ईडी की नोटिस के बाद आक्रमक हुए हेमंत, आर पार की लड़ाई की शुरुआत

Ranchi-ईडी की नोटिस के बहाने- पिछले कुछ महीनों से भाजपा और जेएमएम के बीच का लुकाझुपी का खेल अब समाप्त होने को है, झामुमो अब इस लड़ाई को सड़क ले जाने का मन बना चुकी है. ईडी की नोटिस के बहाने जेएमएम अपने कार्यकर्ताओं की सक्रियता बढ़ाने में जुट गयी है, उसकी कोशिश ईडी की नोटिस को हथियार बना सुस्त पड़े सांगठनिक ढांचें को दुरस्त करने की है. यही कारण है कि जेएमएम अब इस लड़ाई को आर पार देने के मुड में है.

ईडी की नोटिस के बहाने कार्यकर्ताओं को सड़क पर उतार संगठन विस्तार करना चाहती है जेएमएम

राज्य की बड़ी आबादी आदिवासी समुदाय के आने वाले हेमंत सोरेन अब इस लड़ाई को आदिवासी मूलवासियों की अस्मिता से जोड़ने की कोशिश में जुटे है, उनकी कोशिश इसी बहाने भाजपा को एक बार फिर से नेपत्थ में ढकलने की है. मुख्यमंत्री आवास के समक्ष जेएमएम कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जब हेमंत भाजपा को निशाने पर लेते हुए ईडी को अपनी गिरफ्तारी की चुनौती देते हैं, तो यह अकारण या अनायास नहीं है, यह पूरी तरह से एक सुनियोजित रणनीति है. उनकी कोशिश इसी बहाने अपने कार्यकर्ताओं को मोबिलाईज करने की है,

आखिरी वक्त में बदली गयी रणनीति, चुना गया प्रतिकार का रास्ता

यही कारण है कि कल तक ईडी कार्यालय में पेश होने की तैयारी करने वाले हेमंत सोरेन आखिर वक्त में अपनी रणनीति में बदलाव कर इसे भाजपा के विरुद्ध एक हथियार बनाने की कोशिश की. हेमंत की कोशिश राज्य के कोने से कोने में अपने समर्थकों के बीच यह राजनीतिक मैसेज देने की है कि भाजपा ईडी के बहाने हेमंत का शिकार करना चाहती है.

देश के आदिवासी समूहों से भाजपा के विरोध में खड़ा होने की अपील

यही कारण है कि हेमंत पूरे दम खम के साथ ना सिर्फ ईडी को चुनौती दे रहे हैं,

बल्कि देश के आदिवासी समूहों और खास कर गुजरात के आदिवासी समूहों से

भाजपा के विरुद्ध सीधी लड़ाई की शुरुआत करने का आह्वान किया है.

अब हेमंत की कोशिश पूरे देश में आदिवासी समूहों के बीच

भाजपा को एक आदिवासी-मूलवासी विरोधी राजनीतिक जमात के रुप में खड़ा करने की है,

इसके पहले ही हेमंत कई मौके पर यह कह चुके हैं कि

भाजपा आदिवासियों को सिर्फ प्रतीकात्मक पद देकर उसका मत प्राप्त करना चाहती है,

जबकि उसकी पूरी राजनीति और

निर्णय आदिवासी मूलवासियों को विरुद्द में होती है.

उसका नीतियां आदिवासी मूलवासियों के विरुद्ध में होती है.

महज कोई विशेष पद किसी आदिवासी समुदाय को देकर उसका समग्र विकास नहीं किया जा सकता,

उसके लिए आदिवासियों के पक्ष में नीतियों का निर्माण की जरुरत पड़ेगी,

लेकिन भाजपा यही नहीं कर सकती,

यही कारण है सदना धर्म कोड का मुद्दा एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है.      

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