रभावित क्षेत्रों के मेधावी छात्रों को आईआईटी-जेईई और नीट जैसी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए निशुल्क कोचिंग देने हेतु सीकरी साइट स्थित परिसर में “तरंग” आईआईटी-जेईई और नीट कोचिंग कक्षाओं की शुरुआत की गई।
Hazaribagh : प्रतिभाशाली छात्रों को सशक्त बनाना है लक्ष्य
इस महत्वाकांक्षी पहल का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के उन प्रतिभाशाली छात्रों को सशक्त बनाना है, जो मार्गदर्शन और आर्थिक संसाधनों की कमी के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। यह कोचिंग पहल, एनएमएल पकरी बरवाडीह द्वारा “सशक्त गाँव–सशक्त राष्ट्र” के विज़न की दिशा में एक ठोस प्रयास है।
इस कार्यक्रम का शुभारंभ मौन प्रकाश, डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर, हजारीबाग पश्चिमी वन प्रमंडल ने किया। अपने आईआईटी के दिनों की यादें साझा करते हुए उन्होंने चयनित छात्रों को सफलता के लिए प्रेरित किया और कहा, “आप सभी में असीम संभावनाएं हैं। मेहनत और अनुशासन ही आपको सफलता की ओर ले जाएगा। अगर कभी असफलता का डर भी लगे, तो भी प्रयास जारी रखें। मैं सदैव मार्गदर्शन के लिए उपलब्ध रहूंगा।
इस अवसर पर हजारीबाग के सभी चार कोयला खनन परियोजनाओं के परियोजना प्रमुख, वरिष्ठ अधिकारीगण, कर्मचारी एवं चयनित छात्र-छात्राओं के परिजन उपस्थित रहे।
एनएमएल सामाजिक विकास के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय रही है
ग़ौरतलब है कि इससे पहले भी एनएमएल पकरी बरवाडीह परियोजना सामाजिक विकास के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय रही है। पूर्व में भी पकरी बरवाडीह ने कई उल्लेखनीय CSR कार्य किए हैं, जिनमें स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन, जिसमें आसपास के ग्रामीणों को निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएँ, परामर्श और दवाइयाँ दी जाती है। महिला सशक्तिकरण हेतु ‘सिलाई-कढ़ाई, लाह की चुड़ियां बनाना, साबुन मसाले तैयार करना, मशरूम की खेती करना जैसी कई योजनाएं चलायी जा रही है जिससे महिलाएँ आत्मनिर्भर होकर सशक्त बन रही है। इसके अलावा खनन एवं औद्योगिक प्रशिक्षण केन्द्र ढेंगा में गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण, स्कूलों का आधुनिकीकरण जैसे डेस्क-बेंच, स्वच्छ पेयजल और शौचालय सुविधाएँ उपलब्ध कराना जैसी कई गतिविधियां शामिल हैं।
पकरी बरवाडीह द्वारा शुरू की गई यह कोचिंग पहल न केवल शिक्षा की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है बल्कि यह परियोजना प्रभावित गांवों के बच्चों को नई दिशा देने में भी सक्षम होगी! पकरी बरवाडीह के इस प्रयास से आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र से कई डॉक्टर, इंजीनियर निकल सकते हैं जो आसपास के क्षेत्रों के साथ देश निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
शशांक शेखर की रिपोर्ट–
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