Ranchi-अलीमुद्दीन हत्याकांड- झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय व
जस्टिस अंबुज नाथ की खंडपीठ में रामगढ़ में उन्मादी भीड़ के हाथों में मारे गए
अलीमुद्दीन हत्याकांड में सजायाफ्ता की अपील याचिकाओं पर सुनवाई हुई.
पीड़ित पक्ष और सरकार की ओर से बहस पूरी कर ली गई.
इसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
अलीमुद्दीन की पत्नी मरियम खातून की ओर से अदालत को बताया कि
सजायाफ्ता के खिलाफ पर्याप्त सबूत है कि वे इस घटना में शामिल थे.
अलीमुद्दीन हत्याकांड-सजायाफ्ताओं की ओर से दायर की गयी है याचिका
सरकार की ओर से कहा गया कि निचली अदालत की सजा सही है और इसे बरकरार रखना चाहिए. व
हीं, सभी सजायाफ्ता की ओर से कहा गया कि वे इस मामले में निर्दोष हैं और निचली अदालत ने सजा के दौरान सभी तथ्यों पर गौर नहीं किया है.
उन्हें बरी किया जाना चाहिए. सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
बता दें कि इस मामले में रामगढ़ की निचली अदालत ने 21 मार्च 2018 को 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
11 आरोपियों को दिया गया दोषी करार
इस मामले में अलीमुद्दीन की पत्नी मरियम खातून ने 12 लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी. 16 मार्च 2018 को 12 में से 11 आरोपितों को दोषी करार दिया था,.
जबकि एक आरोपी नाबालिग होने के कारण उसका मामला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में भेज दिया गया था.
निचली अदालत से जिन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली है, उनमें छोटू वर्मा, दीपक मिश्रा और संतोष सिंह के अलावा भाजपा नेता नित्यानंद महतो, विक्की साव, सिकंदर राम, उत्तम राम, विक्रम प्रसाद, राजू कुमार, रोहित ठाकुर और कपिल ठाकुर शामिल थे.
रिपोर्ट- प्रोजेश
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